मोदी हैं तो महंगाई है- जयराम रमेश,कांग्रेस महासचिव

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद देश के लिए फिर से काम करना शुरू कर दिया है। इस बीच नेताओं की एक दूसरे पर बयानबाजी भी शुरू हो गई है। अब कांग्रेस ने पीएम मोदी पर महंगाई को लेकर निशाना साधा है। बता दें कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर लिखते हुए कहा, मोदी है तो महंगाई है! चार महीनों से खानों की चीजों के दाम 8.5% से अधिक हो गए हैं। दालों में 10% से अधिक महंगाई बढ़ी है! मई में कीमतें 17.14% बढ़ी हैं।

घोषणापत्र में दालों को लेकर कही गई ये बात

विपक्षी दल का यह बयान हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों के एक दिन बाद आया है जिसमें कहा गया है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में मामूली गिरावट के कारण मई में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट जारी रही और यह एक साल के निचले स्तर 4.75 प्रतिशत पर पहुंच गई।  जयराम रमेश के मुताबिक, घोषणापत्र में पीडीएस में दालों को शामिल करने, गरीबों के लिए प्रोटीन का सेवन बढ़ाने और उन्हें महंगाई से बचाने की भी वकालत की गई थी। जयराम रमेश ने कहा, दालों की महंगाई दर पिछले एक साल में लगातार दोहरे अंक में – 10% से ज्यादा है, मई में कीमतें 17.14% बढ़ी हैं।

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रधानमंत्री के पास इस संकट का कोई समाधान नहीं है।’ नेशनल स्टेटिस्टिक्स डाटा की तरफ से आई जानकारी के मुताबिक, महंगाई मई में 8.69 प्रतिशत थी। इसके बाद ये अप्रैल में 8.70 प्रतिशत से थोड़ी कम हो गई।जनवरी 2024 से महंगाई के आंकड़ों में काफी बदलाव देखा गया। फरवरी में 5.1 प्रतिशत से लेकर अप्रैल 2024 में 4.8 प्रतिशत तक थी।

क्या कहता है डाटा?

एनएसओ के आंकड़ों से पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में 4.15 प्रतिशत की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में महंगाई 5.28 प्रतिशत अधिक है। मई के दौरान सब्जियों की महंगाई पिछले महीने की तुलना में अधिक थी, जबकि फलों के मामले में यह कम थी। सरकार ने रिजर्व बैंक को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि सीपीआई महंगाई दोनों तरफ 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे।

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास महंगाई से जुड़े संकट का कोई समाधान नहीं है। खाद्य उत्पादों की कीमतों में मामूली कमी आने से खुदरा मुद्रास्फीति मई के महीने में एक साल के निचले स्तर 4.75 प्रतिशत पर आ गई और यह भारतीय रिजर्व बैंक के संतोषजनक दायरे में बनी रही।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति में जनवरी से ही जारी गिरावट का सिलसिला मई में भी कायम रहा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक, मई में खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर 8.69 प्रतिशत रही जो अप्रैल के 8.70 प्रतिशत से थोड़ा ही कम है। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘मोदी है तो महंगाई है। चार महीनों से खाद्य मूल्य मुद्रास्फीति 8.5 प्रतिशत से अधिक है। दालों की महंगाई दर पिछले एक वर्ष में लगातार दोहरे अंक में है जो 10 प्रतिशत से ज़्यादा है। मई में क़ीमतें 17.14 प्रतिशत बढ़ी हैं।”

उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के न्याय पत्र में हमने महंगाई और विशेष रूप से दालों की समस्या के समाधान के लिए दो उपाय करने का वादा किया था। हमने स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले द्वारा निर्धारित मूल्य के साथ दालों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की बात की थी क्योंकि इससे दालों की घरेलू खेती को बढ़ावा मिलेगा।

रमेश के अनुसार, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में दालों को शामिल करने की बात की गई थी क्योंकि ऐसा करने से ग़रीबों के खाने में प्रोटीन की मात्रा बढ़ेगी और उन्हें महंगाई से भी बचाया जा सकेगा। उन्होंने आरोप लगाया कि ‘‘एक तिहाई प्रधानमंत्री” के पास इस संकट का कोई समाधान नहीं है।

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