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डीएम हुए सख्त – गौशाले में हुए घोटाले से संबंधित जांच रिपोर्ट तलब

डीएम हुए सख्त – गौशाले में हुए घोटाले से संबंधित जांच रिपोर्ट तलब

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@ डीएम विशाल सिंह बोले, गौशाला में घोटाला करने वाले दोषी किसी कीमत पर बक्शे नहीं जाएंगे

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

भदोही / विकास खंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत पिपरिस में स्थापित बृहद गौ संरक्षण केंद्र में व्यापक पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार का मामला मंगलवार को जिलाधिकारी विशाल सिंह के दरबार में पहुंच गया।जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए एडीएम,सीडीओ व सीवीओ को गौशाला से संबंधित जांच रिपोर्ट के साथ तलब किया है। जिलाधिकारी विशाल सिंह ने पत्रकारों को आश्वस्त किया कि पत्रावली का अवलोकन करने के बाद दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई होगी। पत्रकार प्रेस क्लब के प्रदेश अध्यक्ष घनश्याम पाठक के नेतृत्व में लगभग पांच दर्जन पत्रकार मंगलवार की दोपहर भदोही जिला मुख्यालय पर पहुंच कर जिलाधिकारी विशाल सिंह से मुलाकात कर उन्हें इस आशा का पत्रक सौपा कि भदोही विकास खंड क्षेत्र के ग्राम पंचायत पिपरिस स्थित बृहद गौ संरक्षण केंद्र के संचालक ग्राम प्रधान हृदय नारायण सरोज व ग्राम पंचायत अधिकारी प्रमोद बिंद की मिलीभगत से लगभग तीन वर्ष में करोड़ों रुपए की घपलेबाजी की गई है। इस मामले की पुष्टि जिलाधिकारी विशाल सिंह के निर्देश पर सीवीओ डीपी सिंह द्वारा की गई जांच से हुई है। जांच दौरान यह भी पाया गया कि गौशाला में अब तक लगभग पौने दो सौ पशुओं की मृत्यु हो चुकी है, परंतु महज 46 पशुओं की पोस्टमार्टम हुई है।

बड़ी बात तो यह है कि जिन पशुओं का पोस्टमार्टम किया गया है,उनके कान में लगे टैग तथा फोटोग्राफी भी जांच अधिकारी को उपलब्ध नहीं कराई गई है। इसके अलावा लगभग 125 मृत पशुओं का कुछ अता-पता नहीं है। इससे तो साफ जाहिर होता है कि गौशाला संचालक तथा अधिकारियों की मिली भगत से बड़े पैमाने पर पशु तस्करी की गई है। पशु विभाग के अधिकारियों की माने तो गौशाला संचालक की मनमानी इस कदर है कि वह मृतक पशुओं को मानक के अनुरूप गड्ढा खोदकर नहीं गाड़ता है,बल्कि खुले आसमान में उसे फेंक देता है और कुत्ते नोच-नोच कर खा जाते हैं,इसके बाद गौशाला संचालक हड्डियों को भी बेचकर धनोपाजर्न करता है। पशु विभाग के अधिकारी की माने तो गौशाला से संबंधित डॉक्टर फर्जी तरीके से भूख से तड़प-तड़प कर मरने वाले पशुओं की गलत पीएम रिपोर्ट बनाकर यह दशा देते हैं कि बीमारी से मौत हो गई है। महत्वपूर्ण बात तो यह है कि गौशाला में पशुओं को चारे के लिए मिलने वाले धनों में भी व्यापक पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। पशुओं को चारे के लिए मिलने वाले धन उन पर खर्च न करके जेबे भरी गई है। जिलाधिकारी विशाल सिंह को दिए गए पत्रक में गांव के बबलू बिंद,जोरावर सिंह, योगेश सिंह,संजय सिंह,केशव दुबे,गुड्डू सरोज सहित दर्जनों लोगों ने आरोप लगाया है कि इस घोटाले के पीछे मुख्य विकास अधिकारी डॉ शिवाकांत द्विवेदी का हाथ है,जिसके कारण भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से मांग किया है कि मुख्य विकास अधिकारी की भूमिका की भी जांच कराये,ताकि गौ माता को न्याय मिले और सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट गौशाला का सुचारू रूप से संचालन हो सके।

कोट्स प्रकरण गंभीर है,एडीएम के नेतृत्व में सीडीओ और सीवीओ को ग्राम पंचायत पिपरिस गौशाला से संबंधित जांच रिपोर्ट तलब की गई है।जांच रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। गौशाला में यदि किसी प्रकार की घपलेबाजी हुई होगी तो दोषी चाहे जितना भी बड़े हो वे बक्शे नहीं जाएंगे।

-विशाल सिंह,जिलाधिकारी भदोही कोट्स जिलाधिकारी के निर्देश पर मैंने गौशाला का जांच किया था,उसमें बड़े पैमाने पर घपलेबाजी पाई गई। अब तक 167 पशुओं की मृत्यु हो चुकी है,महज 46 पशुओं का पीएम रिपोर्ट मिला है,लेकिन पशुओं के कान में लगे टैग व फोटोग्राफी उपलब्ध नहीं कराए गए है।तमाम पशुओं की भूख से तड़प-तड़प कर मौत भी हुई है, पशुओं को चारे के लिए मिलने वाले धन में भी बड़े पैमाने पर हेरा फेरी की गई है। मृत पशुओं को गड्ढे में न गाड़कर उन्हें खुले आसमान में फेंका गया और हड्डियां भी गौ संचालक द्वारा बाजारों में बेच दी गई है। गौशाला से संबंधित जांच रिपोर्ट सीडीओ को सौंप दी गई है,परंतु करवाई कुछ नहीं हुई।

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