मुख्तार को वापस नहीं ला सकते

खंडपीठ ने सिब्बल से कहा कि हम उन्हें वापस नहीं ला सकते हैं। आप यह अच्छी तरह समझते हैं। इस पर कपिल सिब्बल ने कहा कि इंसानों से इस देश में ऐसा बर्ताव नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अपनी याचिका में मांग में संशोधन के लिए भी आवेदन कर रहे हैं।

चार सप्ताह में यूपी सरकार दाखिल करेगी जवाब

याचिका पर नोटिस जारी करने वाली खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश एडीशनल सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं। उन्हें इसके लिए चार हफ्ते का समय दिया गया है। इसके बाद सिब्बल ने खंडपीठ को बताया कि याचिकाकर्ता का आरोप है कि उनके पिता को खाने में जहर दिया गया है।

खंडपीठ ने मुख्तार अंसारी को जेल में पर्याप्त इलाज नहीं देने के आरोप का संज्ञान लिया है। उल्लेखनीय है कि विगत 28 मार्च को मऊ सदर से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी का उत्तर प्रदेश में बांदा के एक अस्पताल में इलाज के दौरान कार्डियक अरेस्ट से निधन हो गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने आज गैंगस्टर से नेता बने मुख्तारी अंसारी के बेटे उमर अंसारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में उन्होंने दलील दी थी कि उनके पिता की जान को खतरा है। साथ ही उमर ने यह मांग भी की थी कि ऐसे में मुख्तार को यूपी के बाहर किसी भी जेल में शिफ्ट किया जाए। गौरतलब है कि ये याचिका साल 2023 में दाखिल की गई थी। उस वक्त मुख्तार जीवित थे। इसी साल 28 मार्च को दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार की मौत हो गई थी।

शीर्ष अदालत की जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान उमर अंसारी ने आरोप लगाया कि उनके पिता को जेल में जो खाना दिया जा रहा था उसमें ‘जहर’ था। इतना ही नहीं उन्हें जरूरी चिकित्सा उपचार भी नहीं दिया गया, जिसके कारण हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई।

उमर अंसारी का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि हम बस इतना कह सकते हैं कि हमें जिसका डर था, वही हुआ। इस पर पीठ ने कहा कि हम उन्हें वापस नहीं ला सकते। आप यह अच्छी तरह से जानते हैं।  साथ ही कहा कि याचिकाकर्ता ने मुठभेड़ जैसी स्थिति की आशंका जताई थी।

इस पर सिब्बल ने कहा कि इस मामले में जांच की जानी चाहिए। सिब्बल ने कहा कि इस देश में इंसानों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जा सकता है। इस दौरान सिब्बल ने पीठ को यह भी बताया कि उन्होंने याचिका में की गई प्रार्थना में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है।

पीठ ने आवेदन पर नोटिस जारी करते हुए उत्तर प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से कहा कि वह इस पर अपना जवाब दाखिल करे। पीठ ने नटराज को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया।

गौरतलब है कि उमर अंसारी ने मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश के बाहर किसी भी जेल में स्थानांतरित करने का निर्देश देने की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का रुख किया था। इसमें उन्होंने कहा था कि मुख्तार को जीवन के लिए गंभीर खतरे की आशंका है। इस याचिका में कहा गया है कि मुख्तार अंसारी की राजनीतिक संबद्धताओं को देखते हुए उनके विरोधियों द्वारा उन्हें जान से मारने की पहले भी कई कोशिशें की गईं हैं। इनके तहत उन पर पांच बार हमला किया जा चुका है।

बता दें कि मुख्तार अंसारी साल 2005 से जेल में बंद था और उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। बांदा जेल में रहने के दौरान मुख्तार अंसारी की तबीयत बिगड़ी और उसे 28 मार्च की रात इलाज के लिए रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया। जहां इलाज के दौरान दिल का दौरा पड़ने से मुख्तार अंसारी की मौत हो गई थी।  मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रहे मुख्तार अंसारी को 30 मार्च को सुपुर्द ए खाक किया गया था।