आयुष्मान योजना की सुस्ती: सात वर्षों में केवल 2023 मरीजों का इलाज, जिले में नर्सिंग होम चयन में बाधाएं
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क
मोतिहारी – भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना, जो आम जनता को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, मोतिहारी जिले में विभागीय उदासीनता और प्रक्रियागत शिथिलता के कारण सुस्त पड़ती दिख रही है।
जानकारी के अनुसार, आयुष्मान कार्ड बनाने की प्रक्रिया और नर्सिंग होम चयन में आ रही बाधाओं के कारण जिले के लोग इस योजना का पूर्ण लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में सभी तरह की बीमारियों के इलाज की सुविधाओं की कमी के कारण आयुष्मान कार्ड धारकों को निजी नर्सिंग होम का सहारा लेना पड़ता है। हालांकि, केवल दस नर्सिंग होम का ही चयन आयुष्मान योजना के तहत हुआ है, और इनमें भी सभी प्रकार के इलाज की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
वर्ष 2017 से अब तक, सदर अस्पताल में मात्र 2023 मरीजों का ही आयुष्मान कार्ड के माध्यम से इलाज हो पाया है। इन मरीजों में कुत्ते के काटने, सर्प दंश, हर्निया और हाइड्रोसिल जैसी बीमारियों का इलाज शामिल है। जबकि जिले में लगभग दस लाख आयुष्मान कार्ड धारक हैं, गंभीर बीमारियों जैसे हड्डी के ऑपरेशन, गॉल ब्लैडर की पथरी, आंखों के ऑपरेशन और हृदय रोग के इलाज के लिए कोई समुचित सरकारी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
कार्ड बनने की धीमी गति: 45 लाख की जगह मात्र 10 लाख बने कार्ड
जिले में कुल 45 लाख आयुष्मान कार्ड बनाए जाने का लक्ष्य था, लेकिन अभी तक केवल दस लाख कार्ड ही बनाए जा सके हैं। विभागीय सूत्रों के अनुसार, पंचायत स्तर पर डीलरों के माध्यम से या मोबाइल के जरिए आयुष्मान कार्ड बनाए जा रहे हैं, लेकिन लोगों में इस योजना को लेकर उत्साह की कमी है। इसका मुख्य कारण यह है कि कार्ड होने के बावजूद, नर्सिंग होम का चयन पूर्ण रूप से नहीं हुआ है, और लोगों को निजी नर्सिंग होम में ही इलाज करवाना पड़ रहा है।
इस वर्ष जनवरी से अब तक एक भी नर्सिंग होम का चयन आयुष्मान योजना के तहत नहीं किया गया है। जबकि जिले के आधे दर्जन से अधिक प्रसिद्ध नर्सिंग होम ने इस योजना से जुड़ने के लिए आवेदन दिया है, लेकिन उन आवेदनों को अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है।
अधिकारियों का पक्ष
इस मामले में सीएस डॉक्टर विनोद कुमार सिंह ने बताया कि सरकार की मंशा है कि अधिक से अधिक नर्सिंग होम को आयुष्मान योजना से जोड़ा जाए ताकि लोग पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज प्राप्त कर सकें। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जिला प्रशासन से चर्चा की जाएगी ताकि योजना का लाभ सभी को मिल सके।
निष्कर्ष
आयुष्मान भारत योजना को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि नर्सिंग होम के चयन की प्रक्रिया को तेज किया जाए और सभी प्रकार के इलाज की सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं। ताकि योजना का वास्तविक लाभ लोगों तक पहुंच सके और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार हो।