भारत-सिंगापुर के बीच हुआ समझौता
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि वह भारत में कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं। यह बात उन्होंने गुरुवार को सिंगापुर के पीएम लौरेंस वोंग के साथ हुई द्विपक्षीय वार्ता के दौरान कही। दोनों नेताओ ने भारत और सिंगापुर के मौजूदा रणनीतिक साझेदारी संबंधों को दर्जा बढ़ा कर समग्र रणनीतिक साझेदारी करने का फैसला किया।
चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर
तीन हफ्तों के भीतर हिंद प्रशांत क्षेत्र का दूसरा देश है जिसके साथ भारत ने अपने रिश्तों की दर्जा बढ़ाया है। पिछले पखवाड़े 20 अगस्त, 2024 को भारत और मलेशिया के बीच ऐसी ही सहमति बनी थी। इसका मतलब यह हुआ कि इन देशों के साथ भारत रक्षा, कारोबार, सैन्य, संचार जैसे क्षेत्रों में एक दूसरे के हितों की रक्षा करने में सहयोग दें। मोदी और वोंग की अगुवाई में दोनों देशों के बीच चार अहम समझौतों पर हस्ताक्षर भी हुए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सिंगापुर दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच सेमीकंडक्टर फील्ड में पार्टनरशिप को लेकर डील हुई है. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों की मौजूदगी में सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में समझौते पर हस्ताक्षर हुआ. अब इस समझौते के बाद भारत में सिंगापुर की सेमीकंडक्टर कंपनियों की एंट्री का रास्ता आसान हो जाएगा.
दोनों देशों ने इस समझौते को इंडिया सिंगापुर सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पार्टनरशिप नाम दिया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर के अपने समकक्ष लॉरेंस वोंग के साथ गुरुवार 5 सितंबर को सेमीकंडक्टर एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में सिंगापुर की दिल्ली कंपनी एईएम होल्डिंग्स लिमिटेड का दौरा किया. पीएम मोदी ने इस महत्वपूर्ण उद्योग में सहयोग के तरीकों पर चर्चा की.
सिंगापुर से सेमीकंडक्टर कनेक्शन से होंगे कई फायदे…
भारत को सेमी कंडक्टर के क्षेत्र में इस समझौते से कई फायदे होंगे. पहला, भारत को सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में टैलेंट डेवलप करने में मदद मिलेगी. सिंगापुर के विश्वविद्यालयों ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में कस्टमाइज कोर्स भी डेवलप किया है और इसका फायदा भारत उठा सकता है.
इसके अलावा सेमीकंडक्टर इंडस्ट्रियल पार्क के वेस्ट मैनेजमेंट से जुड़ी जानकारियां भी एक दूसरे से बांटी जाएंगी. सिंगापुर में जमीन और कर्मियों की कमी है जबकि भारत में काफी जमीन और स्किल्ड लेबर है. ऐसे में भारत सिंगापुर के सेमी कंडक्टर वैल्यू चैन का हिस्सा बन सकता है. सिंगापुर कंपनियों को भारत में अपना विस्तार करने के लिए उत्साहित किया जा सकता है.
सिंगापुर सेमी कंडक्टर से जुड़ा उपकरण भी बनाता है. सेमी कंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम तैयार करने में सिंगापुर की कंपनियों से मदद मिलेगी. सिंगापुर यूं तो एक छोटा शहरी देश है लेकिन इसके बावजूद सेमी कंडक्टर इंडस्ट्री का जाल बिछा हुआ है.
क्या है सेमीकंडक्टर क्यों है यह इतना जरूरी..
वैश्विक सेमी कंडक्टर आउटपुट में सिंगापुर का योगदान 10 फीसदी है. सेमी कंडक्टर उपकरणों के वैश्विक उत्पादन में 20% योगदान सिंगापुर का है. सिंगापुर के आर्थिक विकास में 8% योगदान सेमी कंडक्टर क्षेत्र का है. दुनिया की 15 बड़ी सेमी कंडक्टर फर्म में 9 फर्म ने अपनी दुकान खोली हैं.
पीएम मोदी की मौजूदगी में सेमी कंडक्टर क्षेत्र में समझौते के अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने सिंगापुर के पीएम वांग के साथ एईएम सेमीकंडक्टर फेसिलिटी का दौरा भी किया और दोनों देशों के बीच सेमी कंडक्टर मैनुफैक्चरिंग में संभावनाओं को एक्सप्लोर किया.
विभिन्न इलेक्ट्रिकल उपकरणों जैसे कि स्मार्टफोन, चिप से लेकर कंप्यूटिंग, स्मार्ट टीवी में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है. सिलिकॉन, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि से ये सेमीकंडक्टर तैयार किए जाते हैं. इनका काम होता है बिजली का फ्री फ्लो करवाना. इनका उपयोग मेमोरी डिवाइस, माइक्रोप्रोसेसर और सीएमओएस सेंसर में भी किया जाता है.
पीएम मोदी के अनुसार कि भारत की ग्रोथ का सबसे ज्यादा फायदा देश के युवाओं को होगा. मैं ये समझता हूं कि 21 वीं सदी, पूरी तरह से टेक्नोलॉजी ड्रिवेन होगी. और बगैर इलेक्ट्रॉनिक चिप के हम इसकी कल्पना तक नहीं कर सकते हैं. अगर मेड इन इंडिया चिप, भारत में डिजाइन होने वाले चिप की बात करें तो ये भारत को आत्मनिर्भर बनाने और आधुनिक बनाने की तरफ ले जाने में मददगार होगा.
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