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करवा चौथ व्रत 20 अक्‍टूबर को, जाने पूजा कैसे करें

करवा चौथ व्रत 20 अक्‍टूबर को, जाने पूजा कैसे करें

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श्रीनारद मीडिया, उतम पाठक, दारौंदा, सीवान (बिहार):

सिवान जिला सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में करवा चौथ को लेकर बाजारों में भीड़ बढ़ रही हैं। यह व्रत 20 अक्टूबर रविवार को किया जाएगा।

करवा चौथ व्रत का हिन्दू संस्कृति में विशेष महत्व है। अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता हैं। जिसे हम संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी, करक चतुर्थी और करवा चौथ व्रत के नाम से जानते हैं।

करवा चौथ को लेकर शहर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र के बाजारों में भी दुकानों पर पूजन सामग्री, श्रृंगार सामग्री, कपड़े आदि खरीदारी करने के लिए महिलाओं की भीड़ देखी गई। बगौरा के न्यू मार्केट, पुरानी बाजार, चौबाह बाजार, कुशवाहा मार्केट आदि जगहों पर करवा चौथ व्रत के निमित्त सामग्रियां बिकनी शुरू हो गई हैं।

इस व्रत के लिए मिट्टी के दीया, ढकनी, कलशी, सिंदूर, अबीर, रोली, कुंकुम, चंदन, कर्पूर, अगरबत्ती, रूई, गंगाजल, छलनी आदि वस्तुओं की बिक्री बढ़ गई हैं।
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चन्द्रमा को अर्घ्य देने का समय-
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वही ब्राह्मणों ने बताया कि इस बार करवा चौथ व्रत 20 अक्टूबर रविवार को किया जाएगा। इसी दिन रात को 7:40 बजे के बाद चन्द्र दर्शन कर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाएगा।
चतुर्थी तिथि का आरम्भ 20 अक्टूबर रविवार को दिन में 10:46 बजे से शुरू होकर 21 अक्टूबर सोमवार को 9:00 बजे दिन तक रहेगी।
इस व्रत पर सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और रात को चंद्र दर्शन करते हुए चन्द्र को अर्घ्य देकर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत सम्पन्न करती हैं।

करवा चौथ में दो शब्द हैं – “करवा” और “चौथ”। ‘करवा’ का अर्थ मिट्टी से बना बर्तन । जबकि ‘ चौथ’ का आशय चतुर्थी तिथि से हैं ।
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पूजन के समय किस रंग के कपड़े पहने –
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सुहागिन शाम को पूजन के समय लाल रंग के कपड़े पहन सोलहों श्रृंगार कर शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चन्द्रमा की विधिवत् पूजन अर्चन कर आरती करती हैं।
इसके बाद पूजन से सजी हुई थाली को लेकर चन्द्र दर्शन करते हुए चंद्रदेव को अर्घ्य देती हैं और छलनी से चंद्रमा को दर्शन करती हैं , फिर अपने पति को देखती है। इसके बाद पति के हाथों जल या मिठाई ग्रहण कर व्रत सम्पन्न करती हैं।
इसके बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सुहागिन के पांव छूकर सुहाग सामग्री भेंट करनी चाहिए।

ऐसा कहा जाता हैं कि इनकी पूजा करने से दाम्पत्य जीवन खुशहाल बना रहता हैं और जीवन भर सुख समृद्धि का आगमन होता हैं।

ऐसा माना जाता है कि करवा चौथ व्रत करने से जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति के लिए विधि विधान के साथ लम्बी उम्र एवं सुखी जीवन की कामना हेतु निर्जला व्रत रखती हैं।
करवा चौथ पति पत्नी के बीच एक प्रेम और विश्वास से परिपूर्ण अटूट बंधन को दर्शाता हैं।
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सबसे पहले यह व्रत किसने किया –
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मान्यता के अनुसार यह व्रत सबसे पहले देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ के लिए रखा था, इसके अलावा द्रौपदी ने भी पाण्डवों को संकट से मुक्ति दिलाने के लिए करवा चौथ का व्रत रखा था। यह व्रत विवाह के 16 या 17 वर्षों तक करना अनिवार्य माना जाता हैं।

इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लम्बी आयु और सेहत की कामना के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।

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