देश में अब तक हो चुके हैं सत्रह लोकसभा के लिए चुनाव

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संसद में लोकसभा की अनवरत यात्रा

लोकसभा की यात्रा 18वीं बार लोकतंत्र को सुदृढ कर रहा है

श्रीनारद मीडिया सेन्ट्रल डेस्क

भारतीय लोकतंत्र स्वाधीनता के 75 वर्ष पूर्ण कर सौवें स्वतंत्रता दिवस की गौरवमयी यात्रा आरंभ कर चुका है। इसे अमृतकाल कहा जा रहा है जिसमें वर्ष 2047 तक विकसित भारत की भव्य छवि गढ़ने का संकल्प सरकार ही नहीं, हर भारतीय के लिए कर्मसिद्धि का मंत्र सरीखा है। अमृतकाल की अवधारणा पौराणिक ग्रंथों में है जहां इसे स्वर्णकाल माना गया है। नए प्रयास आरंभ करने के लिए शुभ और • मंगलकारी अमृतकाल में उज्ज्वल भविष्य का स्वप्न साकार होने का योग बनता है।

इस संदर्भ में आसन्न आम चुनाव मात्र सरकार चुनने का विकल्प भर नहीं है, यह विकसित और आत्मनिर्भर भारत की लक्ष्य प्राप्ति के लिए संकल्प और सिद्धि का प्रयोजन भी है। इसमें आमजन की सबसे अहम भूमिका होगी जो देश में राजनीतिक स्थायित्व के आंधार पर सांस्कृतिक पहचान, आर्थिक महाशक्ति और शक्तिशाली राष्ट्र का भाव मन में लिए मतदान करेंगे।

अमृतकाल के इस पहले चुनावी महासमर में मतदाता देश के साथ अपने भविष्य की दिशा भी तय करेगा। चुनाव के लिए राजनीतिक दलों का अपना-अपना एजेंडा है, लेकिन एक एजेंडा जनता का भी होना चाहिए। लोग केवल मतदान के लिए ही सजग नहीं रहें, बल्कि यह भी देखें कि राजनीतिक दल आरोप-प्रत्यारोप, अपशब्दों की सस्ती राजनीति, जाति, पंथ, क्षेत्र के विभाजनकारी – भावनात्मक मुद्दों और रेवड़ियों की आड़ में देश के सामने उपस्थित वास्तविक मुद्दों की अनदेखी न करने पाएं।

लोगों को अपने साथ समाज और देश हित वाले मुद्दों को ही प्राथमिकता देनी चाहिए। ऐसा हो सके और भारतीय लोकतंत्र की छवि निखरे, इसलिए एक सजग और जिम्मेदार नागरिक के नाते हो रहा है वर्ष 2024 के ‘महासमर’ का उद्घोष ।

देश में सबसे पहले लोकसभा चुनाव 1952 में कुल 489 सीटें थी.जिसमें कांग्रेस ने 364 सीटें जीत लिया।

दूसरे लोकसभा 1957 की सीटें कुल सीटें- 494 थी, जिसमे काँग्रेस- 371, सीपीआई- 27, जनसंघ- 04, सोशल्स्टि पार्टी- 19,  वामदल- 33 सीटें  आयी

तीसरी लोकसभा चुनाव 1962 में कुल सीटें 494 थी जिसमें कांग्रेस को 361सीटें, सीपीआई को 29, जनसंघ
को 14 एवं सोशलिस्ट पार्टी को 19 सीटें आई थी।

चौथी लोकसभा 1967 में लोकसभा की कुल सीटें 520 थी, जिसमें कांग्रेस को 283, स्वतंत्र पार्टी को 44, जन संघ को 35, सोशलिस्ट पार्टी को 37, किसान मजदूर पार्टी को 46 सीटें आई थी।

पांचवी लोकसभा का चुनाव 1971 में हुआ। इसके लिए लोकसभा की 518 सीटें थी। इसमें कांग्रेस आई(इंदिरा) को 352 सीटें, कांग्रेस ओ (संगठन) को 51 सीटें, जन संघ को 22, सोशलिस्ट पार्टी को 05, वाम दल को 53 सीटें आई थी।

छठी लोकसभा का चुनाव 1977 में हुआ। जिसमें कुल सीटें 542 थी। जनता पार्टी को 295, कांग्रेस को 189, अन्य को 41 सीटें आई थी।

सातवीं लोकसभा का चुनाव 1980 में हुआ। कांग्रेस आई यानी इंदिरा को 542 सीटों में 374 सीटें आई
जनता दल सेक्युलर को 41 सीटें आई।

आठवीं लोकसभा का चुनाव 1984 में हुआ। जिसमें कुल सीटें 514 थी। इसमें कांग्रेस एवं अन्य को 416 सीटें टीडीपी को 31 सीटें, वाम दल को 34 सीटें, भाजपा को दो सीटें आई थी।
नवमी लोकसभा का चुनाव 1989 में हुआ। इसके लिए लोकसभा की 529 सीटें थी। जिसमें जनता दल को 143 कांग्रेस को 197, भाजपा को 85, सीटें आई थी।

दसवीं लोकसभा के लिए 1991 में चुनाव हुआ। जिसमें कुल 521 सीटें थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 244, भाजपा को 120, वाम दल एवं को 56 सीटें आई थी।

11वीं लोकसभा का चुनाव 1996 में हुआ। जिसके लिए कल सीटें 543 थी। भाजपा को 162, कांग्रेस को 140, वाम दल को 52 सीटें आई थी।

12वीं लोकसभा का चुनाव 1998 में हुआ। जिसमें लोकसभा की 543 सीटों के लिए चुनाव हुआ। इसमें भाजपा एनडीए गठबंधन को 254 कांग्रेस को 144, वाम दलों को 48 सीटें आई थी।

13वीं लोकसभा का चुनाव 1999 में हुआ। जिसमें 543 सीटों में से कांग्रेस को 156, भाजपा एनडीए गठबंधन को 270 सीटें आई।

2004 में 14वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ। जिसमें 543 सीटों में से कांग्रेस को 145, भाजपा को 181 एवं अन्य को 59 सीटें आई थी।

 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुआ। जिसके 543 सीटों में कांग्रेस यूपीए गठबंधन को 262, भाजपा को 160, वाम दल एवं अन्य को 44 सीटें आई।

16वीं लोकसभा के लिए 2014 में चुनाव हुआ। भाजपा समर्थित एनडीए गठबंधन को 336 सीटें मिली। वहीं संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन कांग्रेस को 59 सीटें आई।

17वीं लोकसभा के लिए 2019 में चुनाव हुआ। 543 सीटों में से भाजपा गठबंधन एनडीए को 353 सीटें कांग्रेस गठबंधन सप्रंग को 93 सोटें एवं अन्य को 97 सीटें मिली थी।

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