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चुनौती देकर भागने वाले गोविंदानंद को कोलकाता में भी पराजित घोषित किया गया

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@ शास्त्रार्थ की चुनौती देकर दूसरे मौके पर भी न पहुंचने पर दूसरे मध्यस्थ ने भी गोविन्दानन्द को पराजित घोषित किया

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

जयपत्र श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी ने जगतगुरु शंकराचार्य ज्योतिष्पीठाधीश्वर ज्योतिर्मठ बदरिकाश्रम हिमालय स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज को मठाम्नायसेतु महानुशासनम् के अनुसार अयोग्य बताते हुए उनका समर्थन करने वाले काशी के विद्वानों को मठाम्नायसेतु महानुशासनम् पर शास्त्रार्थ करने के लिए चुनौती दी थी । श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी की चुनौती को स्वीकार करते हुए डॉ० पी० एन० मिश्र ‘मंडन मार्तंड” ने शास्त्रार्थ के लिए उन्हें ३ विकल्प दिया था । प्रथम विकल्प के अनुसार श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी को श्री मिश्र जी से वाराणसी में शास्त्रार्थ करना था। परंतु श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी द्वारा वाराणसी से प्रव्रजन कर जाने के कारण नामित निर्णायिका महोदया के द्वारा कल श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी को पराजित और डॉ० पी० एन० मिश्र ‘मंडन मार्तंड” जी को विजयी घोषित दिया गया था।
श्री मिश्र जी द्वारा पूर्व में दी गई शर्त के अनुसार कल दिनांक 15.06.2024 को श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी को मेरे शंकर मठ हावड़ा में उपस्थित होकर श्री मिश्र जी से शास्त्रार्थ करना था परंतु दिनभर की प्रतीक्षा के बाद भी श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी यहाँ नहीं आए। आज भी मैंने और श्री मिश्र जी ने श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी की शंकर मठ में प्रतीक्षा की परंतु श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी आज भी नहीं उपस्थित हुए। ऐसी स्थिति में मैं निर्णायक डॉ० स्वामी प्रज्ञानानंद सरस्वती श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी को पराजित और डॉ० पी० एन० मिश्र जी को विजेता घोषित करता हूँ।

श्री गोविंदानंद सरस्वती स्वामीजी को शास्त्रार्थ का तीसरा अवसर महाशक्तिपीठ अँजोराधाम,भदोही में दिनांक 18 जुलाई 2024 को मिश्र जी ने दिया है जिसमें निर्णायक आचार्य किशोर कुणाल; पूर्व कुलपति कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा बिहार , पूर्व प्रशासक सह कार्य पदाधिकारी एवं पूर्व अध्यक्ष बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद पटना, श्री महावीर मंदिर पटना के संचालक न्यास के सचिव तथा पूर्व आ.ई.जी. सी. आई. एस. एफ. होंगे। उस दिन भी शास्त्रार्थ हेतु उक्त स्थल पर न आने पर निर्णायक कुणाल जी श्री गोविंदानंद सरस्वती जी को तीसरी बार पराजित घोषित कर देंगे।

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