प्रदर्शन के बीच आरक्षण के फैसले को पलटा- बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बांग्लादेश में हो रहे हिंसक प्रदर्शन के बीच वहां के सुप्रीम कोर्ट ने आज एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली में कटौती कर दी है। इस कोटे की वजह से देशभर में अशांति फैल गई और पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच घातक झड़पें हुईं, जिनमें कई लोग मारे गए।

30 फीसदी कोटे के फैसले को पलटा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 93 फीसद सरकारी नौकरियों को योग्यता आधारित प्रणाली के आधार पर आवंटित करने का आदेश दिया, जबकि शेष 7 फीसद नौकरियां 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम में लड़ने वाले सेनानियों के रिश्तेदारों और अन्य श्रेणियों के लिए छोड़ी गईं। इससे पहले, इस प्रणाली ने युद्ध के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए 30 फीसद ऐसी नौकरियों को आरक्षित किया था।इसी कोटे के खिलाफ पूरे देश में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, छात्रों की मांग थी कि ये आरक्षण  खत्म होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला कई हफ्तों के हिंसक प्रदर्शनों के बाद आया है। ज्यादातर प्रदर्शन छात्रों के नेतृत्व में हो रहे थे, जो मंगलवार को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद घातक हो गए। पुलिस ने सड़कों और विश्वविद्यालय परिसरों में पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और रबर की गोलियां चलाईं और धुएं के ग्रेनेड फेंके।यहां तक कि हिंसा को देखते हुए सरकार ने कि पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया और पुलिस को किसी भी प्रदर्शनकारी को देखते ही गोली मारने तक का आदेश दे दिया।

135 लोगों की जा चुकी जान

बांग्लादेशी अधिकारियों ने मृतकों और घायलों की कोई आधिकारिक संख्या साझा नहीं की है, लेकिन समाचार पत्रों के आंकड़ों के अनुसार इस हिंसक प्रदर्शन में अब तक कम से कम 135 लोग मारे गए हैं।

पड़ोसी देश के बिगड़ते हालात को देखते हुए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने इन छात्रों की सुरक्षित वापसी में मदद के लिए बंगाल में भारत- बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपने अधिकार क्षेत्र में स्थित विभिन्न भूमि चेकपोस्टों आइसीपी पेट्रापोल, घोजाडांगा एलसीएस गेदे और महादीपुर में विशेष सहायता डेस्क स्थापित किए हैं।

572 भारतीय छात्रों के साथ नेपाली छात्रों की भी मदद की

दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के प्रवक्ता व डीआइजी अमरीश कुमार आर्य ने रविवार को एक बयान जारी कर बताया कि अभी तक बीएसएफ ने 572 भारतीय छात्रों, 133 नेपाली छात्रों और चार भूटानी छात्रों की सुरक्षित वापसी में पूरी सहायता की है।

बीजीबी से लगातार संपर्क में है बीएसएफ : डीआइजी

बीएसएफ डीआइजी ने बताया पड़ोसी देश में बिगड़ते हालात के मद्देनजर बीएसएफ बार्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) के साथ लगातार संपर्क में है। इस समन्वय के चलते रात के समय में भी छात्रों की सुरक्षित निकासी सुनिश्चित की जा रही है।

उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया को बढ़ाने के लिए उत्तर 24 परगना जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित दक्षिण एशिया के सबसे बड़े एकीकृत जांच चौकी (आइसीपी) पेट्रापोल में इमिग्रेशन डेस्क को 24 घंटे खुला रखने का निर्माण लिया गया है। जिससे घर लौटने वाले सभी छात्रों के लिए निरंतर और सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित होगा।

अधिकारी ने बताया कि संकट के मद्देनजर बीएसएफ और बीजीबी ने निकासी को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए एक मजबूत और सहयोगी दृष्टिकोण बनाए रखा है। सभी एलसीएस और आइसीपी पर बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी हाई अलर्ट पर हैं, यह सुनिश्चित करते हुए कि प्रत्येक छात्र को आवश्यक सहायता और सहयोग मिले।

छात्रों की सुरक्षा और भलाई सर्वोच्च प्राथमिकता

बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि छात्रों की सुरक्षा और भलाई सर्वोच्च प्राथमिकता है और उनकी सुविधाओं  के लिए भूमि सीमा चेकपोस्टों पर अतिरिक्त सुविधाओं की व्यवस्था की गई है।दूसरी ओर, बांग्लादेश में हिंसा और आगजनी की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए घुसपैठियों और अराजक तत्वों के अनधिकृत प्रवेश और सीमा पर अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए भी बीएसएफ जवानों को आइसीपी पेट्रापोल सहित सभी चेकपोस्टों और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हाई अलर्ट पर रखा गया है।

बीएसएफ डीआइजी आर्य ने इस बात पर जोर दिया कि बीएसएफ, बीजीबी के साथ समन्वय में प्रत्येक छात्र की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। नेपाली और भूटानी छात्रों को दी जा रही सहायता भी जरूरत के समय पड़ोसी देशों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों और एकजुटता को उजागर करती है।

बता दें कि हिंसा और आगजनी की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर बांग्लादेश सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए इंटरनेट सेवा को भी पूरी तरह से बंद कर दिया है।

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