दिल जीत लेगी रतन टाटा की सादगी,कैसे?

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

देश के प्रतिष्ठित उद्योगपति रतन टाटा का जीवन बेहद सादगी भरा रहा। वे अपने होटल में अपनी पहचान बताए बिना रुकते थे। यहां तक की पूरा बिल का भुगतान भी करते थे। दिवंगत उद्योगपति रतन टाटा ने जुड़ा बेहद दिलचस्प किस्सा साझा किया है आईबीएस सॉफ्टवेयर के कार्यकारी अध्यक्ष वीके मैथ्यूज ने। मैथ्यूज ग्रुप ऑफ टेक्नोलॉजी कंपनीज के अध्यक्ष भी हैं।

विनम्रता खूब पसंद आई

वीके मैथ्यूज ने रतन टाटा से जुड़े कुछ संस्मरणों को याद किया। उन्होंने टाटा संस के मानद चेयरमैन और टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन के निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया। मैथ्यूज ने बताते हैं कि मुझे उनकी विनम्रता सबसे ज्यादा पसंद आई। गंभीर पलों में उनका सेंस ऑफ ह्यूमर कमरे के माहौल को हल्का कर देता था। इससे वे और भी प्यारे लगते थे।

बिना पहचान बताए होटल में किया नाश्ता

मैथ्यूज ने अपनी अमेरिकी यात्रा के दौरान की दो घटनाओं का जिक्र किया। जब उन्हें रतन टाटा के साथ कुछ समय बिताने का मौका मिला। मैथ्यूज ने बताया कि न्यूयॉर्क में हम एक सुबह रतन टाटा के साथ उनके होटल में नाश्ता कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने होटल के कर्मचारियों को अपनी पहचान नहीं बताई। मैथ्यूज कहते हैं कि यह उनकी विनम्रता का छोटा मगर स्पष्ट संकेत था।

खुद क्रेडिट कार्ड से चुकाया बिल

मैथ्यूज ने रतन टाटा की सादगी से जुड़ा दूसरा किस्सा साझा किया। मैथ्यूज ने कहा कि न्यूयॉर्क के एक अन्य रेस्तरां में रतन टाटा से मिले। मुझे हैरानी इस बात की हुई कि उन्होंने अपने क्रेडिट कार्ड से बिल का भुगतान किया। भुगतान से पहले उन्होंने अपने बिल की जांच भी की। यह बेहद सरल सी दिखने वाली बात उनके स्वभाव के बारे में बहुत कुछ कहती है।

एक करिश्माई कारोबारी

मैथ्यूज ने कहा कि एक करिश्माई कारोबारी का निधन व्यापार जगत और राष्ट्र के लिए बहुत बड़ी क्षति है। मैथ्यूज ने रतन टाटा को याद करते हुए कहा कि रेस्तरां में उन्होंने मजाकिया अंदाज में मुझसे पूछा कि क्या मैं आपका पीछा कर रहा हूं या आप मेरा पीछा कर रहे हैं?’

रतन टाटा दूरदर्शी नेता थे

मैथ्यूज ने कहा कि अपनी सभी उपलब्धियों के बावजूद रतन टाटा हमेशा जमीन से जुड़े रहे। वे मिलनसार रहे। रतन टाटा एक दूरदर्शी नेता थे। उन्होंने उभरते भारत की ऊर्जा, आशा और सफलता को मूर्त रूप दिया। वे एक दूरदर्शी उद्यमी से कहीं ज्यादा देश की आर्थिक और सामाजिक प्रगति के वास्तविक प्रतिबद्धता वाले नेता थे।

2008 में हुए 26/11 के आतंकी हमले के अनुभवों को लेकर महाराष्ट्र के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विश्वास नागरे पाटिल ने कहा कि मुंबई के कोलाबा में स्थित ताज महल पैलेस होटल में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों के खिलाफ चल रहे सेना के आपरेशन के दौरान लगातार तीन दिनों पर उद्योगपति रतन टाटा होटल के बाहर चट्टान बनकर खड़े रहे थे।

ताज होटल में घुस गए थे आतंकी

महाराष्ट्र के एडीजी ने गुरुवार को नवंबर, 2008 की इस घटना की विभीषिका को याद करते हुए कहा कि वह तब दक्षिण मुंबई के जोन-1 के पुलिस उपायुक्त थे। वह उन पुलिस अफसरों में शामिल थे जो आतंकी हमला होने के बाद सबसे पहले होटल में घुसे थे और पाकिस्तानी आतंकियों से मुठभेड़ की थी।

वरिष्ठ आइपीएस अफसर ने बताया कि रतन टाटा अपने शांति आचरण के लिए जाने जाते रहे हैं लेकिन होटल पर हमले के दौरान उसके मुक्त होने तक वहां से नहीं हटने को लेकर दृढ़ संकल्प थे। जब तक सैन्य अभियान चलता रहा, टाटा को अधिकांश समय होटल के बाहर खड़ा देखा गया था। वह लगातार सुरक्षा अधिकारियों और होटल कर्मचारियों के संपर्क में थे।

पुलिस अफसर ने सुनाया किस्सा

पुलिस अफसर दीपक ढोले ने बताया कि आतंकियों से मुकाबला करते हुए गंभीर रूप से घायल लोगों ने टाटा को देश का असली रतन बताया था। उन्होंने रतन टाटा को एक महान इंसान बताते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ होटल में फंसे इंसानों की ही नहीं, बल्कि आतंकियों से जारी मुठभेड़ के दौरान सड़क पर घूम रहे 5-6 आवारा कुत्तों के जीवन की भी चिंता थी।

उस गोलीबारी के दौरान उन्होंने आसपास के जानवरों को भी खाना खिलाया था। हमले के एक महीने बाद ही होटल फिर से खोल दिया गया था, हालांकि उसे उसका पुराना वैभव वापस देने में 21 महीने लग गए थे। उन्होंने इस आपदा से प्रभावित पीडि़तों की सहायता के लिए ताज पब्लिक सर्विस वेलफेयर ट्रस्ट का भी गठन किया था।

राजनीति, उद्योग, फिल्मी हस्तियों से लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों ने रतन टाटा को दी श्रद्धांजलि

रतन टाटा के निधन से देशभर में शोक की लहर है। सादगी, विनम्रता और परोपकार के गुण से उन्होंने सभी के दिल पर अमिट छाप छोड़ी। निधन के बाद एनसीपीए ग्राउंड में उनके अंतिम दर्शन के लिए सैलाब उमड़ पड़ा। राजनीति, उद्योग, फिल्म से लेकर कई केंद्रीय मंत्रियों ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी।

‘रतन टाटा अपनी अनूठी सोच और कार्य से प्रेरणास्त्रोत बने रहेंगे। अनेक ऊंचाइयों को छूने के बाद भी उनकी सादगी और विनम्रता की शैली अनुकरणीय रहेगी। उनके निधन से भारत ने एक अमूल्य रत्न खो दिया है। भारत की विकास यात्रा में रतन टाटा का योगदान चिरस्मरणीय रहेगा। उद्योग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में नई व प्रभावी पहल के साथ ही उन्होंने कई श्रेष्ठ मानक स्थापित किये। समाज के हित के अनुकूल सभी कार्यों में उनका सतत सहयोग व सहभागिता बरकरार रही।’-आरएसएस के सरसंघचालक, मोहन भागवत

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