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PM मोदी के लिए अमेरिका का खतरनाक योजना क्या है?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

हैदराबाद में अमेरिकी राजनयिक की कुछ मुलाकातों ने राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक महीने में भारत में तैनात अमेरिकी राजनयिकों और भारत के विपक्षी नेताओं के बीच कई बैठकें हुई हैं। अमेरिकी महावाणिज्य दूत लार्सन ने असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की है। लार्सन हैदराबाद में अमेरिकी मिशन का नेतृत्व करती हैं। इतना ही नहीं इससे पहले अमेरिकी राजनयिक ने टीडीपी के मुखिया और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से भी बातचीत की थी। लगातार हो रही इन मुलाकातों को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि इन मुलाकात पर भारत सरकार कड़ी नजर रख रही है।

इमरान खान, शेख हसीना के बाद पीएम मोदी का नंबर?

रूस इंटेलिजेंस की तरफ से बड़ा खुलासा किया जा रहा है। अमेरिका के इरादे ठीक नहीं हैं और वो शेख हसीना और इमरान खान की तरफ भारत में नरेंद्र मोदी के तख्तापलट की फिराक में है। रूस के सरकारी पब्लिकेशन स्पूतनिक में इसकी पूरी डिटेल्स दी गई है। अगर तार से तार मिलाएं तो राहुल गांधी अमेरिका जाकर व्हाइट हाउस के लोगों के साथ सीक्रेट मीटिंग करते हैं।

मीडिया में सूत्रों के अनुसार सामने आया कि उन्होंने डोनाल्ड किलू से मुलाकात की। साउथ एशिया के हेड लू के बारे में ही इमरान खान ने दावा किया था कि उसने हमारी चुनी हुई सरकार को गिरा दिया। सीआईए की तरफ से दुनिया में कई सारे तख्तापलट की साजिश को बखूबी अंजाम दिया है। भारत के दो पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश इसके ताजा और बेहतरीन उदाहरण हैं।

अपने राजनयिकों के जरिए भारत की घरेलू राजनीति में एंट्री

अमेरिकी सरकार अपने राजनयिकों और सहयोगी समूहों के माध्यम से भारत की घरेलू राजनीति में गुप्त रूप से हस्तक्षेप कर रही है, जिससे मोदी सरकार चिंतित है।14 अगस्त को प्रकाशित स्पुतनिक इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय खुफिया अधिकारियों ने जेनिफर लार्सन और भारतीय विपक्षी नेताओं के बीच बैठकों को हरी झंडी दिखा दी है। लार्सन अमेरिकी महावाणिज्य दूत हैं जो हैदराबाद में अमेरिकी मिशन के प्रभारी हैं। उन्होंने हाल ही में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात कर विवाद खड़ा कर दिया था।

अमेरिकी राजनयिक ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी से भी मुलाकात की। बता दें कि नादियु तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के प्रमुख हैं और केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के सहयोगी हैं। टीडीपी के अल्पसंख्यक सेल ने सरकार द्वारा वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का विरोध किया है।

चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात के मायने? 

स्पुतनिक इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अधिक महत्वपूर्ण रूप से, खुफिया सूत्रों ने अमेरिकी राजनयिकों के साथ बातचीत में आंतरिक राजनीतिक चर्चाओं पर चिंता व्यक्त की। सूत्रों ने वक्फ कानून पर मतभेदों को लेकर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की संभावना से इनकार नहीं किया। सूत्रों का हवाला देते हुए, मीडिया समाचार एजेंसी ने कहा कि अमेरिकी बैपटिस्ट चर्च, जो एंड्रा बैपटिस्ट चर्च को वित्तीय सहायता प्रदान करता है,

चंद्रबाबू नायडू को पक्ष बदलने के लिए मजबूर कर सकता है। आंध्र बैपटिस्ट चर्च इस समय सीआईए की जेब में सीबीएन के खिलाफ इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे बड़ा उपकरण है। ऐसे में अब ये आंध्र-तेलंगाना क्षेत्र में अमेरिकी राजनयिकों और विपक्षी नेताओं के साथ बैठकें एक नियमित मामला बन गया है।

बांग्लादेश जैसा भारत में भी तख्तापलट की साजिश

शेख हसीना को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद से भारत में अमेरिका के नेतृत्व वाले ‘सत्ता परिवर्तन अभियान’ को लेकर आशंकाएं व्याप्त हैं। स्पुतनिक इंडिया के हालिया खुलासों ने निकट भविष्य में भारत में संभावित राजनीतिक अस्थिरता की आशंकाओं को और बढ़ा दिया है। आपको याद होगा कि बांग्लादेश की घटना के बाद भारत में भी कई नेताओं ने दावा किया कि ऐसा भारत में भी हो सकता है। तो क्या ये सब उसी आधार पर क्या जा रहा था? सबसे चिंताजनक बात ये है कि अमेरिकी राजनयिक पिछले एक दो सप्ताह में दो बार चंद्रबाबू नायडू से मिली हैं।

वक्फ बोर्ड बिल पर इसलिए खींचे अपने कदम? 

वक्फ बिल लाया गया लेकिन उसको पास नहीं कराया गया। वोटिंग नहीं हुई और स्टैंडि कमेटी में इसे भेज दिया गया। ओवैसी इस मामले को जोर शोर से उठाएंगे। चंद्रबाबू नायडू इस बिल पर सरकार का साथ नहीं देंगे। रूस की इंटेलिजेंस सोर्स ने दावा किया है कि अमेरिकी राजनयिक से इंटरनल पॉलिटिक्स पर भी चर्चा हुई है। मोदी के खिलाफ नो कॉन्फिडेंशन मोशन लाने की तैयारी और चंद्रबाबू नायडू अपना समर्थन वापस ले लें। रूसी मीडिया के हवाले से कहा गया है कि आंध्र बैफटिस्ट चर्च के जरिए भी चंद्रबाबू पर दवाब डाला जा सकता है।

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