डाक व्यवस्था जनमानस के लिए जीवन रेखा है,कैसे?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
डेढ़ सदी से डाक व्यवस्था दुनिया भर में लोगों, सरकारों और व्यवसायों के लिए जीवन रेखा रही है. विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाता है ताकि हमारे रोज़मर्रा के जीवन में डाक क्षेत्र की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके, साथ ही वैश्विक सामाजिक और आर्थिक विकास में इसके योगदान के बारे में भी बताया जा सके. आइए जानें इस दिन का इतिहास और महत्व
विश्व डाक दिवस का इतिहास
विश्व डाक दिवस हर साल 9 अक्टूबर को मनाया जाने वाला एक अंतरराष्ट्रीय दिवस है और यह यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की वर्षगांठ का भी प्रतीक है, जिसकी शुरुआत 1874 में स्विटजरलैंड में हुई थी. UPU ने लोगों को दुनिया भर में दूसरों को पत्र भेजने में सक्षम बनाकर वैश्विक संचार क्रांति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विश्व डाक दिवस की स्थापना 1969 में की गई थी और तब से, दुनिया भर के देश डाक सेवाओं के महत्व पर जोर देने के लिए विभिन्न गतिविधियों में भाग ले रहे हैं. इस वर्ष यूपीयू की स्थापना के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं, और दुनिया विश्व डाक दिवस को इस थीम के साथ मनाएगी: “संचार को सक्षम बनाने और राष्ट्रों में लोगों को सशक्त बनाने के 150 वर्ष.”
विश्व डाक दिवस का महत्व
अपनी स्थापना के बाद से ही विश्व डाक दिवस का उपयोग संचार, व्यापार और विकास में डाक सेवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर ध्यान केंद्रित करने के लिए किया जाता रहा है. आज, डाक प्रणाली ई-कॉमर्स, लॉजिस्टिक्स और वित्तीय समावेशन के लिए आवश्यक है.
विश्व डाक दिवस (9 अक्तूबर) के अवसर पर केंद्र सरकार के डाक विभाग ने यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की 150वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में स्मारक डाक टिकटों का एक विशेष सेट जारी किया।
UPU एक संयुक्त राष्ट्र विशेष अभिकरण है, जो डाक क्षेत्र का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिये प्राथमिक मंच है।
UPU की स्थापना 9 अक्तूबर 1874 को बर्न, स्विटज़रलैंड में हुई थी, जो भारत में वर्ष 1876 में UPU में शामिल हुआ।
UPU ने अंतर्राष्ट्रीय डाक विनियमों को मानकीकृत करने तथा निर्बाध मेल विनिमय को सुगम बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
UPU का मुख्यालय बर्न में स्थित है, यह अंतर्राष्ट्रीय टेलीग्राफ यूनियन (1865) के पश्चात् विश्व भर में दूसरा सबसे पुराना अंतर्राष्ट्रीय संगठन है।
वर्ष 2024 में भारतीय डाक की स्थापना के 170 वर्ष पूरे होंगे, जिसकी स्थापना वर्ष 1854 में लॉर्ड डलहौजी के कार्यकाल के दौरान हुई थी।
भारत में डाक सेवा:
वर्ष 1852: भारत का पहला डाक टिकट “सिंडे डॉक” जारी किया गया।
वर्ष 1854: बम्बई में भारत के पहले डाकघर की स्थापना।
- यह भी पढ़े…………..
- पराली जलने से रोकने को तैनात की गईं 26 केंद्रीय टीम
- हथियार दिखाकर लूटपाट करने वाले दो बदमाश गिरफ्तार
- शहरीकरण के असर का अध्ययन करने के लिए होगा सम्मेलन