यूजीसी-नेट को लेकर कंप्यूटर की बजाय पेन पेपर मोड में क्यों कराई गई परीक्षा?

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प्रिंटिंग, पैकेजिंग से लेकर कई जगह रहती है गड़बड़ी की आशंका

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

यूजीसी नेट की परीक्षा 2018 से कंप्यूटर से कराई जा रही थी, लेकिन इस बार एनटीए ने फैसला लिया कि परीक्षा पेन पेपर मोड में होगी। परीक्षा हुई और उसी दिन रद्द भी करनी पड़ी ,क्योंकि प्रश्नपत्र पांच पांच हजार में लीक हो चुका था। ऐसा नहीं कि कंप्यूटर पूरी तरह सुरक्षित है, वहां भी गड़बडि़यों की शिकायतें आ रही हैं, लेकिन एनटीए से विदा हो चुके पूर्व डीजी सुबोध कुमार व अन्य को इसका भी जवाब देना होगा कि पेन पेपर मोड पर वापस आने का कारण क्या था।

कहा जा रहा है कि पिछली बार कुछ हैकिंग की सूचनाएं आई थीं, लेकिन यह भी सच्चाई है कि पेन पेपर मोड में घुसपैठ और गड़बड़ी की ज्यादा आशंका होती है, क्योंकि तब प्रश्नपत्र प्रिंटिंग, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टेशन से लेकर भंडारण तक कई स्तरों से गुजरता है।

पेन-पेपर वाली परीक्षाएं होती हैं सॉफ्ट टारगेट

पेन-पेपर मोड में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाएं नकल माफिया के लिए इसलिए भी सॉफ्ट टारगेट होती है, क्योंकि यह परीक्षा एक लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरती है, जिसमें पेपर सेटिंग से लेकर उसकी प्रिंटिंग, पैकेजिंग,परिवहन और फिर उसे अलग-अलग शहरों के सेंटरों पर सुरक्षित रखने जैसी कई चुनौतियां होती है। इनमें से जिस स्तर पर भी शिथिलता बरती गई, वहीं इनमें सेंध लग जाती है।

नीट-यूजी परीक्षा में भी पेपर लीक की जो घटनाएं हुई हैं, उसमें पेपर को परिवहन के दौरान लीक करने की जानकारी सामने आई है। पेपर लीक करने का कोई एक इकलौता रास्ता नहीं है, बल्कि इनसे जुड़े गिरोह के तार पेपर सेट होने वाली जगह से लेकर उसको छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस तक फैले होते हैं। यदि इन स्तरों पर भी सफलता नहीं मिलती है तो पेपर लीक कराने का अंतिम विकल्प परीक्षा केंद्र होते हैं, जिसे गिरोह परीक्षा कराने वाली निजी एजेंसियों के साथ मिलकर बनवाते है। परीक्षा केंद्रों पर पेपर परीक्षा शुरू होने से तीन घंटे पहले पहुंच जाता है।

कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं में सेंध लगाना कठिन

परीक्षाओं से जुड़ी गड़बड़ी से बचने के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षाओं का चलन शुरू हुआ था, लेकिन अब तो यहां भी गिरोह सेंध लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं। यह बात अलग है कि पेन-पेपर वाली परीक्षा की जगह अभी कंप्यूटर के जरिए होने वाली परीक्षाओं में सेंध लगाना थोड़ा कठिन है, क्योंकि इस प्रक्रिया में परीक्षा शुरू होने के करीब आधा घंटा पहले ही पेपर कंप्यूटरों में अपलोड किया जाता है। ऐसे में उनके पास पेपर को पहले लीक करने का विकल्प नहीं रहता है।

एनटीए की ओर से इन परीक्षा में किसी तरह की हैकिंग को रोकने के लिए सर्किट और जैमर आदि लगाया जाता है, ताकि कंप्यूटरों के साथ कोई बाहरी छेड़छाड़ न हो सके। हालांकि सूत्रों का दावा है कि माफिया ने तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से इसमें सेंध लगाने का काम भी शुरू कर दिया है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले साल दिल्ली के एक होटल से एक विदेशी हैकर को पकड़ा गया है, जिसे परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली गैंग ने बुलाया था। वह उसकी मदद से एक सेंटर को हैक करने की योजना में थे।

सेंटर की मिलीभगत से बदल दी जाती है ओएमआर सीट

परीक्षा कराने वाली निजी एजेंसी से जुड़े एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि पेन-पेपर वाली परीक्षा में गड़बडि़यों का एक और रास्ता होता है, वह ओएमआर सीट होती है। जिसे परीक्षा के बाद बदल दिया जाता है। इस पूरी गड़बड़ी को बहुत ही होशियारी से अंजाम दिया जाता है, जिसमें छात्र को परीक्षा के दौरान एक डूप्लीकेट ओएमआर सीट दी जाती है, जिसे वह परीक्षा के दौरान दिखाने के लिए भरता रहता है, जबकि उसकी ओरिजनल सीट को केंद्र में एक जगह पर बैठकर कोई दूसरा भरता है। अंतिम समय में डुप्लीकेट सीट को निकालकर ओरिजनल सीट को जमा कर दिया जाता है। यह खेल भी केंद्रों पर मिलीभगत से अंजाम दिया जाता है।

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