सदियों से सीवान टेराकोटा का रहा हैं हब
इंग्लैंण्ड तक जाता था मिट्टी का बर्तन
सिवान का 27 टेराकोटा सम्पन्न गांव
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
सीवान की प्राचीन विरासत को बचाने के लिए युवा चित्रकार रजनीश कुमार मौर्य ने टेराकोटा के मिट्टी के बर्तनों एवं कलाकृतियो का कार्यशाला व प्रदर्शनी लगाकर आमजन को जागरूक कर रहे हैं , ताकि मिट्टी के बर्तन निर्माण की महता को जाना व समझा जा सके, उन्होंने बताया कि सिवान के मिट्टी का बर्तन पटना म्यूजियम में रखा गया हैं मुगलकाल, अंग्रेजी शासन काल आदि में इसकी मांग इंग्लैंण्ड, ईरान अन्य देशों तक थी।
इतिहासकार कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि सिवान सदियों से मिट्टी के बर्तन के लिए विख्यात रहा हैं तथा तीन हजार वर्ष पूर्व सिवान जिले का 27 गांव प्राचीन समय में खूब सम्पन्न और शहर (टाउन ) के रूप में रहा।जहाँ मिट्टी से निर्मित समानों का क्रय विक्रय होता था जो रोजगार का उत्तम जरिया था।
जिसमें जीरादेई का 2 गांव तितिरा व मूइया तो अतिमत्वपूर्ण रहा है जिसे भारतीय पुरातत्व विभाग ने 2018 में अपने परीक्षण उत्खनन में काफी प्राचीन बताया तथा उत्खनन में एनबीपीडब्लू मिला तथा सारण डिस्ट्रिक्ट गजेटियर सहित दर्जनों ऐतिहासिक पुस्तकों ने इसे बुद्ध के जीवन काल से जोड़ा है जिसका प्रचुरमात्रा में पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध है तथा आज भी दो स्तूपनुमा गढ़ विद्यमान है जिसे “कैटलॉग ऑफ आर्कियोलॉजिकल साइट इन बिहार” भी मान रहा है तथा यहाँ टेराकोटा एवं पत्थर की बुद्ध मूर्तिया, वन देवी, मातृ देवी, बच्चों के खिलौने, मुहर एवं शिलालेख भी मिले है । श्री सिंह ने बताया कि केपी जायसवाल शोध संस्थान पटना के सर्वे एवं परीक्षण में उक्त 27 गांवों में प्राचीन डीह मिला तथा सभी जगहों पर एनबीपीडब्लू मिला है ।
उन्होंने बताया कि एनबीपीडब्लू मिट्टी के बर्तनों के प्रकार को संदर्भित करता है ।इसे “नॉर्दन ब्लैक पॉलिस्ड वेयर” कहते है जिसे हिंदी में उत्तरी कृष्ण मार्जित मृदभांड कहते है । इसका अवधी 700-200 ईसा पूर्व तक तथा पेंटेड ग्रेवेयर कल्चर और ब्लैक एंड रेड वेयर कल्चर के बाद का है । यह चिकना चमकदार प्रकार के बर्तन था जो महीन कपड़े से छाने मिट्टी से बना था जिसमें अमीर वर्ग के लोग भोजन करते थे ।
जीरादेई प्रखण्ड के तीतिरा ,मुइयां ,भैसाखाल ,मझवलिया, मिश्रौली लखराज (सीसहानि) 5 गांव ।
पचरुखी प्रखण्ड के पपौर एवं सोनापीपर 2 गांव ।
महराजगंज प्रखण्ड के बंगरा,मिश्रौलिया,नौतन 3 गांव ।
आंदर प्रखण्ड के मसुदहा
1 गांव ।
बड़हरिया प्रखण्ड के धानों,
पडरौना 2 गांव ।
गोरियाकोठी प्रखण्ड के गेहुंआ,गोरियाकोठी 2 गांव ।
गुठनी प्रखण्ड के बहेलिया,खरखरिया,सोहगरा,ताली बुजुर्ग 4 गांव ।
हसनपुरा प्रखण्ड के बलेथरी,तेलकत्थु
2 गांव ।
हुसैनगंज प्रखण्ड के गोपालपुर 1 गांव ।
मैरवा प्रखण्ड के इंग्लिश 1 गांव
नौतन प्रखण्ड के हँसुआ, सेमरिया,शाहपुर 3 गांव ।
सिसवन प्रखण्ड के बावन डीह 1 गांव ।
कुल 27 गांव थे।
उन्होंने बताया कि इस प्रकार पूरा सिवान जिला मिट्टी के बर्तन निर्माण में अग्रणी था जिसे टेराकोटा कला शैली भी कहा जा सकता है जिसका उद्गम सिवान रहा है, तथा रोजगार का उत्तम माध्यम था जिसे सिवान के युवा जिवंत करने में लगे हैं.
जहा कलाकार सुमित कुमार, अभिषेक कुमार, राजेश कुमार कुशवाहा, अश्विनी कुमार, शुभम कुमारी, निक्की कुमार, सलोनी कुमारी, संदली कुमारी, नेहा कुमारी, प्रकाश राम, विकास कुमार, गौरव कुमार, मनीषा कुमारी, राज कुमार, अरविंद कुमार, गौरव कुमार, आशुतोष नंदन, मिथलेश कुमार, कल्पना कुमारी, श्रेया झुनझुनवाला, श्रेया श्री कुशवाहा, उत्कर्ष, मुस्कान, अंशु कुमारी, नेहा कुमारी, पूजा कुमारी, अन्नू कुमारी, पूनम कुमारी, खुशी कुमारी, गुड़िया कुमारी, कुशाग्र श्रीवास्तव, अग्रिमा श्रीवास्तव आदि उपस्थित थे ।
इस खास मौके पर एम के सिंह, सुधीर श्रीवास्तव, सुनील अरोरा, डब्लू कुमार, मोनू गुप्ता, सरोज बाबू , कांति देवी, प्रीति कुमारी आदि उप
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