गठबंधन राजनीति के बीच राजकोषीय संघवाद का क्या भविष्य है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत में राजकोषीय संघवाद (Fiscal federalism) केंद्र और राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता के बीच संतुलन बनाए रखने तथा संसाधनों का समतामूलक वितरण सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह स्थानीय निर्णय-निर्माण और जवाबदेही को बढ़ावा देकर लोकतांत्रिक शासन को सुदृढ़ करता है, साथ ही क्षेत्रीय असमानताओं को दूर करता है और सहकारी संघवाद (cooperative federalism) को बढ़ावा देता है।
भारतीय संविधान ने सुदृढ़ राजकोषीय संघवाद की परिकल्पना करते हुए क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने के लिये साझा करों और अनुदान सहायता जैसे तंत्रों की स्थापना की है, जिन्हें विशिष्ट अधिदेशों के साथ वित्त आयोग जैसे संस्थागत ढाँचे द्वारा पूरकता प्रदान की गई है।
योजना आयोग की समाप्ति, नीति आयोग की स्थापना, GST के लिये संवैधानिक संशोधन और 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप कर हस्तांतरण में वृद्धि जैसे महत्त्वपूर्ण सुधारों ने संघ और राज्यों के बीच राजकोषीय संबंधों को मौलिक रूप से बदल दिया है।
वर्ष 2024-25 के लिये केंद्रीय बजट का लक्ष्य भारतीय स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष (2047) तक ‘विकसित देश’ का दर्जा हासिल करने को प्राथमिकता देना है। इस दिशा में आगे बढ़ने के लिये सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना आवश्यक है, जिसे गठबंधन लोकतंत्र में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस प्रकार, गठबंधन की गतिशीलता को चिह्नित करते हुए नवीन बजट में राजनीतिक समर्थन के लिये प्रमुख सहयोगी दलों की मांगों को समायोजित करने का भी प्रयास किया गया है।
केंद्र-राज्य वित्तीय संबंधों से संबंधित प्रमुख संवैधानिक उपबंध:
- संवैधानिक ढाँचा (भाग XII):
- भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच करों, गैर-कर राजस्व, उधार लेने की शक्तियों एवं अनुदान-सहायता के वितरण को नियंत्रित करने वाले व्यापक उपबंधों का वर्णन किया गया है।
- अनुच्छेद 268 से 293 विशेष रूप से वित्तीय संबंधों को संबोधित करते हैं, जहाँ राजकोषीय लेनदेन और आवंटन के तंत्र को रेखांकित किया गया है।
- अनुच्छेद 269A (वस्तु एवं सेवा कर – GST):
- GST को संविधान (101वें संशोधन) अधिनियम, 2016 द्वारा पेश किया गया था।
- अनुच्छेद 269A में कहा गया है कि अंतर-राज्यीय व्यापार या वाणिज्य के अनुक्रम में प्रदाय पर वस्तु एवं सेवा कर (GST) भारत सरकार द्वारा उदगृहीत और संगृहीत किया जाएगा तथा ऐसा कर उस रीति में, जो संसद द्वारा, विधि द्वारा, वस्तु एवं सेवा कर परिषद की अनुशंसा पर उपबंधित की जाए, संघ और राज्यों के बीच प्रभाजित किया जाएगा।
- अनुच्छेद 275 (उत्तर हस्तांतरण राजस्व घाटा अनुदान):
- अनुच्छेद 275 के तहत, केंद्र सरकार विशिष्ट उद्देश्यों या योजनाओं के लिये राज्य सरकारों को धनराशि हस्तांतरित करने के लिये विवेकाधीन अधिकार का प्रयोग करती है, तथा जहाँ आवश्यक हो, वित्तीय सहायता सुनिश्चित करती है।
- अनुच्छेद 280 (वित्त आयोग):
- संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित वित्त आयोग केंद्र और राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण की अनुशंसा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- वित्त आयोग कर हस्तांतरण के अलावा राज्य के वित्त को बढ़ाने, राजकोषीय अनुशासन को बढ़ावा देने और समग्र राजकोषीय स्थिरता सुनिश्चित करने पर भी सलाह देता है।
- सातवीं अनुसूची
- संविधान की सातवीं अनुसूची केंद्र और राज्यों के बीच कराधान शक्तियों को रेखांकित करती है:
- संघ सूची में सूचीबद्ध करों पर संसद को विशेष अधिकार प्राप्त है।
- राज्य सूची में सूचीबद्ध करों पर राज्य विधानमंडलों को विशेष अधिकार प्राप्त है।
- समवर्ती सूची में सूचीबद्ध विषयों पर दोनों ही कर लगा सकते हैं, जबकि कर संबंधी शेष शक्तियाँ पूर्णतया संसद में निहित हैं।
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