बिहार में टूटा बिजली डिमांड और सप्लाई का रिकॉर्ड

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

उमस भरी गर्मी के कारण राज्य के लोग बिजली से चलने वाले उपकरणों का खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। यही कारण है कि (23 सितंबर ) सोमवार की रात बिहार में 8000 मेगावाट से अधिक बिजली खपत हुई, जो अब तक की सर्वाधिक डिमांड है। जिस पर सूबे के ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने कहा कि मौजूदा सरकार जब वर्ष 2005 में सत्ता में आई थी, तो बिहार में मात्र 700 मेगावाट बिजली खपत होती थी। 17 वर्षों में बिहार में बिजली खपत में लगभग 12 गुना की वृद्धि हुई है।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मार्गदर्शन और नेतृत्व में बिहार में उपभोक्ताओं की बढ़ती जरूरतों को देखते हुए बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ऊर्जा विभाग और बिजली कंपनियां प्रतिबद्ध हैं। विद्युत आपूर्ति की अधिकतम मांग में निरंतर वृद्धि राज्य में सर्वांगीण एवं समावेशी विकास का द्योतक है। यही कारण है कि बिहार बिजली की आपूर्ति और मांग के क्षेत्र में निरंतर नया इतिहास रच रहा है।

23 सितंबर को रात्रि 09:53 बजे बिहार में बिजली आपूर्ति की अधिकतम मांग 8005 मेगावाट दर्ज की गई। राज्य की दोनों विद्युत वितरण कंपनियां साउथ और नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड ने अपने-अपने क्षेत्रों में भी विद्युत आपूर्ति की अधिकतम मांगों को पूरा किया।

ऊर्जा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री के निर्देश के आलोक में बिहार के लोगों को सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध करायी जा रही है। इस मद में चालू वित्तीय वर्ष में राज्य सरकार द्वारा 15,343 करोड़ की सब्सिडी दी गई है। यही कारण है कि बिहार के लोगों को उत्तरप्रदेश और बंगाल की तुलना में सस्ती दर पर बिजली मिल रही है। सस्ती बिजली मिलने के कारण ही राज्य के सर्वांगीण विकास की दर बढ़ी है एवं विद्युत की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है।

बिहार ने बिजली क्षेत्र में अनेक कीर्तिमान स्थापित किए हैं। 2005 में जहां बिहार में केवल 17 लाख उपभोक्ता थे, वह अब बढ़कर 2 करोड़ 7 लाख से अधिक हो गए हैं। प्रति व्यक्ति बिजली की खपत उस समय मात्र 70 यूनिट थी अब बढ़कर 360 यूनिट हो गई है। शहरी क्षेत्रों में 23-24 घंटे तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 21-22 घंटे बिजली आपूर्ति की जा रही है। इसी अवधि में कृषि फीडर की संख्या बढ़कर 935 हो गई है एवं कृषि उपभोक्ताओं की संख्या बढ़कर 4 लाख 14 हजार हो गई है।

उन्होंने कहा कि विद्युत प्रणाली के विस्तार एवं सुदृढ़ीकरण के लिए विद्युत उत्पादन, उपलब्धता, संचरण एवं वितरण सभी क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर कार्य किया गया है। पावर सब स्टेशन की संख्या 368 से बढ़कर 1250, 33 केवी एवं 11 केवी लाइन की लंबाई में तीन गुना वृद्धि हुई है। ग्रिड सब स्टेशन की संख्या जो वर्ष 2005 में 45 थी, अब 168 हो गई है। संचरण लाइन की कुल लंबाई 5000 सर्किट किलोमीटर से बढ़कर 20,328 सर्किट किलोमीटर तथा संचरण प्रणाली की विद्युत निकासी क्षमता 1000 मेगावाट से बढ़कर 14,776 मेगावाट हो गई है। राज्य में 1000 मेगावाट से अधिक सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है।

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