महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार ने मनाया अपना आठवां स्थापना दिवस समारोह।
” धारा की रोम-रोम की यही कहानी है,
वतन में वीर है तकदीर है जवानी है।”
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बिहार में मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार ने अपना आठवां स्थापना दिवस गुरुवार को राजा बाजार स्थित महात्मा गांधी प्रेक्षागृह में मनाया। इस समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने किया, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास, सारस्वत अतिथि के रूप में वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र और मुख्य वक्ता के रूप में जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति प्रो. परमेनदर कुमार बाजपेई पधारे।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि विश्वविद्यालय 2027 तक पूर्णत: बनकर तैयार हो जाएगा। विश्वविद्यालय का विस्तार तीन चरणों में होगा। एक बहुविषयक विश्वविद्यालय के रूप में इसकी निर्मिति होगी। इसमें लगभग पचास से अधिक विभाग होंगे और प्राथमिकता के आधार पर छात्र एवं छात्राओं के छात्रावास की सबसे पहले व्यवस्था की जाएगी। भूमि संबंधी दुविधा को समाप्त कर लिया गया है। शीघ्र ही यहां निर्माण कार्य प्रारंभ होगा, जिसे हम देख पाएंगे। गुणवत्तायुक्त शिक्षा हमारी प्राथमिकता है।
झारखंड से पधारे केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. क्षिति भूषण दास ने कहा कि इतिहास को जानना और इतिहास को बनाना दोनों अलग है। बिहार गरीब क्यों है, इसके बारे में बिहार को सोचना है। यह विश्वविद्यालय आपका है इसे आप आगे लेकर जाएंगे। विश्वविद्यालय को आप कैसा बनाना चाहते हैं यह आपके ऊपर निर्भर करेगा। हमारे पास जितना धन है, जितनी शक्ति है उसके अनुसार हम काम करेंगे, परन्तु हमारे पास इतनी शक्ति अवश्य है कि इसमें हम अपना सर्वोच्च दे सकते है।
काशी की धरती से पधारे सरस्वत अतिथि पद्मश्री प्रो. अभिराज राजेंद्र मिश्र ने कहा की मोतियों की हार की तरह भारत माता के गले में यह मोतिहारी नगर है। यह गांधी की भूमि है। भारत की अमूल निधि का चयन करके अपने संस्कृति को गाँधी जी ने आगे बढ़ाया था। गांधी जी ने जनता के हृदय से भय को हटाया। गांधी जी के लिए राष्ट्रपिता का बीज जो यहां रोपा गया, वह यहीं से वटवृक्ष के रूप में प्रस्फुटित हुआ। हमने जो अपने जीवन में प्राप्त किया है अपने राष्ट्र के लिए प्राप्त किया है।
एक ईमानदार अध्यापक देश का सबसे बड़ा नेता होता है। राष्ट्र की जितनी सेवा संतों, प्राध्यापकों, उपदेशों ने की है उतना किसी और ने नहीं किया, क्योंकि 1200 वर्ष की गुलामी में हम अपना इतिहास और भूगोल सब भूल गए थे। इसलिए अपनी अतीत की रक्षा करना सबसे बड़ी राष्ट्रीयता है। हम अपने राष्ट्र के लिए कुछ करें। मैं यही कामना करता हूं कि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय तक्षशिला विश्वविद्यालय बन जाए।देश के लिए तीन अमर तत्व है जो भारत को प्राप्त है, उसमें अन्न-पानी, यौवन बल और परम सत्ता में विश्वास।
वही सारण (छपरा) में जयप्रकाश विश्वविद्यालय से पधारे कुलपति परमेनदर कुमार बाजपेयी ने कहा की एक मानक शिक्षण संस्थान के रूप में आपका विश्वविद्यालय स्थापित हो, ऐसी मेरी कामना है। आज नवरात्रि का प्रथम दिवस है, यह अध्यात्म, चेतना,ऊर्जा पूजन का भी दिवस है। आप सभी को यह ज्ञात होना चाहिए की 03 अक्टूबर 1917 को ही बिहार विधान परिषद में 13000 किसानों का बयान प्रस्तुत किया गया था। यह उन किसानों के अत्याचारों का वर्णन था जो गोरे किया करते थे। इससे चंपारण सत्याग्रह इतिहास बना। आंदोलन को एक दिशा मिली और ठीक तीस वर्ष बाद हमारा देश स्वतंत्र हो गया।
विश्वविद्यालय में गुणवत्तायुक्त शिक्षा देना हमारा दायित्व है। समग्र बहुविषयक, लचीली व्यवस्था से हम आगे बढ़ सकते है। विश्वविद्यालय में छात्रों का पढ़ाई के प्रति दायित्व होने के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों में उनकी भागीदारी को हम यहां देख पा रहे है। आपका पुस्तकालय अध्ययन विभाग बिहार का इकलौता विभाग है जिसमें गुणवत्ता युक्त पठन-पाठन है, इसका लाभ बिहार को मिलना चाहिए क्योंकि पुस्तकालय विज्ञान की पढ़ाई बिहार में अन्यत्र कहीं नहीं होती है।
वहीं विश्वविद्यालय के कुलानुशासक व गाँधी भवन परिसर के निदेशक एवं मानविकी व भाषा संकाय के अधिष्ठाता प्रो. प्रसून दत्त सिंह ने सभी अतिथियों का स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि आने वाले भविष्य में विश्वविद्यालय एक गुणवत्तायुक्त शैक्षिक संस्था के रूप में सामने आएगा, इसके लिए सभी आचार्यगण अहर्निश कार्य कर रहे हैं। शोधार्थी एवं विद्यार्थियों में गुणवत्ता युक्त शिक्षक का वातावरण निरंतर तैयार हो रहा है।
कार्यक्रम में सर्वप्रथम मां शारदा एवं महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर, दीप प्रचलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने किया गया। छात्र योगेश दास ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया।
सभी अतिथियों को पादप, अंग वस्त्र, मां दुर्गा की प्रतिमा एवं विश्वविद्यालय का प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया गया।
मंच का संचालन अंग्रेजी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. उमेश पात्रा ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. विमलेश कुमार सिंह ने किया।
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