क्या बांग्लादेश में बाढ़ के लिए भारत जिम्मेदार है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने बांग्लादेश में आई बाढ़ के संबंध में हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट को “भ्रामक” और “तथ्यों को अनदेखा करने वाला” करार दिया है। हाल ही में कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया गया है कि बांग्लादेश में मौजूदा बाढ़ की स्थिति त्रिपुरा में गोमती नदी पर बने बांध के फाटक खोलने के कारण उत्पन्न हुई है। भारत ने पहले भी इस खबर को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया था।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नियमित ब्रीफिंग में इस बारे में पूछे गए सवालों पर कहा, “हमने बंगलादेश में बाढ़ की स्थिति पर सीएनएन रिपोर्ट देखी है। इसका नैरेटिव भ्रामक है और यह बताने की कोशिश की गई है कि बाढ़ के लिए किसी न किसी तरह भारत जिम्मेदार है। यह तथ्यात्मक रूप से गलत है और भारत सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्तियों में स्पष्ट किए गए तथ्यों की भी अनदेखी की गई है।” प्रवक्ता ने कहा कि रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा दिए गए तथ्यों की अनदेखी की गई।
रणधीर जयसवाल ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और बांग्लादेश के बीच जल संसाधन प्रबंधन के लिए मौजूदा संयुक्त तंत्रों के माध्यम से डेटा और महत्वपूर्ण जानकारी का नियमित और समय पर आदान-प्रदान होता है। उन्होंने कहा, “रिपोर्ट में इस तथ्य की भी अनदेखी की गई है कि दोनों देशों के बीच जल संसाधनों के प्रबंधन के लिए पहले से ही प्रभावी तंत्र मौजूद हैं, जिसके तहत हम नियमित रूप से डेटा और महत्वपूर्ण जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं।”
यह बयान तब आया है जब भारत पर बांग्लादेश में बाढ़ की स्थिति के लिए फरक्का बैराज के गेट खोलने का आरोप लगाया गया। हालांकि, भारत ने इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है और इसे तथ्यों के विपरीत बताया है। इससे पहले 22 अगस्त को विदेश मंत्रालय ने कहा था कि दोनों देशों के बीच साझा नदियों में आने वाली बाढ़ एक ‘साझा’ समस्या है, जिससे दोनों पक्षों के लोगों को परेशानी होती है तथा इसके समाधान के लिए घनिष्ठ आपसी सहयोग की आवश्यकता है।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘हमने बांग्लादेश में यह चिंता व्यक्त होते देखी है कि बांग्लादेश की पूर्वी सीमा पर स्थित जिलों में बाढ़ की वर्तमान स्थिति त्रिपुरा में गुमती नदी के ऊपरी हिस्से में स्थित डंबूर बांध के फाटक खोलने के कारण उत्पन्न हुई है। यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।’’ उसने कहा, ‘‘हम यह बताना चाहेंगे कि भारत और बांग्लादेश से होकर बहने वाली गुमती नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में इस वर्ष की सबसे भारी बारिश हुई है।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि बांग्लादेश में बाढ़ मुख्य रूप से बांध के नीचे की ओर इन बड़े जलग्रहण क्षेत्रों के पानी के कारण आई है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डंबूर बांध (बांग्लादेश की) सीमा से 120 किलोमीटर से अधिक दूर स्थित है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘यह कम ऊंचाई (करीब 30 मीटर) का बांध है, जो बिजली पैदा करता है और वह बिजली ग्रिड में जाती है जिससे बंग्लादेश को भी त्रिपुरा से 40 मेगावाट बिजली मिलती है।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘करीब 120 किलोमीटर लंबे नदी के रास्ते में अमरपुर, सोनामुरा और सोनामुरा 2 में तीन जल-स्तर निगरानी स्थल हैं।’’ पूरे त्रिपुरा और बांग्लादेश के आसपास के जिलों में 21 अगस्त से भारी बारिश जारी है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि अधिक प्रवाह होने पर पानी स्वत: तरीके से छोड़ा जाता है। उसने कहा कि अमरपुर स्टेशन द्विपक्षीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जिसके तहत बांग्लादेश को भारत की ओर से वास्तविक समय में बाढ़ के आंकड़े भेजे जाते हैं। उसने कहा, ‘‘21 अगस्त को अपराह्न तीन बजे तक बांग्लादेश को बाढ़ के बढ़ते रुझान को दर्शाने वाले आंकड़े भेजे गए। शाम 6 बजे बाढ़ के कारण बिजली गुल हो गई, जिससे संचार में समस्या आई।’’ मंत्रालय ने कहा, ‘‘फिर भी, हमने डेटा के तत्काल प्रसारण के लिए बनाए गए अन्य माध्यमों से संचार बनाए रखने की कोशिश की है।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों देश 54 आम सीमा पार नदियों को साझा करते हैं और नदी-जल सहयोग द्विपक्षीय जुड़ाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उसने कहा, ‘‘हम द्विपक्षीय परामर्श और तकनीकी चर्चाओं के माध्यम से जल संसाधनों और नदी जल प्रबंधन में मुद्दों और आपसी चिंताओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
सीएनएन की रिपोर्ट भ्रामक
बांग्लादेश में बाढ़ से संबंधित रिपोर्टों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ” हमने बांग्लादेश में बाढ़ की स्थिति पर सीएनएन की रिपोर्ट देखी है। यह भ्रामक है। इसमें बाढ़ के लिए भारत को जिम्मेदार बताया गया। यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है।
रिपोर्ट में भारत सरकार द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में उल्लिखित तथ्यों की अनदेखी की गई। उन्होंने यह भी नजरअंदाज कर दिया है कि जल संसाधन प्रबंधन के लिए मौजूदा संयुक्त तंत्र के माध्यम से दोनों देशों के बीच डेटा और महत्वपूर्ण सूचनाओं का नियमित और समय पर आदान-प्रदान होता है।