खड़ी मालगाड़ी से कैसे टकराई मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस?
क्या घटना बालासोर रेल हादसे की पुनरावृत्ति है?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस ट्रेन एक्सीडेंट को लेकर जो शुरुआती जानकारी सामने आ रही है, उसके अनुसार यह बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट जैसा ही हादसा प्रतीत होता है। गौरतलब है कि शुक्रवार रात को मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस चेन्नई के पास खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई थी।
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार घटना के एक दिन बाद विशेषज्ञों और यूनियन नेताओं का कहना है कि डेटा-लॉगर वीडियो के अनुसार, मैसूर-दरभंगा एक्सप्रेस ट्रेन को मुख्य लाइन से गुजरने के लिए हरी झंडी दी गई थी, लेकिन यह लूप लाइन में प्रवेश कर गई, जिसमें पहले से मालगाड़ी खड़ी थी।
मालगाड़ी से टकराई थी ट्रेन
हादसे के चलते ट्रेन नंबर 12578, मैसूर-दरभंगा बागमती एक्सप्रेस, शुक्रवार को रात करीब 8:30 बजे तमिलनाडु के चेन्नई रेल डिवीजन के कावरैपेट्टई रेलवे स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे नौ यात्री घायल हो गए। बताते चलें कि डेटा लॉगर एक उपकरण है, जिसे स्टेशन क्षेत्र में ट्रेन की गतिविधियों और सिग्नल पहलुओं को कैप्चर करने के लिए रखा जाता है।
पीटीआई के अनुसार डेटा लॉगर का यह यार्ड-सिमुलेशन वीडियो शनिवार सुबह से ही वरिष्ठ रेलवे अधिकारियों के व्हाट्सएप ग्रुपों में प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें इस दुर्घटना और 2 जून 2023 को बालासोर ट्रेन टक्कर के बीच कई समानताएं देखने को मिल रही हैं। दक्षिणी रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने एजेंसी से कहा कि उन्हें ऐसे किसी वीडियो की जानकारी नहीं है और टक्कर की कई जांच पहले ही शुरू की जा चुकी हैं।
मुख्य लाइन की जगह लूप लाइन में गई ट्रेन
शुक्रवार देर रात जारी एक प्रेस बयान में, रेलवे बोर्ड ने यह भी स्वीकार किया कि यात्री ट्रेन को मुख्य लाइन के लिए हरी झंडी दी गई थी, लेकिन उसे झटका लगा और वह लूप लाइन में घुस गई, जिसके परिणामस्वरूप मालगाड़ी से टक्कर हो गई। घटना की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए गए हैं।
इससे पहले बालासोर में भी हावड़ा जाने वाली कोरोमंडल एक्सप्रेस को मुख्य लाइन के लिए हरी झंडी दी गई थी, लेकिन, पटरियों के गलत इंटरलॉकिंग के कारण वह एक लूप लाइन में घुस गई और खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। दक्षिण रेलवे के ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) के अध्यक्ष आर कुमारसन ने कहा, ‘सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध जानकारी के आधार पर, ऐसा प्रतीत होता है कि यह टक्कर 2 जून, 2023 को बालासोर ट्रेन टक्कर की लगभग पुनरावृत्ति है। रेलवे को सिग्नलिंग सिस्टम में विसंगतियों को दूर करने के लिए गंभीर दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।’
तकनीकी खराबी के कारण हुआ हादसा
सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम में सिग्नल पटरियों के इंटरलॉकिंग का अनुसरण करता है। इसका मतलब है कि अगर मुख्य लाइन के लिए सिग्नल हरा है तो इंटरलॉकिंग स्वचालित रूप से इस तरह से सेट हो जाएगी कि ट्रेन मुख्य लाइन पर आ जाएगी। नाम न बताने का अनुरोध करते हुए एक सुरक्षा विशेषज्ञ ने एजेंसी से कहा, ‘सिग्नल पहलू और इंटरलॉकिंग के बीच समन्वय की कमी सिग्नलिंग सिस्टम में कुछ खराबी के कारण होती है। प्रथम दृष्टया, यह किसी प्रकार की तकनीकी गड़बड़ी प्रतीत होती है।’
भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने आश्चर्य व्यक्त किया, क्योंकि उनके अनुसार, पिछली सभी ट्रेनें उक्त स्टेशन से सिग्नलिंग और इंटरलॉकिंग प्रणाली में किसी भी असामान्यता के बिना गुजरीं। बालासोर में सिग्नल-मरम्मत का काम खत्म होने के तुरंत बाद टक्कर हुई, इसके विपरीत, कवारैपेट्टई रेलवे स्टेशन पर ऐसी कोई घटना नहीं हुई और ट्रेन का परिचालन सामान्य रहा।
एनडीआरएफ ने शुरू किया राहत एवं बचाव कार्य
जानकारी के मुताबिक ट्रेन के पार्सल वैन में आग लग गई थी। हालांकि समय रहते दमकल कर्मचारियों ने आग पर काबू पा लिया। उधर, सूचना मिलते ही राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीम तुरंत घटनास्थल पहुंची और युद्धस्तर पर राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया।
दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक आर एन सिंह ने कहा, “ट्रेन को कावरपेट्टई स्टेशन पर नहीं रुकना था। चेन्नई से रवाना होने के बाद ट्रेन को हरी झंडी दी गई। ड्राइवर सिग्नल का सही तरीके से पालन कर रहा था। मगर ट्रेन मुख्य लाइन के बजाय लूप लाइन पर चली गई। इसी गलती में यह हादसा हुआ है।” उन्होंने हादसे की जांच की बात कही है। सिंह ने कहा कि हादसे में कोई हताहत नहीं है। दक्षिण रेलवे ने इस सेक्शन से गुजरने वाली सभी ट्रेनों का समय बदला है।