चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के हादसे के पीछे साजिश की आशंका
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
उतरप्रदेश के गोंडा में चंडीगढ़ डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के हादसे के पीछे साजिश की आशंका भी सामने आ रही है। ट्रेन के लोको पायलट के अनुसार हादसे से ठीक पहले उसने धमाके की आवाज सुनी थी। लोको पायलट की सूचना के बाद रेलवे प्रशासन ने कई एंगल पर जांच शुरू कर दी है। पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज सिंह के अनुसार सीआरएस (कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी) की जांच कराई जाएगी। हादसे में अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। छह लोग गंभीर रूप से घायल हैं। सीएम योगी ने मामले का संज्ञान लिया है। योगी सरकार में राज्यमंत्री भी मौके पर पहुंचे हैं।
गोंडा-गोरखपुर रेलमार्ग पर मोतीगंज के रामपुर गांव के पास दोपहर करीब तीन बजे चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की कई बोगियां पटरी से उतर गईं। इनमें पांच बोगियां पलट गई थीं। रेलवे व पुलिस फोर्स मौके पर पहुंच गई और घायलों को अस्पताल भेजा गया। गंभीर रूप से घायल लोगों को लखनऊ भेजा गया है। डीएम नेहा शर्मा भी मौके पर पहुंचीं। उन्होंने चार लोगों की मौत की बात कही थी। हालांकि अन्य अफसर दो लोगों की मौत की बात कह रहे हैं। कई यात्रियों को डिब्बों से शीशे तोड़कर बाहर निकाला गया है।
मनकापुर-गोंडा के बीच झिलाही स्टेशन के पास हादसा हुआ है। चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस को चला रहे लोको पायलट ने खुलासा किया है कि हादसे के पहले उन्होंने धमाके की आवाज सुनी थी। इसकी पुष्टि पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने की है। दुर्घटना की कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी जांच के आदेश दिए गए हैं। वहीं, रेल मंत्रालय ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख, गंभीर रूप से घायल यात्रियों के लिए ढाई-ढाई लाख और सामान्य घायलों के लिए 50-50 हजार रुपये आर्थिक सहायता की घोषणा की है।
पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज सिंह ने हादसे में दो यात्रियों के मरने की पुष्टि की है, जबकि 25 यात्री घायल हुए हैं। दो यात्रियों के पैर कट गए हैं। ज्यादातर घायल यात्री एसी कोच के हैं। जानकारी के अनुसार ट्रेन (15904) चंडीगढ़ से डिब्रूगढ़ जा रही थी। ट्रेन बुधवार रात 11.39 बजे चंडीगढ़ से रवाना हुई थी और गुरुवार दोपहर 2.37 बजे दुर्घटनाग्रस्त हो गई। हादसा झिलाही स्टेशन के गोसाई डिहवा में हुआ, जिसकी अयोध्या से 30 किलोमीटर और लखनऊ से 129 किलोमीटर दूरी है। दुर्घटना में एसी के तीन कोच समेत 15 बोगियां पटरी से उतरी हैं। इनमें से तीन पलट गईं।
सीआरएस जांच के आदेश
सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि ट्रेन हादसे की सीआरएस (कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी) जांच के आदेश दिए गए हैं। इसके बाद हादसे के कारणों का पता चला सकेगा। हालांकि, लोको पायलट के अनुसार प्रथमदृष्टया धमाका होने के बाद हादसे की बात कही जा रही है।
मौके पर राहत और बचाव कार्य जारी है। यह बीते एक महीने के अंदर दूसरा ऐसा ट्रेन एक्सीडेंट है जिसमें यात्रियों को जान गंवानी पड़ी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इतनी जल्दी जल्दी हो रहे हादसों के पीछे सिस्टम का फेल्योर है या फिर कोई साजिश?
इसी साल पीएम मोदी 3.0 और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव 2.0 में 17 जून को न्यूजलपाईगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस को मालगाड़ी ने पीछे से टक्कर मार दी थी। इस हादसे में 10 लोगों की जान गई थी तो वहीं 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। हादसे की जांच में पता चला है कि सिग्नल तीन घंटे से ख़राब था। जिसकी वजह से यह रेल हादसा हुआ। लेकिन गोंडा में डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के 12 डिब्बे पटरी से डीरेल होने के पीछे वजह अभी साफ नहीं हो सकी है। हादसे की जांच होगी तब शायद इसके पीछे के कारणों का खुलासा हो सकेगा।
रेल मंत्री के जन्मदिन पर हादसा
वहीं, कुछ लोग इस हादसे को साजिश करार देने लगे हैं। इसके पीछे जो भी तर्क दिए जा रहे हैं वह आपको हैरान कर देंगे। सोशल मीडिया पर एक धड़ा यह कह रहा है कि अश्विनी वैष्णव के जन्मदिन के दिन यह हादसा हुआ है इसलिए यह साजिश हो सकता है सरकार को इसकी जांच करनी चाहिए।
इसके साथ ही कुछ वीडियो भी वायरल हो रहे हैं। जिनमें दावा किया जा रहा है कि ट्रेन को पटरी से उतारने के लिए पटरी पर लोहे की रॉड और पत्थर वगैरह डाले जा रहे हैं। जिससे ट्रेन डीरेल हो जाए। उधर रेलवे ने भी दावा किया है कि डिब्बों के डीरेल होने से पहले धमाका हुआ था। यानी कि हो सकता है कि ट्रैक पर रॉड या विस्फोटक वगैरह रखा गया हो!
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