पाटलिपुत्र लोकसभा से रामकृपाल यादव क्यों हारे ?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार की पाटलिपुत्र सीट इस बार खूब चर्चा में रही। बीजेपी के दिग्गज नेता रामकृपाल यादव की हार के बाद यह सीट सुर्खियों में आ गई। रामकृपाल यादव (Ramkripal Yadav) की हार ने बीजेपी समर्थकों को चौंकाकर रख दिया। कार्यकर्ताओं को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर इतनी मेहनत के बाद कहां चूक हो गई।

वाम दल ने दो जगह बिगाड़ा रामकृपाल का खेल

पटना जिले की राजनीति में ‘लाल सलाम’ का साथ मिलने से महागठबंधन का हाथ मजबूत हुआ है। 2020 विधानसभा चुनाव के समय नया राजनीतिक गठबंधन ने भाजपा और जदयू के परंपरागत सीटों पर कब्जा जमा लिया था।

चार साल में भाजपा और जदयू इसका तोड़ नहीं निकाल सका। पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र का नतीजा पूरी तरह से विधानसभा चुनाव 2020 की तरह सामने आया है। इसके साथ एनडीए के परंपरागत वोट में महागठबंधन ने सेंध लगाकर चकित कर दिया।

पाटलिपुत्र के छह विधानसभा क्षेत्र में सिर्फ दानापुर से भाजपा के रामकृपाल यादव पुराने प्रतिद्वंदी राजद की मीसा भारती से आगे रहे। 2019 के चुनाव में भाजपा को यहां से 29000 की बढ़त मिली थी। इस बार रामकृपाल को 2 हजार लेकिन मीसा भारती को 20 हजार अधिक वोट मिले। नतीजा भाजपा की बढ़त मात्र 12 हजार पर सिमट गई।

पालीगंज और मसौढ़ी में ‘लाल सलाम’ की पुरानी जमीन —

इंडियन पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) अब भाकपा माले का पालीगंज और मसौढ़ी पुरानी जमीन रही है। मसौढ़ी से आइपीएफ के टिकट पर सबसे पहला विधायक योगेश्वर गोप 1990 में चुने गए थे। ””लाल सलाम”” की पुरानी जमीन पालीगंज में 2005 के दोनों विधानसभा चुनाव भाकपा माले के नंद कुमार नंदा चुने गए थे। भाजपा की उषा विद्यार्थी और जदयू के जयवर्द्धन यादव को मौका दिया है।

महागठबंधन के सहयोगी भाकपा माले 2020 में इस सीट पर कब्जा जमा लिया। मसौढ़ी सीट राजद के खाते में गया। पालीगंज में भाजपा बीते लोकसभा चुनाव से तीन हजार अधिक वोट मिला लेकिन मीसा को 19 हजार अधिक वोट मिले। नतीजा बीते चुनाव की तुलना तीन हजार की बढ़त 19 हजार पहुंच गया।

 मनेर और मसौढ़ी ने मीसा का भर दिया खोइंछा —

लगातार दो चुनाव में हार का सामना कर रही राजद की मीसा भारती का खोइंछा मनेर ने भर दिया। यहां भाजपा के रामकृपाल यादव को बीते लोकसभा चुनाव की तुलना में एक हजार अधिक वोट मिले लेकिन मीसा के खोइंछा में 17 हजार से अधिक वोटों की बढ़त दे दी।

मसौढ़ी में भाजपा के वोट में तीन हजार अधिक वोट मिले लेकिन मीसा को 25 हजार से बढ़त देकर जीत पक्का करने में मददगार बना। फुलवारीशरीफ में बीते चुनाव में रामकृपाल ने राजद को 15 हजार से शिकस्त दिया था इस बार आठ हजार अधिक वोट लाकर भी मीसा से पांच हजार पीछे रह गए। फुलवारीशरीफ में महागठबंधन का सहयोगी भाकपा माले विधायक बड़ा फैक्टर रहा।

बिक्रम में 5 हजार से पीछे रही भाजपा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिक्रम में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में सभा की थी। बिक्रम से 2019 के चुनाव में भाजपा की बढ़त 14 हजार थी। इसबार भाजपा को तीन हजार अधिक वोट मिले लेकिन राजद उम्मीदवार को पिछले चुनाव से 22 हजार अधिक वोट हासिल हुआ।

नतीजा रामकृपाल यादव पांच हजार वोट से पीछे हो गए। यह विधानसभा 2005 से भाजपा के कब्जे था जहां से महागठबंधन का सहयोगी कांग्रेस ने खाता खोला था। भाकपा माले ने यहां भी महागठबंधन के सहयोगी राजद को बढ़त दिलाने में कामयाब रहा.

मीसा भारती देर शाम चुनाव जीतने के बाद बड़ा एलान कर दिया। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को ही खुली चुनौती दे डाली। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को इस बार किसी भी हालत में प्रधानमंत्री नहीं बनने दूंगी। मीसा भारती चुनाव आयोग के दफ्तर में प्रमाणपत्र लेने पहुंची थीं। प्रमाणपत्र लेने के बाद जीत से गदगद डा. मीसा भारती ने कहा कि बस दो दिन रुक जाइए फिर आइएनडीआइए की सरकार ही बनेगी। मोदी को किसी हाल में तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे। एक-दो दिन इंतजार करिए तस्वीर साफ हो जाएगी।

मीसा भारती ने कहा कि यह पाटलिपुत्र के युवाओं, महागठबंधन के नेताओं और आमजन की जीत है। उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र की जनता ने मुझे ऋणी बना दिया। मैं यह ऋण चुका तो नहीं सकती, लेकिन उन्होंने जिस उम्मीद से मुझे चुना है, मैं उस पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगी।

मीसा भारती की जीत में लालू प्रसाद का अहम योगदान

इस जीत में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद का अहम योगदान है। उनके साथ भाई तेज प्रताप यादव, भाई विरेंद्र, रामानंद यादव भी थे। बताते चलें कि पाटलिपुत्र लोकसभा सीट में पहली बार किसी राजद प्रत्याशी ने जीत दर्ज कराई है।

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