क्या अब भी भारत में रहेंगी तसलीमा नसरीन?
शेख हसीना को देश छोड़ने के लिए किसने किया मजबूर?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
बांग्लादेश की निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन अभी भारत में ही रहती रहेंगी। गृह मंत्रालय ने मंगलवार को उनके निवास परमिट की अवधि को बढ़ा दिया। तस्लीमा ने एक दिन पहले ही गृह मंत्री अमित शाह से भारत में रहने की अनुमति देने का आग्रह किया था। क्योंकि उनके निवास परमिट की अवधि बढ़ाने का आग्रह 22 जुलाई से लंबित था। तस्लीमा ने निवास परमिट मिलने के बाद एक्स पर एक पोस्ट में गृह मंत्री अमित शाह के प्रति आभार व्यक्त किया।
गृह मंत्री अमित शाह से मांगी थी मदद
इससे पहले सोमवार को उन्होंने एक पोस्ट में कहा था, ‘प्रिय अमित शाहजी नमस्कार। मैं भारत में रहती हूं, क्योंकि मुझे इस महान देश से प्यार है। पिछले 20 वर्षों से यह मेरा दूसरा घर है। लेकिन गृह मंत्रालय 22 जुलाई से मेरे निवास परमिट को आगे नहीं बढ़ा रहा है। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे यहीं रहने देंगे तो मैं आपकी बहुत आभारी रहूंगी।’
‘गृह मंत्रालय ने मेरा निवास परमिट आगे नहीं बढ़ाया’
उन्होंने पोस्ट में लिखा,”प्रिय अमित शाह जी नमस्कार। मैं भारत में रहती हूं क्योंकि मुझे इस महान देश से प्यार है। पिछले 20 सालों से यह मेरा दूसरा घर रहा है, लेकिन गृह मंत्रालय ने जुलाई 22 से मेरे निवास परमिट को आगे नहीं बढ़ाया है। मैं बहुत चिंतित हूं। अगर आप मुझे रहने देंगे तो मैं आपका बहुत आभारी रहूंगी।”
कौन हैं तसलीमा नसरीन?
सांप्रदायिकता के मुखरता से अपनी बात रखने वाली तसलीमा साल 1994 से भारत में रह रहीं हैं। उन्होंने तत्कालीन शेख हसीना सरकार में सांप्रदायिकता के खिलाफ और महिला समानता के लिए बांग्लादेश में आवाज उठाया। उन्होंने कट्टरपंथियों की जमकर आलोचना की, जिसकी वजह से उन्हें बांग्लादेश छोड़ना पड़ा। भारत के अलावा, स्वीडन, जर्मनी, फ्रांस और अमेरिका में निर्वासन जीवन बीता चुकीं हैं। उन्होंने ‘लज्जा’ (1993) ‘आमार मेयेबेला’ जैसे कुछ मशहूर किताबें भी लिखीं हैं।
जब जान बचाकर भारत आईं शेख हसीना
5 अगस्त को तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को अपना देश छोड़ना पड़ा और भारत के नई दिल्ली में शरण लेना पड़ा। बांग्लादेश में सिविल सेवा भर्ती में कोटा सिस्टम को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन हुए। इस हिंसक प्रदर्शन में 300 से ज्यादा लोगों की जान चली गई।
देश में प्रदर्शन लगातार उग्र होते चले गए लेकिन देश शेख हसीना सरकार ने प्रदर्शानकारियों की मांग नहीं मानी। आखिरकार प्रदर्शनकारियों को सेना का साथ मिल गया। इसके बाद शेख हसीना को आनन-फानन में अपनी जान बचाकर बांग्लादेश छोड़ना पड़ा।
साल 1999 में बांग्लादेश से निष्कासित लेखिका तस्लीमा नसरीन (Taslima Nasrin) ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना (Sheikh Hasina) की चुटकी लेते हुए कहा कि जिन इस्लामी कट्टरपंथियों के कारण मुझे अपने देश से निकाला गया था, आज उन्हीं इस्लामी कट्टरपंथियों के कारण शेख हसीना को भी देश छोड़ना पड़ा है।
हसीना ने आनन-फानन में दिया इस्तीफाः तस्लीमा नसरीन
पूर्व प्रधानमंत्री हसीना की स्थिति को अपने जैसा ही मानते हुए तस्लीमा नसरीन ने कहा कि उनकी किताब ‘लज्जा’ के विरोध के चलते ही वह बांग्लादेश से निकाले जाने के बाद से भारत में रह रही हैं। तस्लीमा नसरीन ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि शेख हसीना सोमवार को आनन-फानन में अपने पद से इस्तीफा देकर भारत आ गई हैं।
तस्लीमा नसरीन को हसीना ने किया था देश से बाहर
बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन ने अपनी पोस्ट में लिखा, ‘हसीना ने इस्लामी कट्टरपंथियों को खुश करने के लिए मुझे बांग्लादेश से बाहर कर दिया था। जब 1999 में मैं वापस अपने देश गई तो मुझे बांग्लादेश में घुसने ही नहीं दिया गया। उसके बाद मुझे कभी भी बांग्लादेश जाने की अनुमति नहीं दी गई। आज वही इस्लामिक कट्टरपंथी छात्र आंदोलन का हिस्सा बनकर शेख हसीना को देश छोड़ने को मजबूर कर चुके हैं।’
1994 से बांग्लादेश से निष्कासन झेल रही हैं
उल्लेखनीय है कि तस्लीमा नसरीन वर्ष 1994 से बांग्लादेश से निष्कासन झेल रही हैं। बांग्लादेश में महिलाओं की समानता और सांप्रदायिकता पर किताब लिखने के बाद से उनके उपन्यास लज्जा (1993) और अमर मेयेबेला (1998) पर बांग्लादेश सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया गया था। तस्लीमा निष्कासन के कुछ समय बाद से भारत में रह रही हैं।