भारत सरकार अपना कनाडा से उच्चायुक्त वापस क्यों बुलाने का निर्णय लिया?

भारत सरकार अपना कनाडा से उच्चायुक्त वापस क्यों बुलाने का निर्णय लिया?

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

भारत ने कनाडा में अपने उच्चायुक्त और ‘निशाना बनाए जा रहे अन्य राजनयिकों तथा अधिकारियों’ को स्वदेश वापस बुलाने का फैसला किया है। विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि हमें कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की वर्तमान कनाडा सरकार की प्रतिबद्धता पर कोई भरोसा नहीं है। इसलिए हम अपने राजनयिकों को वापस बुला रहे हैं। इससे पहले विदेश मंत्रालय ने नई दिल्ली में कनाडाई उच्चायुक्त को तलब किया था। इसके साथ ही भारत ने कनाडा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त एवं अन्य राजनयिकों को किसी मामले की जांच के सिलसिले में तलब किये जाने की कड़ी भर्त्सना की है और कहा है कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की वोट बैंक की राजनीति के लिए यह साजिश रची गई है।

भारत ने कनाडा के उन संकेतों को ‘बेतुका आरोप’ बताकर सिरे से खारिज कर दिया, जिनमें ओटावा में भारतीय उच्चायुक्त को सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की कथित हत्या की जांच से जोड़ा गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत को कल कनाडा से एक ‘‘राजनयिक संदेश मिला, जिसमें कहा गया था कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में एक मामले के सिलसिले में चल रही जांच की ‘निगरानी’ में हैं’’।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत सरकार इन बेतुके आरोपों को दृढ़ता से खारिज करती है और इन्हें ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे के लिए जिम्मेदार ठहराती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर केंद्रित है।’’ उसने कहा कि भारत अब ‘‘भारतीय राजनयिकों के खिलाफ आरोपों को गढ़ने के कनाडा सरकार के इन नवीनतम प्रयासों’’ के जवाब में आगे कदम उठाने का अधिकार सुरक्षित रखता है।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘चूंकि प्रधानमंत्री ट्रूडो ने सितंबर 2023 में कुछ आरोप लगाए थे, इसलिए कनाडा सरकार ने हमारी ओर से कई अनुरोधों के बावजूद भारत सरकार के साथ सबूतों का एक अंश भी साझा नहीं किया है।’’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा का नवीनतम कदम उन बातचीत के बाद उठाया गया है, जिसमें फिर से बिना किसी तथ्य के दावे किए गए थे।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इससे कोई संदेह नहीं रह जाता कि जांच के बहाने राजनीतिक लाभ के लिए यह भारत को बदनाम करने की जानबूझकर रची गई रणनीति है।’’उसने कहा कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का भारत के प्रति बैरपूर्ण स्वभाव लंबे समय से स्पष्ट है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उनके मंत्रिमंडल में ऐसे व्यक्ति शामिल हैं, जो भारत के संबंध में चरमपंथी और अलगाववादी एजेंडे से खुले तौर पर जुड़े हुए हैं।’’उसने कहा, ‘‘दिसंबर 2020 में भारत की आंतरिक राजनीति में उनका स्पष्ट हस्तक्षेप दिखाता है कि वह इस संबंध में कहां तक जाना चाह रहे थे।’’

विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उनकी सरकार एक ऐसे राजनीतिक दल पर निर्भर है, जिसके नेता भारत के प्रति खुलेआम अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं, जिससे मामला और बिगड़ गया।’’पिछले साल सितंबर में ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी चरमपंथी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों की ‘संभावित’ संलिप्तता के आरोपों के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आ गया था।

निज्जर की पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। नयी दिल्ली ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ बताते हुए खारिज कर दिया।विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘कनाडाई राजनीति में विदेशी हस्तक्षेप पर आंखें मूंद लेने के लिए आलोचनाओं के घेरे में आई उनकी सरकार ने नुकसान को कम करने के प्रयास में जानबूझकर भारत को इसमें शामिल किया है।’’ भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह नवीनतम घटनाक्रम अब उसी दिशा में अगला कदम है।

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!