देश में विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाना चाहिए – सुप्रीम कोर्ट

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देश में अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान किया जाता है- जज

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पत्रकारों के विरुद्ध सिर्फ इसलिए आपराधिक मामला नहीं दर्ज किया जाना चाहिए क्योंकि उनके लेखन को सरकार की आलोचना के रूप में देखा जाता है।

जस्टिस हृषिकेश राय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने कहा कि लोकतांत्रिक देश में विचार व्यक्त करने की आजादी का सम्मान किया जाना चाहिए और संविधान के अनुच्छेद-19(1)(ए) के तहत पत्रकारों के अधिकार सुरक्षित किए गए हैं।

पीठ पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश में अपने विरुद्ध दर्ज एफआइआर रद करने की मांग की है। यह एफआइआर राज्य में सामान्य प्रशासन के जातिगत झुकाव पर एक रिपोर्ट प्रकाशित करने के लिए दर्ज की गई थी।

याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने कहा कि इस बीच विषयगत लेख के संबंध में याचिकाकर्ता के विरुद्ध कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता के वकील ने एफआइआर को पढ़कर कहा कि उक्त एफआइआर से कोई अपराध पता नहीं चलता।

इसके बावजूद याचिकाकर्ता को निशाना बनाया जा रहा है और एक्स पर रिपोर्ट पोस्ट करने के बाद से कई अन्य एफआइआर भी दर्ज हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट मामले पर अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद करेगा।

याचिका में अभिषेक उपाध्याय ने आरोप लगाया है कि उनके विरुद्ध एफआइआर राज्य के कानून प्रवर्तन तंत्र के दुरुपयोग का प्रयास है ताकि उनकी आवाज दबाई जा सके। लिहाजा और उत्पीड़न रोकने के लिए इसे रद कर दिया जाना चाहिए। अधिवक्ता अनूप प्रकाश अवस्थी के जरिये दायर याचिका में उन्होंने दावा किया कि ‘यादव राज बनाम ठाकुर राज’ शीर्षक वाली रिपोर्ट के बाद 20 सितंबर को उनके विरुद्ध लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआइआर दर्ज की गई थी।

देश में अभिव्यक्ति की आजादी का सम्मान किया जाता है- जज

प्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-19 (1)(ए) के तहत पत्रकारों का अधिकार प्रोटेक्टेड है। सरकार की आलोचना मानकर किसी पत्रकार के खिलाफ केस दर्ज नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता के खिलाफ यूपी में पुलिस ने उनकी ‘सामान्य प्रशासन में जाति विशेष की भागीदारी’ संबंधित रिपोर्ट के मामले में केस दर्ज किया था। इस केस को खारिज करने के लिए याची पत्रकार ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद होगी।

पत्रकार का क्या है आरोप

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर राज्य के कानून लागू करने वाले तंत्र का दुरुपयोग करके उसकी आवाज दबाने का स्पष्ट प्रयास है। आगे किसी भी तरह के उत्पीड़न को रोकने के लिए इसे रद्द किया जाना चाहिए। बता दें कि 20 सितंबर को हजरतगंज थाने में पत्रकार अभिषेक उपाध्याय के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पत्रकार अभिषेक उपाध्याय की ओर से दायर की गई याचिका में दावा किया गया कि जब उन्होंने ‘यादव राज बनाम ठाकुर राज’ शीर्षक से खबर की तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया।

 

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