डेंगू माह और वेक्टर जनित रोग से संबंधित समीक्षात्मक बैठक हुआ आयोजन 

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डेंगू जैसी बीमारी के रोकथाम में प्रभावी टीकाकरण के साथ ही जागरूक होना जरूरी: डॉ दिलीप कुमार

जन भागीदारी के साथ सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता अभियान शुरू होना चाहिए: उपाधीक्षक

जिले के सभी अस्पतालों में डेंगू जांच और मरीजों के लिए बेड सुरक्षित: डीपीएम

श्रीनारद मीडिया, छपरा, (बिहार):

राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) एक व्यापक कार्यक्रम है जिसमें जापानी एन्सेफलाइटिस (जेई), डेंगू, काला- अजार, फाइलेरिया, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर जनित बीमारियों को रोकने और नियंत्रित करने के लिए शुरू किया गया था। जिसको लेकर डेंगू माह और वेक्टर जनित रोग यथा- डेंगू, मलेरिया, कालाजार, चिकनगुनिया से संबंधित समीक्षात्मक बैठक का आयोजन सदर अस्पताल परिसर स्थित मलेरिया कार्यालय में जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार के अध्यक्षता में आयोजित की गई। कालाजार छिड़काव और इससे संबंधित विगत पांच वर्षो का आंकड़ा संग्रहित करने के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है।

 

डेंगू जैसी बीमारी के रोकथाम में प्रभावी टीकाकरण के साथ ही जागरूक होना जरूरी: डॉ दिलीप कुमार
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार ने कहा कि वेक्टर जनित रोग मच्छरों, टिक्स और सैंडफ्लाई जैसे संक्रमित कीटों के काटने से होता हैं, जो वाहक के रूप में कार्य करते हैं। इनमें से अधिकांश वेक्टर ऐसे कीट हैं जो मानव का रक्त चूसते हैं, जो तब होता है जब रोगज़नक़ संचरण होता है। प्रत्येक वर्ष बरसात के मौसम में हम सभी को डेंगू बुखार के प्रसार के प्रति सतर्क रहना चाहिए। क्योंकि यह बीमारी के वाहक मच्छरों की बढ़ती संख्या के साथ तेज़ी से वायरल हो जाता है। कभी कभी तो डेंगू बुखार जानलेवा साबित हो जाता है, इसलिए यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इससे बड़ी संख्या में लोग मर जाते हैं। इसलिए बीमारी और इसकी रोकथाम के बारे में जानकारी के साथ ही प्रभावी टीकाकरण और बीमारी के जोखिम और गंभीरता को कम करता है।

 

जन भागीदारी के साथ सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता अभियान शुरू होना चाहिए: उपाधीक्षक
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ आरएन तिवारी ने कहा कि वेक्टर जनित रोग में कई प्रकार की बीमारियों को शामिल किया गया है। जिसमें मुख्य रूप से डेंगू जैसी बीमारी भी शामिल है। लेकिन इसके लिए जन भागीदारी के साथ लोगों व समुदायों को प्रेरित करने और जन अभियान को शुरू करने का आह्वान किया जाना चाहिए। जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके घर, परिसर और पड़ोस मच्छरों से मुक्त हों। सबसे अहम बात यह है कि रोगाणु (वेक्टर) नियंत्रण और उन्मूलन को लेकर जन अभियान शुरू करने के लिए “जन भागीदारी” महत्वपूर्ण है। डेंगू बुखार को सीधे तौर पर ठीक करने के लिए कोई विशेष दवा नहीं है। लेकिन लक्षणों और उनकी गंभीरता का इलाज किया जाता है। इस संबंध में जितनी जल्दी जानकारी और पहचान की जाती है, उतना ही जल्दी स्थिति को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

 

जिले के सभी अस्पतालों में डेंगू जांच और मरीजों के लिए बेड सुरक्षित: डीपीएम
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम अरविंद कुमार ने बताया कि डेंगू जैसी बीमारी से निबटने के लिए जिलाधिकारी अमन समीर के मार्गदर्शन और सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा के दिशा निर्देश के आलोक में सदर अस्पताल में 10 बेड, अनुमंडलीय अस्पताल में पांच जबकि प्रखंड स्तरीय अस्पताल में दो- दो बेड सुरक्षित रखा गया है। ताकि डेंगू मरीज़ को किसी तरह से कोई परेशानी नही हो। हालांकि सदर अस्पताल में डेंगू की जांच एनएस- 1 एलाइजा से कराई जाती है। वही प्रखंड स्तरीय अधिकारियों से अस्पताल में आने वाले संदिग्ध मरीजों का रक्त संग्रह कर उसके नमूने को सदर अस्पताल यथा शीघ्र भेजने का आवश्यक दिशा निर्देश दिया गया है। फिलहाल जिले में डेंगू के दो मरीजों का इलाज चल रहा है। वही हॉट स्पॉट इलाकों की पहचान कर ली गई हैं जहां डेंगू के अधिक मरीज आने की संभावना रहती है।

इस अवसर पर जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार, सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ आरएन तिवारी, डीपीएम अरविंद कुमार, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, डीवीबीडीसी सुधीर कुमार सिंह, सिफार के डीपीसी धर्मेंद्र रस्तोगी, वीडीसीओ अनुज कुमार, शशि रंजन कुमार, पंकज तिवारी, सतीश कुमार, मीनाक्षी सिंह, सुमन कुमारी, एफएलए मोहम्मद शाकिब अयाज, डेटा ऑपरेटर आनंद कुसमाकर के अलावा जिले के सभी वीबीडीएस उपस्थित थे।

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