क्या दिल्ली-NCR नहीं बनेगा गैस चैंबर?
पराली का धुआं दे रहा दस्तक
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पंजाब और हरियाणा में पराली को जलाने से रोकने के लिए पिछले सालों की तरह फिर बड़े-बड़े दावे व उपाय किए जाने लगे है। यह बात अलग है कि इसके बाद भी पिछले साल पंजाब और हरियाणा में पराली खूब जली थी।
फ्लाइंग स्क्वाड की तैनाती
दोनों राज्यों में पराली जलने के करीब 40 हजार मामले रिपोर्ट हुए थे। बावजूद इसके केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के निर्देश पर केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने पराली को जलाने से रोकने के लिए इस बार फिर पंजाब और हरियाणा के 26 जिलों में उड़नदस्ते (फ्लाइंग स्क्वाड) की तैनाती दी है। इसमें राज्य और संबंधित जिलों के अधिकारी शामिल होंगे।
30 नवंबर तक रहेंगे एक्टिव
दोनों राज्यों के यह सभी ऐसे जिले है जहां पिछले साल सर्वाधिक पराली जलाने की घटनाएं रिपोर्ट हुई है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक पंजाब-हरियाणा में तैनात किए गए इन दस्तों ने तत्काल प्रभाव से काम शुरू कर दिया है। जो इन सभी जिलों में 30 नवंबर तक काम करेगा।
प्रबंधन के लिए प्रकोष्ठ गठित
इस बीच वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने जल्द ही मोहाली और चंडीगढ़ में पराली के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रकोष्ठ गठित करने की भी जानकारी दी है। जो राज्य के कृषि विभाग सहित पराली प्रबंधन में लगी राज्य की एजेंसियों व उड़नदस्तों के बीच समन्वय का काम करेगा।
इन जिलों में हुई तैनाती
पंजाब – अमृतसर, बरनाला, बटिंडा, फरीदकोट, फतेहगढ़ साहिब, फज्लिका, फिरोजपुर, जालंधर, कपूरथला, लुधियाना, मांसा, मोगा, मुक्तसर, पटियाला, संगरूर और तरन तारण।
हरियाणा- अंबाला, फतेहाबाद, हिसार, जींद, कैथल, करनाल, कुरुक्षेत्र, सिरसा, सोनीपत और यमुनागर।
एनसीआर को जहरीली हवाओं से बचाने के लिए वैसे तो हर साल की तरह इस बार भी खूब दावे किए गए हैं, लेकिन इसके बाद भी पंजाब में पराली जलाना शुरू हो गया है। इसकी रफ्तार पिछले साल के मुकाबले तेज है। पिछले साल सितंबर में पराली जलाने की करीब 50 घटनाएं ही रिपोर्ट हुई थीं, लेकिन इस बार अब तक 120 घटनाएं रिपोर्ट की जा चुकी हैं।
इसके साथ ही आने वाले दिनों में मौसम के मिजाज में जिस तरह का बदलाव और पराली जलाने की घटनाओं में तेजी का अनुमान है, उसके हिसाब से 17 अक्टूबर के बाद एनसीआर की हवा हर साल की तरह जहरीली हो सकती है।
पराली के धुएं से वायु प्रदूषण
पराली के धुएं से वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच सकता है। यह स्थिति करीब एक महीने यानी 17 नवंबर तक बनी रह सकती है। वायु प्रदूषण की सबसे गंभीर स्थिति दीपावली के आसपास देखने को मिल सकती है।
प्रभावी अंकुश लगाने की तैयारी
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने अपने पिछले सालों के अनुभवों को देखते हुए पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश व राजस्थान को इस अवधि को लेकर सतर्क किया है। उसने पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम लगाने व वायु प्रदूषण बढ़ाने वाली स्थानीय वजहों पर भी प्रभावी अंकुश लगाने को कहा है।
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण क्यों होता है?
- वैसे भी एनसीआर में हर साल बढ़ने वाले वायु प्रदूषण में पराली के धुएं की मात्रा करीब 40 प्रतिशत तक ही रहती है। बाकी 60 प्रतिशत में वाहनों के निकलने वाले धुएं, निर्माण व सड़कों से उठने वाली धूल आदि शामिल होती।
- खास बात यह है कि एनसीआर में इस सीजन में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति हर साल निर्मित होती है। जहरीली हवाओं के चलते लोगों को सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
- हर साल लोगों को इस संकट से बचाने के लिए ढेर सारी योजनाएं बनती हैं, खूब बैठकें होती हैं। लेकिन स्थिति कमोबेश जस की तस ही देखने को मिलती है।
वायु प्रदूषण से निपटने का प्लान
इस बार भी वायु प्रदूषण की खतरनाक स्थिति से निपटने के लिए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के मुख्य सचिवों और वन एवं पर्यावरण, कृषि जैसे केंद्रीय मंत्रालयों के आला अधिकारियों के साथ बैठक की है। इसमें इससे निपटने के लिए पूरा प्लान दिया है।
ड्रोन और टास्क फोर्स करेगी निगरानी
प्रदूषण से जुड़े हॉटस्पॉट इलाकों की निगरानी ड्रोन की मदद से की जाएगी। हालांकि इनका इस्तेमाल बीते साल भी हुआ था, लेकिन तब निगरानी मैनुअली की गई थी। उन्होंने बताया कि इसके लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है। इसमें 6 सदस्य होंगे। ये टीम प्रदूषण की निगरानी करेगी और इसी के हिसाब से कार्रवाई करेगी।
588 टीमें कचरा जलाने से रोकेंगी
हमने एंटी स्मॉग गन की भी तैनाती की है। ये एक जगह से दूसरी जगह जा सकती हैं। इस साल हमने इनकी संख्या भी बढ़ाई है। इस साल भी पटाखों पर प्रतिबंध रहेगा। जैसे ही नोटीफिकेशन जारी होगा, पटाखों पर प्रतिबंध लागू हो जाएगा। शहर में ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान लागू किया जाएगा। साथ ही पूरे शहर भर में लोगों को खुले में कचरा जलाने से रोकने के लिए 588 टीमों को तैनात किया जाएगा।
खुले रहेंगे विकल्प
हम लोगों को वर्क फ्रॉम होम करने के लिए बढ़ावा देंगे। साथ ही निजी वाहनों का इस्तेमाल कम करने के लिए भी सलाह देंगे। अगर जरूरत पड़ेगी तो हम ऑड-ईवन योजना को भी लागू करेंगे। इसके साथ ही हम कृत्रिम वर्षा पर भी विचार कर रहे हैं।