सुप्रीम कोर्ट एक संस्था नहीं, एक यात्रा है- पीएम मोदी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर पीएम मोदी जजों के अखिल भारतीय सम्मेलन में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि महिलाओं (Women) और बच्चों के खिलाफ अपराध देश में गंभीर चिंता का विषय बन गया है. उन्होंने जिला न्यायालय के न्यायाधीशों से अपील की कि वे इन मामलों का शीघ्र निपटारा करें, ताकि विशेष रूप से महिलाओं और पूरे समाज में सुरक्षा की भावना पैदा हो सके.

सुप्रीम कोर्ट एक संस्था नहीं, एक यात्रा है

सुप्रीम कोर्ट के 75 वर्ष पूरे होने पर पीएम मोदी ने कहा कि ये केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है. ये यात्रा है भारत के संविधान और संवैधानिक मूल्यों की. ये यात्रा है एक लोकतंत्र के रूप में भारत के और परिपक्व होने की.

भारत के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर विश्वास किया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ये 75 वर्ष ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ के रूप में भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं. आजादी के अमृतकाल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है विकसित भारत, नया भारत बनने का.

भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला

नया भारत, यानी सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत. हमारी न्यायपालिका इस विज़न का एक मजबूत स्तम्भ है. भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है. इन कानूनों की भावना है- ‘Citizen First, Dignity First और Justice First'(‘नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले’) है.

हमारे क्रिमिनल लॉ शासक और गुलाम वाली कोलोनियल सोच से आजाद हुए हैं. लेकिन आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा, समाज की गंभीर चिंता है. देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं, लेकिन हमें इसे और सक्रिय करने की जरूरत है. महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा.

भारत के लोगों ने सुप्रीम कोर्ट पर, हमारी न्यायपालिका पर विश्वास किया है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट के ये 75 वर्ष ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ के रूप में भारत के गौरव को और बढ़ाते हैं. आजादी के अमृतकाल में 140 करोड़ देशवासियों का एक ही सपना है विकसित भारत, नया भारत बनने का.

भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला

नया भारत, यानी सोच और संकल्प से एक आधुनिक भारत. हमारी न्यायपालिका इस विज़न का एक मजबूत स्तम्भ है. भारतीय न्याय संहिता के रूप में हमें नया भारतीय न्याय विधान मिला है. इन कानूनों की भावना है- ‘Citizen First, Dignity First और Justice First'(‘नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले’) है.

हमारे क्रिमिनल लॉ शासक और गुलाम वाली कोलोनियल सोच से आजाद हुए हैं. लेकिन आज महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, बच्चों की सुरक्षा, समाज की गंभीर चिंता है. देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई कठोर कानून बने हैं, लेकिन हमें इसे और सक्रिय करने की जरूरत है. महिला अत्याचार से जुड़े मामलों में जितनी तेजी से फैसले आएंगे, आधी आबादी को सुरक्षा का उतना ही बड़ा भरोसा मिलेगा.

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