UPSC अध्यक्ष मनोज सोनी के त्याग पत्र पर कांग्रेस हुई हमलावर

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कांग्रेस ने दावा किया है कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के अध्यक्ष मनोज सोनी का इस्तीफा संस्था के भीतर चल रही अंदरूनी गड़बड़ियों की वजह से लिया गया है। पार्टी के अनुसार यूपीएससी में फर्जी प्रमाणपत्रों के जरिए सिविल सेवा में चयन जैसी गंभीर चिंताजनक घटनाएं इस संस्था की साख, अखंड़ता और स्वायत्तता पर गहरे सवाल खड़े करती हैं।

मल्लिकार्जुन खरगे ने बताया यह कारण

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तो आरोप लगाया कि भाजपा-आरएसएस व्यवस्थिति तरीके से संवैधानिक निकायों पर संस्थागत कब्जे में जुटी है और यूपीएससी में हुए कई घोटाले राष्ट्रीय चिंता का विषय हैं। कांग्रेस ने यूपीएससी अध्यक्ष मनोज सोनी के व्यक्तिगत कारणों के आधार पर इस्तीफा देने के दावे को खारिज करते हुए कहा कि सच यह है कि उन्हें पूजा खेडकर के फर्जी चयन मामले के सामने आने के बाद पद छोड़ने को कहा गया है।

खरगे ने यूपीएससी विवाद पर मोदी सरकार को घेरा

यूपीएससी विवाद और सोनी के इस्तीफे पर मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पोस्ट पर बयान जारी करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्री को अपनी गलती स्वीकार करनी चाहिए। जाति और मेडिकल प्रमाण पत्र में फर्जीवाड़ा करने वाले अयोग्य व्यक्तियों के कई मामलों ने पूर्ण सुरक्षित व्यवस्था को धोखा दिया है। यह सिविल सेवा की तैयारी में दिन रात जुटे एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस उम्मीदवारों सहित लाखों मेधावी उम्मीदवारों की वास्तविक आकांक्षाओं का सीधा अपमान है।

यूपीएससी विवाद मामले में जांच की मांग

यूपीएससी में गड़बड़ियों की उच्चतम स्तर पर गहन जांच की मांग करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भविष्य में यूपीएससी प्रवेश में धोखाधड़ी के ऐसे मामले न हों यह सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि यूपीएससी की प्रक्रियाओं में गड़बड़ी की खबरें बहुत हैरान करने वाली हैं और लाखों युवाओं के सपनों और उनके विश्वास पर चोट करती है।

यूपीएससी देश की सबसे नामी परीक्षा है जिससे निकले लोग शासन व्यवस्था के सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ होते हैं। देश के करोड़ों लोगों का भरोसा और हमारे रोजमर्रा के शासन-प्रशासन का कामकाज इस संस्था की पेशेवर प्रणाली से जुड़ा है। उन्होंने खुद देखा है कि इस परीक्षा के लिए युवा कितनी मेहनत, आंखों में ढेर सारे सपने लिए और दिल में लगन के साथ तैयारियां करते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन सवालों का जवाब जनता और यूपीएसी की तैयारी करने वाले युवाओं को मिले।

क्या इसके लिए यूपीएसी के उच्च पदों पर राजनीतिक नियुक्तियों से आए लोग जिम्मेदार हैं? यदि हां तो उन पर कार्रवाई कब? जिस सिस्टम में एक-एक नंबर के चलते उच्च स्तर का कंपटीशन होता है, उसमें क्या केवल सतही तौर पर जांच करके पल्ला झाड़ना उचित है? नकली सर्टिफिकेट का सिस्टम एससी, एसटी, ओबीसी, विकलांग व ईडब्लूएस वर्ग के परीक्षार्थियों को मिलने वाले मौके पर चोट करता है। क्या सर्टिफिकेट जांचने की कोई ठोस संस्थागत प्रणाली विकसित नहीं की जा सकती?

प्रियंका और जयराम रमेश ने भी उठाए सवाल

प्रियंका ने यह सवाल भी उठाया कि यूपीएससी प्रणाली को और अधिक पारदर्शी व प्रामाणिक बनाने के लिए बदलावों की सख्त जरूरत है, क्या इस पर विचार नहीं किया जाना चाहिए। ये सवाल देश के शासन-प्रशासन के प्रति भरोसे और हमारे करोड़ों युवाओं के सपनों से जुड़े सवाल हैं। इस पर सरकार से जवाब आना जरूरी है।

कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि 2014 से सभी संवैधानिक निकायों की पवित्रता, चरित्र, स्वायत्तता को बहुत नुकसान पहुंचा है लेकिन कई बार तो स्वयंभू गैर-जैविक प्रधानमंत्री को भी बहुत हो गया कहने पर मजबूर होना पड़ता है। पीएम मोदी ही 2017 में गुजरात से अपने पसंदीदा ‘शिक्षाविदों’ में से एक मनोज सोनी को यूपीएससी का सदस्य और फिर 2023 में अध्यक्ष बनाया। जयराम ने कहा इस्तीफे के कारण जो भी बताए जाएं यह स्पष्ट है कि यूपीएससी से जुड़े मौजूदा विवाद को देखते हुए ही सोनी को बाहर किया गया है।

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