असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक दशहरा 12 अक्तूबर को मनाया जायेगा
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
दशहरा हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है. इस दिन विभिन्न परंपराओं का पालन किया जाता है, जैसे रावण का दहन, शस्त्रों की पूजा और जवारे का विसर्जन. ये सभी कार्य शुभ मुहूर्त के अनुसार संपन्न किए जाते हैं. इस बार ये उत्सव 12 अक्टूबर, शनिवार को किया जाएगा.
रावण दहन का मुहूर्त क्या है ?
इस वर्ष दशहरा के दिन रावण दहन का समय सूर्यास्त के पश्चात, अर्थात् शाम 5 बजकर 54 मिनट के बाद निर्धारित किया गया है, जो कि ढाई घंटे तक चलेगा. रावण दहन का यह समय सूर्यास्त से प्रारंभ होकर ढाई घंटे तक जारी रहता है, और इसे प्रदोष काल में संपन्न किया जाता है. सूर्यास्त के बाद जब अंधेरा छा जाएगा, उसी समय रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाएगा.
दशहरा या विजयादशमी का महत्व
दशहरा केवल भगवान राम द्वारा रावण को पराजित करने का दिन नहीं है, बल्कि इसका एक गहरा महत्व भी है. यह दिन सद्गुणों को प्रोत्साहित करता है, बुराइयों को समाप्त करता है और सफलता के नए मार्ग प्रशस्त करता है. इस दिन भगवान राम की आराधना करने से आत्मविश्वास और नैतिक बल में वृद्धि होती है, साथ ही आध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक शुद्धि भी होती है. दशहरा का मुख्य संदेश असत्य पर सत्य की विजय है, जिसमें भगवान राम बुराई पर अच्छाई की अंतिम जीत के प्रतीक हैं.
दशहरा केवल भगवान राम की विजय का ऐतिहासिक पुनरावृत्ति नहीं है. यह एक ऐसा अवसर है जो आंतरिक बुराइयों के नाश और व्यक्तियों के भीतर सकारात्मकता और सद्गुणों के विकास का प्रतीक है. रावण दहन की परंपरा को शुभ माना जाता है, जो नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने का संकेत है, जिससे व्यक्ति के जीवन में दिव्य गुणों का उदय होता है. यह पर्व अच्छाई और बुराई के बीच के संघर्ष का प्रतीक है.
इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर लंका पर विजय प्राप्त किया था इसलिए भी इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है। हिदू धर्मालंबियों का यह प्रमुख त्योहार असत्य पर सत्य की जीत तथा बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन ग्रह-नक्षत्रों के संयोग ऐसे होते हैं जिससे किये जाने वाले काम में विजय निश्चित होती है।
धर्मशास्त्र में वर्णित कथा का उल्लेख करते हुए कहा कि एक बार माता पार्वतीजी ने भगवान शिवजी से दशहरे के त्योहार के बारे में बड़ी उत्सुकता से प्रश्न किया। इसका भगवान शिव ने उत्तर देते हुए कहा कि इस दिन भगवान श्रीराम ने इसी विजय काल में लंका पर चढ़ाई करके रावण को परास्त किया था। इसी काल में शमी वृक्ष ने अर्जुन का गांडीव नामक धनुष धारण किया था।
असत्य, बुराई चाहे कितनी भी बड़ी और विकराल क्यूं न हो, देर से ही सही पर सत्य की हमेशा जीत होती है। सत्य के रास्ते पर चलने पर कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है। जिस प्रकार भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को सत्य की राह पर चलते हुए 14 वर्ष का वनवास भी काटना पड़ा, लेकिन जीत सत्य की हुई और रामराज स्थापित हुआ।
सभी को सत्य और अच्छे मार्ग पर चलकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करना चाहिए। विजयादशमी का त्योहार भी हमें यह बताता है कि असत्य पर सत्य की जीत हमेशा होती है और रावण रूपी बुराई अंततः जलकर स्वाहा हो ही जाता है।