पुलिस की वर्दी, संगीत का शौक… जानें कौन हैं बिहार के नए DGP आलोक राज
श्रीनारद मीडिया, पटना (बिहार):
बिहार के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आलोक राज को राज्य का नया डीजीपी यानी पुलिस महानिदेशक बनाया गया है. अब राज्य की पूरी पुलिसिया व्यवस्था की कमान उनके ही हाथों में होगी. उनसे पहले आरएस भट्टी बिहार के डीजीपी थे. जब उनका कार्यकाल खत्म हुआ, तभी से ये चर्चा शुरू हो गई थी कि आलोक राज को नया डीजीपी बनाया जा सकता है. हालांकि सीनियर आईपीएस अधिकारी होने के बावजूद पिछली बार उनकी अनदेखी की गई थी, लेकिन इस बार आखिरकार सरकार ने वरिष्ठता पर ध्यान दिया और उन्हें राज्य पुलिस की कमान सौंप दी.
आलोक राज 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उनकी गिनती देश के सबसे कड़क पुलिस अफसरों में होती है. वैसे बहुत कम ही लोगों को ये बात पता होगी कि आलोक राज को संगीत का भी शौक है. उन्हें न सिर्फ पुराने गीत पसंद आते हैं बल्कि वह शास्त्रीय संगीत और भजन भी सुनते हैं और पसंद करते हैं. इतना ही नहीं, वह खुद गाते भी हैं.यहां तक कि उनकी एल्बम भी आ चुकी है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म यूट्यूब पर उनका अपना एक चैनल भी है, जहां कई सारे वीडियोज अपलोड हैं. उनके चैनल पर एक हजार से अधिक सब्सक्राइबर्स भी हैं.
बॉलीवुड के मशहूर गायक मुकेश की 100वीं पुण्यतिथि पर उन्होंने बिहार की राजधानी पटना में एक गाना भी गाया था, जो काफी वायरल हुआ था. लोगों ने उनके गाने को खूब पसंद किया था. आलोक राज की निजी जिंदगी आईपीएस आलोक राज मुजफ्फरपुर के सरैया के नउरा गांव के रहने वाले हैं. उनके दो भाई हैं, जो विदेश में रहते हैं, जबकि उनकी एक बहन भी हैं, जो डॉक्टर हैं. वहीं, उनकी पत्नी की बात करें तो वह एक पत्रकार रह चुकी हैं.
उन्होंने दूरदर्शन पटना में न्यूज रीडर के तौर पर काम किया था कहां-कहां दे चुके हैं सेवाएं? बिहार का डीजीपी बनाए जाने से पहले वह विजिलेंस इंवेस्टीगेशन ब्यूरो में डीजी के पद पर कार्यरत थे. वह कई जिलों में एसपी के रूप में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी काम किया है. साल 2005 से 2010 तक उन्होंने सेंट्रल रिजर्व पुलिस फोर्स यानी सीआरपीएफ (CRPF) में काम किया है.
ससुर भी रह चुके हैं डीजीपी
ये बात बहुत कम लोग जानते होंगे कि आलोक राज के ससुर भी बिहार के डीजीपी रह चुके हैं. लालू यादव के शासनकाल में उनके ससुर दिनेश नंदन सहाय को बिहार का पुलिस महानिदेशक बनाया गया था. फिर जब वह रिटायर हो गए तो उन्हें त्रिपुरा का राज्यपाल बना दिया गया था. इसके अलावा वह छत्तीसगढ़ के राज्यपाल भी बने थे. वह छत्तीसगढ़ के पहले राज्यपाल थे. इस पद पर उन्होंने तीन साल तक अपनी सेवाएं दी थीं.
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