नदियों के संरक्षण के लिए जनसहभागिता, मजबूत संकल्प शक्ति और श्रद्धाभाव का जागरण है आवश्यक : जय किशोर पाठक
सीवान प्रवास पर आए गंगा समग्र अभियान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सह बिहार प्रांत के संगठन मंत्री जय किशोर पाठक ने डॉक्टर गणेश दत्त पाठक से विशेष बातचीत में रखी अपनी बात।
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):
जलवायु परिवर्तन के दौर में हमारे सभी नदियों का संरक्षण बेहद अनिवार्य तथ्य है। इसके लिए आवश्यक है कि सामुदायिक सहभागिता को प्राप्त कर, नदियों के प्रति लोगों में श्रद्धाभाव को जागृत कर दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ सतत प्रयास किया जाय। ये बातें नगर में प्रवास पर आए गंगा समग्र अभियान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य सह बिहार प्रांत के संगठन मंत्री जय किशोर पाठक ने स्थानीय शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक के साथ सामुदायिक रेडियो स्टेशन रेडियो स्नेही के कार्यालय में विशेष बातचीत में कही। भेंटवार्ता का संयोजन विद्याभारती के क्षेत्रीय प्रचार प्रसार प्रमुख नवीन सिंह परमार ने किया।
गंगा समग्र अभियान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री जय किशोर पाठक ने कहा कि हमारे देश में नदी संरक्षण में दीर्घकालीन दृष्टि का अभाव एक भारी विसंगति रही है। जिसका दुष्परिणाम यह रहा कि कई छोटी नदियां, जहां विलुप्ति के कगार पर पहुंच गईं वहीं बड़ी नदियां भी संकट में आ गई। साथ ही, नदी संरक्षण में सामुदायिक जनसहभागिता के महत्व को नहीं समझा गया और नदियों के प्रति श्रद्धाभाव के जागरण के ठोस प्रयास नहीं किए गए। गिरता भू जल स्तर और नदियों की प्रदूषित स्वरूप एक सुव्यवस्थित कार्ययोजना की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं। धैर्य के साथ नदियों के संरक्षण के लिए सतत प्रयास की आवश्यकता है। सीवान में दाहा नदी संरक्षण अभियान के प्रयास आशा की ज्योति प्रज्ज्वलित करते दिखते हैं।
गंगा समग्र अभियान के बिहार प्रांत के संगठन मंत्री श्री जय किशोर पाठक ने इस बात से बिलकुल इंकार किया कि नदियों के संरक्षण के लिए संसाधनों की कोई कमी है। उनका कहना था कि आवश्यकता नदियों के प्रति संवेदनशीलता और श्रद्धा के भाव के जागरण और दृढ़ इच्छा शक्ति की है। उन्होंने प्रशासनिक उदासीनता के सवाल पर कहा कि पूर्णिया के डीएम कुंदन कुमार ने अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति का प्रदर्शन करके स्थानीय सौरी नदी को पुनर्जीवित कर दिया। सरकारी प्रयास और जनसहभागिता के बल पर नदियों को आसानी से उनके मूल स्वरूप में लाया जा सकता है।
गंगा समग्र अभियान के उद्देश्य के बारे में बताते हुए जय किशोर पाठक ने बताया कि गंगा और उसकी सहायक नदियों की अविरलता और निर्मलता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभियान 15 सूत्री कार्ययोजना को अमल में ला रहा है तथा समाज के विभिन्न आयामों को नदी संरक्षण अभियान से जोड़कर सामुदायिक सहभागिता को प्राप्त करने का भी प्रयास कर रहा है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि नदी संरक्षण के महती उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है कि सभी नदियों के प्रति श्रद्धाभाव को जागृत किया जाए। इसके लिए नदियों के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, पर्यावरणीय महत्व को बताना बेहद आवश्यक है। इससे आम जनमानस में नदी के प्रति श्रद्धाभाव जागृत होगा।
गंगा समग्र अभियान के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य श्री जय किशोर पाठक ने कहा कि जैविक कृषि को बढ़ावा देने से हानिकारक रासायनिक उर्वरक नदियों में नहीं जाएंगे। नदी के जलीय जैव विविधता का संरक्षण भी सुनिश्चित होगा। यह सभी को समझना होगा कि नदी में जल ही नहीं रहेगा तो क्या कोई प्याऊ लगा पाएगा? छोटी नदियों के पुनर्जीवन से बड़ी नदियों को भी सहायता पहुंचेगी। उन्होंने कहा कि नदियों के संदर्भ में विशेष तौर पर अर्धशहरी समाज को अपनी सुषुप्त अवस्था से बाहर आना होगा और सरकार को भी अपना समर्थन देना होगा। समन्वित प्रयास से ही हम अपनी गंगा माता को अविरल और निर्मल बना सकते हैं।
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