सामाजिक कार्यकर्ता- पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों को मिली जमानत

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कार्यकर्ता-पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के आरोपी दो लोगों को 9 अक्टूबर को एक विशेष अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के बाद हिंदू समर्थक समूहों ने उनका भव्य स्वागत किया। कोर्ट से जमानत मिलने पर अपने गृहनगर विजयपुरा लौटे हत्या के आरोपियों का स्थानीय हिंदू समर्थकों द्वारा माला पहनाकर, नारंगी शॉल भेंट करके और उत्सव गीतों के साथ स्वागत किया। उन दोनों को छत्रपति शिवाजी की मूर्ति के पास ले जाया गया जहां पर दोनों ने मूर्ति पर माल्यार्पण किया। इसके बाद वे पूजा करने के लिए कालिका मंदिर गए।

हत्याकांड के आरोपियों का स्वागत करने वाले समर्थकों का दावा है कि उन्हें गलत तरीके से कैद किया गया था। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, गौरी लंकेश हत्याकांड मामले में वाघमोरे और यादवे के अलावा, अमोल काले, राजेश डी बंगेरा, वासुदेव सूर्यवंशी, रुशिकेश देवडेकर, गणेश मिस्किन और अमिथ रामचंद्र बद्दी को 9 अक्टूबर को जमानत दे दी गई थी।

गौरी लंकेश हत्याकांड में छह साल सलाखों के पीछे बिताने वाले परशुराम वाघमोरे और मनोहर यादवे को 9 अक्टूबर को बेंगलुरु सत्र अदालत ने जमानत दे दी और 11 अक्टूबर को परप्पाना अग्रहारा जेल से छोड़ दिया गया था। दोनों आरोपियों का स्वागत करने वाले एक हिंदु संगठन के नेता ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज विजयदशमी है, हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन। हमने परशुराम वाघमोरे और मनोहर यादववे का स्वागत किया, जिन्हें गौरी लंकेश की हत्या के आरोप में छह साल तक गलत तरीके से जेल में रखा गया है। असली दोषियों का अभी तक पता नहीं चल पाया है इन लोगों को सिर्फ इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वे हिंदू समर्थक कार्यकर्ता थे, उनके परिवारों को नुकसान हुआ है और इस अन्याय पर गंभीर आत्मनिरीक्षण की जरूरत है।

चरम हिंदुत्व विचारधाराओं की कड़ी आलोचनाओं और अपने चरम वामपंथी विचारों के लिए जानी जाने वाली पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर 2017 को बेंगलुरु में उनके घर के बाहर तीन मोटरसाइकिल सवार लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनकी हत्या से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई और व्यापक निंदा हुई। दिसंबर 2023 में, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने गौरी लंकेश हत्याकांड के आरोपियों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए एक विशेष अदालत की स्थापना का निर्देश दिया था।

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