तकनीक और कौशल देश के विकास के लिए जरूरी : दत्तात्रेय
श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, कुरूक्षेत्र :
श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय में
“तकनीकी और कौशल शिक्षा की परिवर्तनकारी गतिशीलता” पर अंतराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित।
देश- दुनिया के 87 विशेषज्ञों और शोधार्थियों ने हिंदी में प्रस्तुत किए तकनीक आधारित शोधपात्र।
पलवल : हरियाणा के महामहिम राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि तकनीक और कौशल देश के विकास के लिए सबसे ज्यादा जरूरी हैं। तकनीक का यह ज्ञान विद्यार्थियों को हिंदी में भी मिलना चाहिए। महामहिम राज्यपाल शुक्रवार को श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ऑनलाइन माध्यम से मुख्यातिथि के रूप में बोल रहे थे। “तकनीकी और कौशल शिक्षा की परिवर्तनकारी गतिशीलता” विषय पर आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में फ्रांस, ओमान और नेपाल सहित विभिन्न देशों से कुल 87 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। तकनीक और कौशल पर आधारित सभी शोध पत्र हिंदी में लिखे गए हैं।
महामहिम राज्यपाल ने मुख्यातिथि के रूप में देश-विदेश से जुड़े विद्वानों को हिंदी में शोध पत्र प्रस्तुत करने पर बधाई दी और भविष्य में और अधिक शोध के लिए प्रोत्साहित किया। इस भव्य आयोजन के लिए उन्होंने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के नवाचारी कुलपति डॉ. राज नेहरू को बधाई देते हुए कहा कि यह बड़ा प्रयास है। भविष्य में इसके सुखद परिणाम सामने आंएगे। महामहिम राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय जी ने कहा हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में तैयार हुई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन की दिशा में यह बड़ा गंभीर और महत्वाकांक्षी प्रयास है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति कहती है कि इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई का विकल्प हिंदी में भी मिलना चाहिए। कुलपति डॉ. राज नेहरू के इस प्रयास को जितना सराहना की जाए उतनी कम है। इस सम्मेलन के माध्यम से विश्व भर के विद्वानों को इंजीनियरिंग, साइंस, ह्यूमैनिटीज, मैनेजमेंट और एग्रीकल्चर के क्षेत्र में हो रहे नए एवं अभिनव प्रयोगों के विषय में जानने का शुभ अवसर मिलेगा। प्रधानमंत्री श्री नरेंद मोदी जी देश को विकसित भारत बनाने का दृढ़ लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहे हैं। विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने में कौशल बहुत बड़ा महामंत्र है और श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय कौशल की अनुपम प्रयोगशाला है। महामहिम राज्यपाल ने इस सम्मेलन की संयोजक कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा, अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ और डीन प्रोफेसर ऋषिपाल को बधाई दी।
सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि हमने वर्क इंटीग्रेटेड मॉडल तैयार किया है, जिसमें 60 प्रतिशत हिस्सेदारी इंडस्ट्री की है। हम विद्यार्थियों में परफॉर्मेंस और संवाद के आधार पर विद्यार्थियों में आत्मविश्वास बढ़ा रहे हैं। कुलपति डॉ. राज नेहरू ने कहा कि हिंदी के प्रयोग से हम हायर एजुकेशन में ग्रोस एनरोलमेंट रेशो को बढ़ा सकते हैं। इसमें श्री विश्वकर्मा कौशल।विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किया गया रिकॉग्निशन ऑफ प्रायर लर्निंग बहुत कारगर सिद्ध हो रहा है।
विशिष्ट अतिथि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज के कुलाधिपति प्रोफेसर डी पी सिंह ने कहा कि हर विश्वविद्यालय को स्किल विश्वविद्यालय बनाए जाने की आवश्यकता है। शिक्षा का उद्देश्य समझने की जरूरत है। रोजगार के साथ श्रेष्ठ वैश्विक नागरिक बनाना हमारा उद्देश्य होना चाहिए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी आत्म ज्ञान की ओर प्रेरित करती है।
आईआईटी जोधपुर के संस्थापक निदेशक प्रोफेसर प्रेम कालरा ने कहा कि अच्छा इंसान बनना अच्छी स्किल है। उन्होंने इंटेलिजेंस पर गहन चर्चा करते हुए उसके विविध आयामों पर प्रकाश डाला। साथ ही प्रोफेसर कालरा ने सोचने का स्तर बढ़ाने का आह्वान किया।
स्वास्थ्य विभाग के महा निदेशक डॉ. रणदीप सिंह पूनिया ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करना अलग विषय है, लेकिन उसका क्रियान्वयन उत्कृष्ट है। ज्ञान प्राप्त कर उसे व्यवस्थित तरीके से क्रियान्वित करना ही सर्वोत्तम स्किल है।
इससे पूर्व कुलसचिव प्रोफेसर ज्योति राणा ने सभी अतिथियों का भावभीना स्वागत किया। अकादमिक अधिष्ठाता प्रोफेसर आर एस राठौड़ ने इस आयोजन में अपना सान्निध्य देने के लिए महामहिम राज्यपाल महोदय के प्रति आभार ज्ञापित किया।
इस अवसर पर हीरो मोटर कॉर्प के डीजीएम सुधांशु पाथि, एम एस डी ई के निदेशक डॉ. नवल अरोड़ा, जेबीएम ग्रुप से डॉ. राजीव शर्मा, ए आई सी टी ई की उप निदेशक डॉ. नीतू भगत, नेशनल स्किल नेटवर्क से डॉ. माधुरी दुबे और विभिन्न शिक्षण संस्थानों तथा उद्योग जगत के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते प्रोफेसर डीपी सिंह, कुलपति डॉ. राज नेहरू और निदेशक प्रोफेसर प्रेम कालरा।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर डीपी सिंह को स्मृति चिन्ह प्रदान करते कुलपति डॉ. राज नेहरू।
अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में उपस्थित शिक्षक, शोधार्थी, उद्योग जगत के लोग।
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