तेलंगाना को 44 साल के लंबे संघर्ष के बाद मिली पहचान
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
02 जून को तेलंगाना स्थापना दिवस मनाया जाता है। साल 2014 में तेलंगाना, आंध्र प्रदेश से अलग होकर भारत का 29वां राज्य बना था। राज्य की जीवंत संस्कृति अपने नृत्य, पारंपरिक पोशाक, भोजन और अद्भुत संगीत के लिए जानी जाती है। इस दिन को अधिक खास बनाने के लिए इस उत्सव में फेमस कलाकारों और फेमस हस्तियों द्वारा प्रदर्शन किया जाता है।
तेलंगाना स्थापना दिवस राज्य के अधिक समृद्ध और संपन्न भविष्य को बनाने का आह्वान है। यह दिन राज्य के लोगों की आकांक्षाओं और प्रतिबद्धता को दर्शाता है। तो आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको तेलंगाना स्थापना दिवस के इतिहास और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं।
तेलंगाना स्थापना दिवस का इतिहास
आपको बता दें कि राज्य के गठन के लिए दशकों तक लंबा आंदोलन चलाया गया था। क्योंकि आंध्र प्रदेश और तेलंगाना दोनों अलग-अलग भाषा, संस्कृति और इतिहास वाले क्षेत्र हैं। अलग राज्य का दर्जा पाने के लिए तेलंगाना के लोगों ने लंबे समय तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। वहीं हर साल 02 जून को तेलंगाना स्थापना दिवस मनाया जाता है। 02 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से अलग होकर तेलंगाना देश का 29वां राज्य बना था। तेलंगाना राज्य बनाने के लिए भारत सरकार ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम पारित किया।
तेलंगाना के लोगों के लिए राज्य स्थापना दिवस का यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह लोगों को उनके संघर्ष और बलिदान की याद दिलाता है। तेलंगाना स्थापना दिवस राज्य की संस्कृति और विरासत को दुनिया के सामने रखता है।
तेलंगाना स्थापना दिवस कार्यक्रम
इस खास मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम और परेड का आयोजन किया जाता है। इसके साथ ही आतिशबाजी, सम्मेलन और सेमिनार भी होते हैं। यह दिन तेलंगाना के लोगों के लिए गर्व और खुशी का दिन होता है। तेलंगाना के लोगों के लिए यह दिन राज्य के उज्जवल भविष्य और समृद्द विरासत का प्रतीक है। बता कें कि तेलंगाना भारत के सबसे कम उम्र वाला राज्य है। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद भारत के सबसे पुराने और सबसे ऐतिहासिक शहरों शामिल है।
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