बिहार में ऑनलाइन दाखिल खारिज और परिमार्जन के लाखों मामले लंबित
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राज्य में ऑनलाइन दाखिल खारिज के छह लाख और परिमार्जन के आठ लाख मामले पोर्टल पर लंबित हैं. इनके निबटारे के लिए नवंबर तक का लक्ष्य तय किया गया है. इन मामलों के निबटारे में देरी को लेकर पिछले दिनों समीक्षा के दौरान राज्य के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने चिंता जतायी थी और कहा था कि जमीन मालिकों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जमीन सर्वे के लिए भी ऑनलाइन दाखिल-खारिज और परिमार्जन के लंबित मामलों का त्वरित निष्पादन आवश्यक है.
कार्रवाई का निर्देश
मुख्य सचिव ने सभी प्रमंडलीय आयुक्तों और जिला अधिकारियों को पत्र लिखकर दाखिल खारिज और परिमार्जन के मामलों को चरणबद्ध तरीके से निष्पादन का लक्ष्य दिया था. वहीं मामलों के निष्पादन में किसी प्रकार की लापरवाही या शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों और कर्मियों को चिन्हित कर उनके विरूद्ध अनुशासनिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है.
ऑनलाइन मॉनीटरिंग का आदेश
मुख्य सचिव ने अपने निर्देश में अधिकारियों से कहा था कि अंचल स्तर पर एक विशेष अभियान संचालित कर माह अक्टूबर, 2024 तक दाखिल-खारिज के लंबित मामलों की संख्या 30 सितंबर की तुलना में 50 प्रतिशत करें. साथ ही नवंबर तक उस संख्या को 30 प्रतिशत करने की कार्रवाई करें.
साथ ही, परिमार्जन का निष्पादन प्रतिशत अक्टूबर माह के अंत तक 50 प्रतिशत और नवंबर माह तक 75 प्रतिशत करने की दिशा में कार्रवाई सुनिश्चित करने का उन्होंने निर्देश दिया है. मुख्य सचिव ने कहा है कि अंचल कार्यालयों में होने वाले दाखिल खारिज और परिमार्जन संबंधी कामकाज की गहन समीक्षा प्रमंडल और जिला स्तर से करें. अंचलों के लिए नामित नोडल पदाधिकारियों द्वारा दैनिक ऑनलाइन मॉनीटरिंग करने के लिए उन्होंने कहा है.
बिहार में अंचल कार्यालयों में दाखिल-खारिज के 6 लाख के आसपास मामले अटके पड़े हैं। इससे राज्य में जमीन से जुड़े काम अटक रहे हैं और जमीन सर्वेक्षण में भी देरी हो रही है। राजस्व विभाग ने नवंबर तक 4 लाख 70 हजार मामलों को निपटाने का आदेश दिया है। बिहार में जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करने की प्रक्रिया, जिसे दाखिल-खारिज कहते हैं, उसमें बहुत देरी हो रही है। एक स्थानीय न्यूज पोर्टल के अनुसार इसके चलते लगभग 6 लाख मामले अंचल कार्यालयों में लंबित पड़े हैं।
इसलिए अटक रहे बिहार में दाखिल खारिज
राजस्व और भूमि सुधार विभाग के मुताबिक, आवेदनों में गलतियां होने की वजह से देरी हो रही है। पहले अंचल अधिकारी इन गलतियों को खुद ठीक कर सकते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। गलत आवेदन वापस आवेदक के पास भेज दिए जाते हैं, जिससे बहुत समय बर्बाद होता है।
सॉफ्टवेयर में किया गया सुधार
राजस्व विभाग ने सॉफ्टवेयर में सुधार किया है ताकि अंचल अधिकारी आवेदनों में गलतियों को खुद ठीक कर सकें। सभी अधिकारियों को नवंबर तक 70% लंबित मामलों को निपटाने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, ‘परिमार्जन प्लस’ पोर्टल पर आए आवेदनों में से 50% को अक्टूबर तक निपटाने का लक्ष्य है।
दाखिल-खारिज के चलते सर्वे में भी देर
जमीन के रिकॉर्ड अपडेट ना होने की वजह से जमीन सर्वेक्षण में भी देरी हो रही है। लोग अपनी जमीन की जानकारी समय पर नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि उनके पास जमीन के कागज़ात अपडेट नहीं हैं। सरकार चाहती है कि जमीन के असली मालिकों की पहचान हो सके और इसके लिए वह सर्वेक्षण कर रही है। लेकिन दाखिल-खारिज में देरी से यह काम प्रभावित हो रहा है.
दाखिल-खारिज को जल्द निपटाने के निर्देश
राजस्व विभाग ने कामकाज में पारदर्शिता लाने के लिए एक खास पोर्टल भी बनाया है। इस पोर्टल पर अंचल अधिकारी अपने काम की रिपोर्ट डाल सकते हैं। इससे यह पता चल सकेगा कि कौन सा काम कितना हुआ है। विभाग का मानना है कि इससे दाखिल-खारिज का काम तेज होगा। राजस्व विभाग ने सभी जिलाधिकारियों को इस बारे में जानकारी दे दी है। साथ ही, सभी अंचल अधिकारियों को भी जल्द से जल्द लंबित मामलों को निपटाने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार चाहती है कि जमीन सर्वेक्षण का काम बिना किसी रूकावट के पूरा हो।
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