भारत को मिलनी ही चाहिए परमानेंट सीट- मैक्रों
UNSC में 193 देशों से भिड़ गए मैक्रों
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए भारत की दावेदारी का समर्थन किया है, साथ ही शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र निकाय के विस्तार की वकालत की है। मैक्रों न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि हमारे पास एक सुरक्षा परिषद है जो अवरुद्ध है। आइए संयुक्त राष्ट्र को और अधिक कुशल बनाएं। हमें इसे और अधिक प्रतिनिधि बनाना होगा। उन्होंने कहा कि इसलिए, फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है। जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्य होना चाहिए, साथ ही दो ऐसे देश भी होने चाहिए जिन्हें अफ्रीका अपना प्रतिनिधित्व करने के लिए तय करेगा।
भारत सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधार के लिए संयुक्त राष्ट्र में प्रयासों में सबसे आगे रहा है और इस बात पर जोर देता रहा है कि वह स्थायी सदस्य के रूप में संयुक्त राष्ट्र की उच्च तालिका में स्थान पाने का हकदार है। भारत का तर्क है कि 1945 में स्थापित 15 देशों की परिषद 21वीं सदी के उद्देश्य के लिए उपयुक्त नहीं है और समकालीन भू-राजनीतिक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती है।
वर्तमान में 5 स्थायी सदस्य
वर्तमान में यूएनएससी में पाँच स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य देश शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा दो साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है। पाँच स्थायी सदस्य रूस, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं और ये देश किसी भी ठोस प्रस्ताव पर वीटो लगा सकते हैं।
मैक्रों ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा, हमारे पास एक सुरक्षा परिषद है, जिसे हमें और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। इसके लिए इसमें प्रतिनिधित्व बढ़ाना होगा। फ्रांस सुरक्षा परिषद के विस्तार के पक्ष में है। कहा, जर्मनी, जापान, भारत और ब्राजील को स्थायी सदस्य होना चाहिए, साथ ही दो ऐसे देश भी हो जिन्हें अफ्रीका इसका प्रतिनिधित्व करने के लिए तय करेगा।
एंटोनियो गुटेरस ने दी चेतावनी
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए 15 देशों की सुरक्षा परिषद को भी चेतावनी दी। उन्होंने सुरक्षा परिषद को पुरानी व्यवस्था बताया और कहा कि इसके अधिकार कम होते जा रहे हैं। अगर इसकी संरचना और कार्य पद्धति में सुधार नहीं किया जाता है तो यह अपनी सारी विश्वसनीयता खो देगी। हम अपने दादा-दादी के लिए बनाई गई प्रणाली के साथ अपने पोते-पोतियों के लिए भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते।
-05 स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य वर्तमान में परिषद के
-02 दो साल के लिए अस्थायी सदस्यों को चुना जाता है
-2021-22 में परिषद में अस्थायी सदस्य था भारत