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जिलाधिकारी अमन समीर के दिशा- निर्देश में संस्थागत और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभागीय स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध: - श्रीनारद मीडिया

जिलाधिकारी अमन समीर के दिशा- निर्देश में संस्थागत और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभागीय स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध:

जिलाधिकारी अमन समीर के दिशा- निर्देश में संस्थागत और सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभागीय स्तर पर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध:

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रेफरल अस्पताल बनियापुर में औसतन प्रत्येक महीने ढाई सौ के आसपास कराया जाता हैं संस्थागत और सुरक्षित प्रसव:

आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था को शत प्रतिशत उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग का पहला कर्तव्य: सिविल सर्जन

संस्थागत प्रसव में चारों एएनसी सफलता पूर्वक संपन्न कराने में बीएचएम की भूमिका सराहनीय: एमओआईसी

श्रीनारद मीडिया, छपरा (बिहार):

संस्थागत प्रसव में स्वास्थ्य विभाग की भूमिका अत्यंत ही महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि स्वास्थ्य विभाग यह सुनिश्चित करता है कि प्रसव की प्रक्रिया सुरक्षित और व्यवस्थित हो। इसके अंतर्गत अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में प्रसव की सुविधाओं का गुणवत्ता नियंत्रण शामिल होता है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग प्रसव के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरण, दवाइयों और प्रशिक्षित स्टाफ की उपलब्धता सुनिश्चित करता है। इस संबंध में सिविल सर्जन डॉ सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि जिलाधिकारी अमन समीर के दिशा निर्देश में जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थानों में संस्थागत और सुरक्षित प्रसव कराने के लिए अनिवार्य रूप से एएनसी सहित सभी प्रकार की जांच कराई जाती हैं। वहीं आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गृह भ्रमण कर सभी का फॉलो अप कराया जाता हैं। हालांकि प्रसव के दौरान विशेषज्ञ चिकित्सक और प्रशिक्षित नर्स के द्वारा प्रसव कराया जाता हैं। वहीं किसी भी स्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आपातकालीन सेवाओं की व्यवस्था को शत प्रतिशत सुनिश्चित कराया जाता है। इसके साथ ही विभाग द्वारा माताओं और नवजातों के लिए उपयुक्त देखभाल और सलाह दी जाती है, जिससे उनकी सेहत और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। क्योंकि प्रसव के बाद स्वास्थ्य की समस्याओं को रोकना के साथ ही माताओं और बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाना स्वास्थ्य विभाग का मुख्य उद्देश्य होता है। इस प्रकार स्वास्थ्य विभाग संस्थागत और सुरक्षित प्रसव को शत प्रतिशत सफल और सुरक्षित कराने में सराहनीय भूमिका का निर्वहन निभाता है।

 

संस्थागत प्रसव में चारों एएनसी सफलता पूर्वक संपन्न कराने में बीएचएम और बीसीएम की भूमिका सराहनीय: एमओआईसी
प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ एमएम जाफरी ने बताया कि संस्थागत और सुरक्षित प्रसव के दौरान माता और बच्चे की सुरक्षा के लिए एक योग्य चिकित्सक और प्रशिक्षित नर्स का होना अति आवश्यक होता है। हालांकि प्रसव के दौरान गर्भवती माताओं और उसके अभिभावकों को गर्भावस्था के दौरान सभी तरह की जांच के अलावा स्वास्थ्य से संबंधित जानकारियों को प्रसव कक्ष प्रभारी या अन्य चिकित्सको से साझा करना बेहद जरूरी होता है। क्योंकि प्रसव के दौरान किसी अनहोनी से संबंधित चिकित्सक को सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। जिस कारण चिकित्सकों सहित अन्य कर्मियों को प्रसव की स्थिति पर निरंतर निगरानी रखनी पड़ती है। साथ ही प्रसव कक्ष में स्वच्छता का ध्यान रखते हुए कक्ष को पूरी तरह से साफ और कीटाणु रहित रखना होता है। ताकि इससे संक्रमण का खतरा कम होता है। इसके अलावा माताओं और नवजात शिशुओं की उचित देखभाल के लिए अनिवार्य रूप से चिकित्सा उपकरण और दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाती है। प्रसव के बाद मां और बच्चे की नियमित रूप से निगरानी करने के लिए बीएचएम अजीत कुमार और बीसीएम मुकेश कुमार द्वारा आशा फेसिलेटर, आशा कार्यकर्ता के अलावा एएनएम द्वारा फॉलो अप किया जाता हैं।


औसतन प्रत्येक महीने ढाई सौ के आसपास होता है संस्थागत और सुरक्षित प्रसव: अस्पताल प्रबंधक
रेफरल अस्पताल के अस्पताल प्रबंधक गौतम कुमार ने बताया कि विगत अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक 2749, जबकि अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक 2744 वहीं अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक 2854 संस्थागत प्रसव कराया गया है। हालांकि अप्रैल में 142, मई में 165, जून में 137, जुलाई में 236 जबकि अगस्त महीने में 352 संस्थागत और सुरक्षित प्रसव कराने में प्रसव कक्ष की प्रभारी अनामिका कुमारी सहित सभी कार्यरत एएनएम की भूमिका काफी सराहनीय रहती है। क्योंकि इन्ही लोगो के बदौलत प्रसव के दौरान आने वाली सभी तरह की चुनौतियों का बखूबी निर्वहन करते हुए प्रसव कराया जाता है। हालांकि विकट परिस्थितियों में गर्भवती महिलाओं का ऑपरेशन कराने की नौबत आती है तो उसको यहां से सदर अस्पताल छपरा रेफर कर दिया जाता हैं। लेकिन इस तरह की समस्या उत्पन्न होने नही दिया जाता हैं। क्योंकि प्रसव के दौरान सभी तरह की दवाओ की उपलब्धता सुनिश्चित किया जाता हैं। उसके बाद ही प्रसव कक्ष की प्रभारी द्वारा प्रसव कराया जाता हैं।

 

संस्थागत प्रसव कराने में एएनसी के दौरान एचआरपी की पहचान करना बेहद जरूरी: अनामिका
प्रसव कक्ष की प्रभारी अनामिका ने बताया कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल प्रबंधक सहित महिला रोग विशेषज्ञ डॉ प्रियंका यादव, डॉ सरिता कुमारी और डॉ नम्रता जायसवाल के मार्ग दर्शन और दिशा निर्देश में उपलब्ध संसाधनों के बावजूद स्थानीय स्तर पर हर तरह की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता हैं। ताकि किसी भी गर्भवती महिलाओं को प्रसव के दौरान कोई परेशानी नही हो। इसके लिए हमलोग गर्वावस्था के दौरान से ही उक्त महिला का सभी तरह की जांच के साथ ही चारों प्रसव पूर्व जांच (एएनसी) पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता हैं। क्योंकि एएनसी के दौरान ही उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की पहचान करते हुए पहले से ही उसकी व्यवस्था कर लिया जाता हैं। स्थानीय प्रसव कक्ष में आठ एएनएम के सहयोग से संस्थागत और सुरक्षित प्रसव कराने में कामयाब होते हैं। क्योंकि प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक अजीत कुमार और बीसीएम मुकेश कुमार द्वारा नियत समय पर क्षेत्र भ्रमण के दौरान प्रसव पूर्व जांच को लेकर विशेष रूप से कार्य किया जाता हैं जिसका नतीजा संस्थागत प्रसव के रूप में मिलता है।

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