क्यों नहीं थम रहा धार्मिक आयोजनों में भगदड़ का मामला ?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पुरी में जगन्नाथ रथयात्रा के दौरान भगदड़ मचने से 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। कुछ पुलिस कर्मचारी भी घटना में घायल हुए हैं। इससे पहले यूपी के हाथरस में भी एक सत्संग में भगदड़ मचने से कई लोगों की जान चली गई थी। धार्मिक आयोजनों में इस तरह भगदड़ मचने की घटनाएं नई नहीं हैं। हाल के समय में कई बार ऐसी स्थिति निर्मित हो चुकी है, जिसमें कई लोगों की जानें गई हैं। 2022 में भी माता वैष्णो देवी मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के कारण भगदड़ मची थी, जिसमें 12 श्रद्धालुओं की जान चली गई थी। 2008 में राजस्थान के जयपुर के चामुंडा मंदिर में बम की अफवाह से भगदड़ मचने से 250 लोगों की मौत हो गई थी।
लगातार होती आई हैं घटनाएं
एक अन्य घटना में इंदौर में रामनवमी के मौके पर एक मंदिर में हो रहे हवन कार्यक्रम में पुरानी बावड़ी पर बना स्लैब टूट गया था, जिसमें 36 लोगों की मौत हो गई थी। ऐसी घटनाओं का सिलसिला दशकों से जारी है। 2003 में महाराष्ट्र के नासिक जिले में कुंभ मेले में भगदड़ मचने से 39 लोगों की मौत हुई थी । वहीं, महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित मंधारदेवी मंदिर में भगदड़ में कुचल जाने की वजह से 2005 में 340 से अधिक लोगों की जान गई थी।
2008 में हिमाचल प्रदेश के विलासपुर जिले में नैना देवी मंदिर में अफवाह के कारण मची भगदड़ से 162 लोगों की मौत हुई थी। आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में गोदावरी नदी के किनारे घाट पर भगदड़ मचने के कारण 2015 में 27 तीर्थ यात्रियों की जान चली गई थी। हरिद्वार में हरकी पैड़ी घाट पर भगदड़ मचने की वजह से 2011 में 20 श्रद्धालुओं को जान गंवानी पड़ी थी।
2010 में उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में स्थित कृपालु महाराज के राम जानकी मंदिर में मची भगदड़ के दौरान 63 लोगों की मौत हुई थी। पटना के गांधी मैदान में भगदड़ मचने से 2014 में 32 लोगों की जान गई थी। बड़ी संख्या में ऐसी घटनाओं का होना बताता है कि धार्मिक आयोजनों में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित और ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है।
उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के सत्संग के बाद मची भगदड़ में कुचलने से 122 लोगों की मौत हो गई और कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। मरने वालों में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं।पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर लोगों की मौत का कारण दम घुटना है। वहीं हेड इंजरी, शॉक और हैमरेज की वजह से भी कुछ लोगों की मौत हुई है।
देश में भगदड़ की वजह से लोगों की मौत की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी भगदड़ की घटनाओं में हजारों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।रेलवे स्टेशन, धार्मिक आयोजन, मेले या चुनावी रैली जैसी भीड़भाड़ वाली जगहों पर इस तरह की घटना होने की आशंका सबसे ज्यादा रहती है।ये घटनाएं अचानक होती हैं। इस वजह से कई बार लोगों को बचने का भी मौका नहीं मिलता है। ऐसे में यह जानना भी जरूरी है कि अगर आप इस स्थिति में फंस जाए तो क्या करेंगे।
भगदड़ बेहद खतरनाक और घातक स्थिति होती है। किसी भी स्थल पर जब भीड़ उसकी क्षमता से अधिक हो जाती है और लोगों के पास निकलने का रास्ता नहीं होता है, भीड़ की वजह से लोगों को पैर रखने की जगह नहीं मिलती, ऐसी स्थिति में किसी तरह की अफवाह या दुर्घटना होने पर भीड़ बेकाबू हो सकती है। आयोजन स्थल पर भगदड़ का माहौल बन सकता है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के मुताबिक कोई भी ऐसी जगह जहां एक साथ हजारों-लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है तो वहां हर समय अनिश्चितता की स्थिति रहती है।
भीड़ की कोई शक्ल नहीं होती है। जरा-सी अफवाह से भगदड़ की स्थिति बन सकती है। एक बार भीड़ के भड़क जाने पर अफरा-तफरी का माहौल बन सकता है, फिर इसे कंट्रोल करना बेहद मुश्किल होता है। इसलिए आजोयकों को कोई भी समारोह आयोजित करने से पहले कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए।
भगदड़ में फंस जाने की स्थिति में NDMA द्वारा बचने के लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। जैसेकि-
- अगर आप भीड़ में हैं तो सबसे पहले धैर्य बनाएं रखें। ऐसा देखा गया है कि भगदड़ के दौरान घबराहट की वजह से कई लोग अपनी जान गवां देते हैं।
- हमेशा अपने आस-पास से निकलने वाले वैकल्पिक रास्तों पर नजर रखें, उन रास्तों के करीब रहें और अफरा-तफरी मचने की स्थिति में उस रास्ते की तरफ जाएं।
- आप कहां और किस जगह खड़े हैं, यह ध्यान रखें। गीली या ऊबड़-खाबड़ जगह से दूरी बनाएं। यह खतरनाक हो सकती है। ऐसी जगह पर फिसलकर भीड़ में दबने का खतरा रहता है।
- खुद के बचाव के लिए अपने हाथों को एक मुक्केबाज की तरह अपनी छाती के पास रखें।
- भगदड़ में सबसे खराब स्थिति तब होती है, जब भीड़ और किसी दीवार के बीच आप फंस जाए। इसलिए दीवार या बैरिकेड्स से दूर रहने की कोशिश करें क्योंकि भीड़ का दबाव तेजी से बढ़ने पर आप बीच में फंस सकते हैं।
- अगर आप भीड़ के धक्के से नीचे गिर जाते हैं और उठने में असमर्थ हैं तो अपने सिर को अपने हाथों से कसकर ढकें और करवट लेकर लेट जाएं।
- यह भी पढ़े……………
- आरा में SP ने 4 थानेदारों को हटाया, नए SHO की पोस्टिंग भी हुई, किस मामले में हुआ एक्शन?
- सिसवन की खबरें : सरयू नदी का जल स्तर 90 सेमी बढ़ा
- मोतिहारी में ऑर्केस्ट्रा में हथियार लहरा बनाया वीडियो, हुआ गिरफ्तार