अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला
कभी जिंदगी से हारकर सुसाइड करना चाहते थे मिथुन दा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने सोमवार को कहा कि यदि उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिल सकता है, तो कड़ी मेहनत करने वाले अन्य कलाकार भी इसे पा सकते हैं। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि मिथुन चक्रवर्ती को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार के लिए नामित किया गया है।
‘मुश्किल हालात का सामना करने के लिए रहने होगा तैयार’
मिथुन ने कहा कि वह इस सम्मान (दादा साहेब फाल्के पुरस्कार) को अपने परिवार, अनगिनत शुभचिंतकों एवं प्रशंसकों को समर्पित करते हैं। इस सवाल के जवाब में कि वह उत्तर कोलकाता स्थित अपने घर से यहां तक के सफर को कैसे देखते हैं, उन्होंने कहा कि मैं हर किसी से कहना चाहता हूं कि यदि मैं यहां तक पहुंच सकता हूं तो आप क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि आपमें (अभिनेता बनने के आकांक्षी) समर्पण की भावना होनी चाहिए। आपको मुश्किल हालात का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। मैं इसका एक उदाहरण हो सकता हूं।
‘सामाजिक कार्य करने वाला अभिनेता हूं’
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से दी गई शुभकामना के बारे में पूछे जाने पर मिथुन ने कहा कि मैं इसके लिए उनका शुक्रिया अदा करता हूं। उनका और हर किसी का आभार, जिन्होंने मुझे शुभकामनाएं दीं। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य के तौर पर उनके कार्यकाल के बारे में पूछे जाने पर कहा कि मेरा कार्यकाल बहुत पहले समाप्त हो चुका है। मैं अब सांसद नहीं रहा। मैं एक अभिनेता हूं, जो लोगों के लिए सामाजिक कार्य भी करता है।
कोलकाता दुष्कर्म केस पर बोले मिथुन
भाजपा के साथ उनके जुड़ाव और यह सम्मान पाने में इसकी कोई भूमिका होने के बारे में मिथुन ने कहा कि मैं भाजपा से जुड़ा हुआ हूं, लेकिन मैंने फिल्म उद्योग में लंबे समय तक काम किया है और मुझे लोगों का प्यार मिला है। आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डाक्टर से दुष्कर्म और उसकी हत्या की वारदात के बारे में पूछे जाने पर कहा कि हर किसी की तरह मैं भी इस घटना से हिल गया। हम सभी बस यही चाहते हैं कि इस बर्बर अपराध करने वाले का पता लगाया जाए और दंडित किया जाए। यदि इसमें देर हुई या ऐसा नहीं हुआ, तो महिलाओं की सुरक्षा कभी सुनिश्चित नहीं होगी।
मिथुन ने बांग्ला फिल्म ‘मृगया’ से अपनी अभिनय पारी की शुरुआत की थी और ‘सुरक्षा’ ‘डिस्को डांसर’, ‘डांस डांस’, ‘प्यार झुकता नहीं’, ‘दलाल’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं।
बॉलीवुड की गलियों से सुबह सुबह एक गुड न्यूज आई। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक्टर को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की। अभिनेता को यह पुरस्कार फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए दिया जाएगा। मिथुन का फिल्मी करियर 50 साल का रहा है। इस दौरान उन्होंने लगभग 18 भाषाओं की 370 फिल्मों में काम किया है। उन्होंने साल 1976 में आई फिल्म ‘मृगया’ से बॉलीवुड में कदम रखा था। फिल्म हिट हुई और इसके लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवॉर्ड जीता।
अवार्ड मिलने की खुशी जाहिर करते हुए मिथुन चक्रवर्ती ने कहा, “मेरे पास शब्द नहीं हैं। ना मैं हंस सकता हूं, ना रो सकता हूं। ये इतनी बड़ी बात है.. मैं इसकी कल्पना भी नहीं कर सकता था। मैं बेहद खुश हूं। मैं इसे अपने परिवार और दुनिया भर में मौजूद अपने फैंस को समर्पित करना चाहता हूं।”
कैसे आया आत्महत्या का ख्याल?
एक्शन से लेकर कॉमेडी तक उन्होंने हर जॉनर की फिल्में कीं और फैंस का दिल जीता। पिछले दिनों टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू में एक्टर ने अपने जीवन का ऐसा राज खोला जिसे सुनकर आप भी शॉक्ड हो जाएंगे। मिथुन ने कहा, “मैं आम तौर पर इस बारे में ज्यादा बात नहीं करता हूं और ऐसा कोई विशेष फेज नहीं है जिसके बारे में मैं बात करना चाहता हूं। मैं उन संघर्ष के दिनों के बारे में बात न करें क्योंकि यह महत्वाकांक्षी कलाकारों को हतोत्साहित कर सकता है। हर कोई संघर्ष से गुजरता है, लेकिन मेरा संघर्ष बहुत ज्यादा था। कभी-कभी मुझे लगता था कि मैं अपने लक्ष्य हासिल नहीं कर पाऊंगा, यहां तक कि मैंने आत्महत्या करने के बारे में भी सोचा।”
उन्होंने आगे कहा,”मैं किन्हीं खास वजहों से कोलकाता वापस जाने के बारे में भी नहीं सोच सकता था। लेकिन मैं लोगों को यही सलाह देना चाहूंगा कि लड़े बगैर कभी भी अपने संघर्षों से भागने की कोशिश ना करें। मैं पैदाइशी फाइटर हूं और मुझे हारना नहीं आता। देखों आज मैं कहा हूं।”
मिथुन चक्रवर्ती हिंदी सिनेमा का वो हीरा है, जिन्हें तराशने में सालों लग गए। कभी रंग के चलते रिजेक्ट हुए तो कभी साजिशों के जाल में फंसे, लेकिन कभी हार नहीं मानी और खुद को साबित कर इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई।
मिथुन चक्रवर्ती का फिल्मी करियर कभी आसान नहीं रहा। शुरू में उनके अभिनय की राह में कई कांटे आए, लेकिन वह सितारे की तरह चमके। 16 जून 1950 को कोलकाता में जन्मे मिथुन ने साल 1976 में फिल्म मृगया से बॉलीवुड में डेब्यू किया था लेकिन शायद ही आपको पता हो कि वह फिल्मों में आने से पहले नक्सल ग्रुप का हिस्सा थे। इसका खुलासा खुद अभिनेता ने एक पुराने इंटरव्यू में किया था।
एक्टर बनने के बाद भी नहीं छूटा नक्सली का लेबल
मिथुन चक्रवर्ती ने पत्रकार अली पीटर जॉन के साथ बातचीत में नक्सली लाइफ को लेकर बताया था। उन्होंने कहा कि नक्सली होने के चलते उन्हें इंडस्ट्री में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। यह लेबल कभी नहीं हटा था। बकौल अभिनेता इंडस्ट्री और उसके बाहर के लोग कलकत्ता में नक्सली आंदोलन में मेरे शामिल होने और नक्सलियों के उग्र नेता चारु मजूमदार के साथ मेरे करीबी संबंधों के बारे में सब जानते थे। मेरे परिवार में एक त्रासदी के बाद मैंने आंदोलन छोड़ दिया था, लेकिन नक्सली होने का लेबल मेरे साथ हर जगह रहा, चाहे वह पुणे में FTII हो या जब मैं सत्तर के दशक के अंत में बॉम्बे आया था।
कहा जाता है कि एक एक्सीडेंट में भाई की मौत के बाद मिथुन चक्रवर्ती ने नक्सल ग्रुप से किनारा किया था और अभिनय की ओर कदम बढ़ाने का फैसला किया था।
पहली फिल्म से मिला नेशनल अवॉर्ड
एक इंटरव्यू में मिथुन चक्रवर्ती ने खुलासा किया था कि सांवले रंग की वजह से लोग उन्हें ताने मारते थे और कहते थे कि वह हीरो नहीं बन सकते हैं। हालांकि, अभिनेता ने लोगों का ये भ्रम तोड़ा और पीरियड ड्रामा फिल्म मृगया से डेब्यू किया। यह फिल्म हिट रही और मिथुन को बेस्ट एक्टर के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। फिर वह फिल्मों में रील लाइफ नक्सली बनकर सामने आए। नक्सलवाद पर बनी पहली फिल्म द नक्सली में मिथुन ने काम किया था।
हालांकि, जीनत अमान वो अभिनेत्री थीं, जिन्होंने किसी की न सुनी और मिथुन के साथ ‘तकदीर’ की। इसके बाद मिथुन का करियर चमक गया और वह बॉलीवुड के डिस्को डांसर बन गए।