मुजफ्फरपुर में गर्भाशय के ऑपरेशन के बहाने महिला के दोनों किडनी निकालने वाले डॉक्टर कोर्ट में दोषी करार, 13 को सुनाई जाएगी सजा
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
मुजफ्फरपुर में डेढ़ साल पहले गर्भाशय निकालने के नाम महिला के दोनों किडनी निकाले जाने की घटना सामने आई थी। इस घटना ने बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठा दिए थे। अब यह मामला फिर चर्चा में है। इस चर्चा का कारण है महिला की किडनी निकालनेवाले डॉक्टर पवन कुमार, जिन्हें कोर्ट ने इस मामले में दोषी करार दिया है और अब आगामी 13 जून को कोर्ट में उनकी सजा सुनाई जाएगी।
डॉ. पवन फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं मामले के सत्र विचारण के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-नवम अजय कुमार मल्ल के विशेष कोर्ट (एससी/एसटी एक्ट) ने उसे दोषी ठहराया है।विशेष लोक अभियोजक (एससी/एसटी एक्ट) जयमंगल प्रसाद ने बताया कि 13 जून को विशेष कोर्ट में सजा के बिंदु पर सुनवाई होगी। इसके बाद उसे सजा सुनाई जाएगी।
हालांकि इस मामले के मुख्य आरोपित डा. आरके सिंह अब तक फरार है। उसके विरुद्ध कुर्की की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। विशेष कोर्ट ने उसके मामले को अलग कर दिया है। सितंबर 2022 की है घटना बता दें कि लगभग डेढ़ साल पहले जिले के बरियारपुर स्थित शुभकांत क्लीनिक में पेट में दर्द की शिकायत पर 11 जुलाई 2022 को डा. पवन के क्लीनिक में उपचार शुरू हुआ। गर्भाशय निकालने के लिए आपरेशन कराने की सलाह दी गई। इसके लिए उससे 20 हजार रुपये जमा कराए गए थे। तीन सितंबर 2022 सुनीता के गर्भाशय का आपरेशन किया गया था।
यह क्लीनिक झोलाछाप डाक्टर पवन कुमार का बताया गया था।पांच सितंबर को सुनीता की तबीयत खराब होने पर उसे श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल लाया गया। सात सितंबर 2022 को जांच के बाद पता चला कि उसकी दोनों किडनियां निकाल ली गई हैं। जिसके बाद न सिर्फ जिले में बल्कि राज्य स्तर पर स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया था।
अभी पूरी तरह से स्वस्थ नहीं है सुनीता गर्भाशय के आपरेशन के बाद अस्वस्थ हुई सुनीता को पटना के आइजीआइएमएस सहित कई अस्पतालों में उपचार कराया गया। लंबे समय से वह श्रीकृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल में भर्ती है। उसका नियमित डायलिसिस कराया जाता है। इस बीच सत्र-विचारण के दौरान विशेष कोर्ट ने उसे गवाही देने के लिए बुलाया।
वह दो दिन अस्पताल से कोर्ट भी पहुंची, लेकिन तबीयत बिगड़ने के कारण वह अपनी गवाही दर्ज नहीं करा सकी है।विशेष कोर्ट ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग से गवाही दर्ज कराने के लिए एसकेएमसीएच अधीक्षक को निर्देश दिया था। अस्वस्थता के कारण वह इसके लायक भी नहीं थी। इसलिए उसकी गवाही दर्ज नहीं हो सकी।
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