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अपर सेशन जज ,स्पेशल कोर्ट (पी सी एक्ट )मेरठ को मदरसा में छात्रवृत्ति गबन के मामले में अंतिम रिपोर्ट पर 3 सप्ताह में निर्णय लेने का  दिया आदेश

अपर सेशन जज ,स्पेशल कोर्ट (पी सी एक्ट )मेरठ को मदरसा में छात्रवृत्ति गबन के मामले में अंतिम रिपोर्ट पर 3 सप्ताह में निर्णय लेने का  दिया आदेश

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

मेरठ : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मेरठ के छात्रवृत्ति वितरण को लेकर 13 साल पहले हुए घोटाले में आरोपी वरिष्ठ सहायक संजय त्यागी की याचिका पर 10 साल से विचाराधीन अंतिम रिपोर्ट पर 3 सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश पारित किया है।

।यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की अदालत ने याची की ओर से दाखिल याचिका पर याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया. ।

याची संजय त्यागी ,तत्तकालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम ,व गुडविन हर्ररा ,मेरठ के संचालक मोहम्मद ताहिर के खिलाफ छात्रवृति वितरण में 41 लाख साठ हजार रुपये का भ्रष्ट्राचार किये जाने की शिकायत पर मुकदमा पंजीकृत कराया गया था । जांच के दौरान शिकायतकर्ता ने बयान दिया कि किसी ने उसके लेटर का फर्जी तरीके से दुरुपयोग कर फर्जी हस्ताक्षर बनाकर शिकायत की है। बच्चों के बयान मय शपथपत्र, मैनेजमेंट के खातों में पैसे भेजे जाने की पुष्टि होने व अन्य सबूतों के आधार पर कोई अपराध न पाए जाने पर विवेचना अधिकारी ने मुकदमे में अंतिम रिपोर्ट वर्ष 2014 में लगा दिया था। अंतिम रिपोर्ट लंबित रहते हुए आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन ने 2017 में न्यायालय से अनुमति लेकर पुनः जांच में मुखबिर के द्वारा बताए जाने पर भ्रष्टाचार किए जाने की धारा लगाते हुए विवेचना अधिकारी ने याची संजय त्यागी ,अध्यापक दीन मोहम्मद, उम्मीद अली के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किए जाने के विरुद्ध याचिका दाखिल कर न्यायालय के संज्ञान लिए जाने के आदेश को चुनौती दी है ।

याची की ओर से अधिवक्ता सुनील चौधरी ने बताया कि अंतिम रिपोर्ट दाखिल होने के पश्चात बिना उस पर निर्णय लिए अग्रिम विवेचना किये जाने के आदेश पर आरोपपत्र दाखिल नही किया जा सकता ,याची के विरुद्ध बिना प्राधिकारी अधिकारी जिला विकाश अधिकारी की अनुमति के मुकदमा पंजीकृत कराया गया है और विभागीय जांच में आरोपी पर गबन का कोई आरोप साबित न होने पर उसे सवेतन बहाल कर दिया गया जबकि वर्ष 2005 में मुख्य सचिव के द्वारा कर्मचारियों / अधिकारियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराए जाने से पूर्व विभागीय जांच में दोषी पाए जाने पर ही प्राधिकारी नियुक्त अधिकारी से अनुमति लेकर मुकदमा पंजीकृत कराने का आदेश था और वादी एस एन पांडेय जो कि वर्ष 2012 में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम के ट्रांसफर होने के बाद मेरठ में कार्यरत रहे और उन्ही की जांच पर अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ,शासन ने वसूली कराते हुए मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था। जबकी वादी एस एन पांडेय तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी को पिछले 10 साल से नोटिस जारी हुई है लेकिन आज तक न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नही दाखिल किया ।

मामला मेरठ जिले का है वर्ष 2010-11 में सरकार द्वारा मदरशो के प्रबंधको के खाते में छात्रवृत्ति के चार करोड रुपए ट्रांसफर किए गए थे इसके वितरण में पाई गई अनियमिताओं के कारण तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी श्रीमती सुमन गौतम और कार्यालय के लिपिक संजय त्यागी समेत कई मदरसा संचालकों के खिलाफ 98 मुकदमे मेरठ जिले में दर्ज किए गए थे ।मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन मेरठ को सौंपी गई। इस चर्चित घोटाले में सह आरोपी वर्तमान सहारनपुर जिले की अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी सुमन गौतम को झूठा फसाये जाने पर पूर्व में हाइकोर्ट के द्वारा उनके खिलाफ किसी भी उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा चुकी है।

याची के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट केस विनय त्यागी बनाम इरशाद अली @ दीपक का हवाला देते हुए कहा कि अन्तिम रिपोर्ट पर निर्णय लिया जाए ।जिस पर न्यायालय ने अपर सेशन जज ,स्पेशल कोर्ट (पी सी एक्ट )मेरठ को 3 सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश दिया।

 

 

 

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