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नहर में पानी बहने की जगह धूल उड़ने से बढ़ी किसानों की चिंता     

नहर में पानी बहने की जगह धूल उड़ने से बढ़ी किसानों की चिंता

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श्रीनारद मीडिया सिवान (बिहार):

खरीफ का सत्र शुरू हो चुका है और धान का बिचड़ा डालने का वक्त निकलता जा रहा है। ऐसे में एक तो बिजली की कटौती और ऊपर से नहरों की शाखाओं में पानी नहीं आ सका है और तमाम सरकारी नलकूप किसी न किसी कारण से बंद पड़े हैं। विभागीय अदूरदर्शिता के कारण नहरों की सफाई का कार्य विलंब से शुरू हुआ है। चाहे कारण जो भी हो, राजकीय नलकूपों से सिंचाई का दावा हवा-हवाई है। सिंचाई के लिए बनाये गये ध्वस्त हो चुके हैं। अधिकारियों से शिकायत करने पर भी कोई नतीजा नहीं निकलता। वहीं

गोपालगंज से बड़हरिया, महाराजगंज होते हुए छपरा की ओर जाने वाली मुख्य नहर में धूल उड़ रही है। इस तपती गर्मी में नहर के किनारों के गांवों और घरों में धूल उड़कर जा रही है। नहर के पक्कीकरण से लाभ कब मिलेगा, तत्काल यहां के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। बता दें कि करीब डेढ़ माह पूर्व इस नहर की सफाई और खुदाई इसके पक्कीकरण के लिए की गयी थी।

 

इसके पेट से निकली मिट्टी को तटबंधों पर डाल दिया गया था। जो आज नहर के आसपास के गांवों धनाव, कुड़ियापुर, तेतहली,सुरहियां,नवलपुर,भलुआं आदि गांवों के लोगों के लिए परेशानी का सबब बन चुकी है। इस भीषण गर्मी में मिट्टी धूल में धूल में बदलकर लगातार उड़ रही है,जो घरों में घुस जा रही है। जिससे कपड़े,भोजन और अन्य सामानों पर धूल जम जा रही है। पर्व-त्योहारों व शादी समारोहों के मौके पर घर से निकलना दूभर हो जाता है। भोज का बाहर आयोजन करना मुश्किल हो रहा है। वहीं इस खरीफ सत्र में नहर में पानी आने की उम्मीद खत्म हो चुकी है। क्योंकि अभी इब नहर के पक्कीकरण में काफी विलंब है। जबतक नहर का पक्कीकरण नहीं हो जाता है तबतक इसमें पानी नहीं आयेगा। इससे किसानों की रही सही उम्मीद भी टूट गयी है। जब मुख्य नहर में पानी नहीं होगा, तो शाखाओं में पानी कहां से जायेगा। इस मौसम में इस नहर के पानी से धान का बिचड़ा गिराने और धान की रोपनी की उम्मीद पाले किसानों को निराशा हाथ लगी है।वहीं, नहर के तटबंधों पर मिट्टी रखने से नहर मार्ग भी छीन गया है। पहले इस इलाके के लोग तेतहली, धनाव, कुड़ियापुर होते हुए गोपालगंज निकल जाते थे। ट्रैफिक का कोई झमेला नहीं था। उसी प्रकार महाराजगंज और तरवारा की ओर जाने वाले यात्री आराम से तरवारा निकल जाते थे।

नहर में पानी की जगह धूल उड़ने से क्षेत्र के किसानों का चिंतित होना स्वाभाविक है।किसान चिंतित है कि इस बार उन्हें धान की नर्सरी डालने के लिए पानी नहीं मिलेगा। नहरों की उप वितरणियों की सफाई का कार्य शुरू नहीं हो सका है। बहरहाल मुख्य नहर में पानी बहने की जगह धूल उड़ने से क्षेत्र के किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है।

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