रूपम रस्तोगी की सफलता: बलिया की प्रतिभा ने UGC NET- 2024 को किया पास, अन्य बालिकाओं के लिए बनी प्रेरणास्रोत

रूपम रस्तोगी की सफलता: बलिया की प्रतिभा ने UGC NET- 2024 को किया पास, अन्य बालिकाओं के लिए बनी प्रेरणास्रोत

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श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

बिहार के बेगूसराय जिले के  बलियाअनुमंडलीय मुख्यालय बलिया की रहने वाली रूपम रस्तोगी ने UGC NET- 2024 परीक्षा पास कर न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि यह साबित कर दिया है कि कठिन परिश्रम और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। हालांकि रूपम जो एक छोटे से गांव में पली- बढ़ी हैं, उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत स्थानीय स्कूलों से की है।

 

लेकिन बचपन से ही उन्हें पढ़ाई में रुचि थी और उनके माता- पिता ने उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया। उन्होंने दशवीं बोर्ड की परीक्षा पास करने के बाद अपनी उच्च के लिए शहर की ओर रुख किया। जिला मुख्यालय स्थित महिला महाविधालय से इंटरमीडिएट एवं अंग्रेजी विषय से स्नातक की परीक्षा पास करने के बाद जीडी महाविद्यालय से अंग्रेजी विषय से स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण की ही।

बलिया स्टेशन रोड स्थित रूपम रस्तोगी के पिता रंजन कुमार रस्तोगी का कहना है कि स्नातक या स्नातकोत्तर परीक्षा हो या फिर यूजीसी नेट की परीक्षा। प्रायोगिक परीक्षाओं की तैयारी के दौरान रूपम ने दिन- रात मेहनत कर कठिन परिश्रम के बाद इस मुकाम तक पहुंची है। हालांकि पिछले वर्ष यूजीसी नेट की परीक्षा में बहुत ही कम अंकों से पिछड़ गई थी लेकिन इस बार उसने ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का सहारा लिया।

रूपम का मानना था कि यदि मन में संकल्प हो, तो किसी भी परिस्थिति का सामना किया जा सकता है। रूपम के अनुसार परीक्षा के लिए तैयारी करते समय समय प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई हैं। अपने दिन का एक ठोस कार्यक्रम बनाया, जिसमें अध्ययन, विश्राम और स्वास्थ्य का ध्यान रखा गया। उसके बाद ही मेहनत रंग लाई और यूजीसी नेट सह जेआरएफ परीक्षा में सफलता प्राप्त की है। रूपम की सफलता न केवल उनके लिए बल्कि बलिया सहित अन्य क्षेत्रों के छात्रों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि छोटे कस्बों से भी बड़ी सफलताएं हासिल की जा सकती हैं।

रूपम के छोटे चाचा पिंटू रस्तोगी ने कहा कि अपने दृढ़ संकल्प से देश की प्रतिष्ठित परीक्षा यूजीसी नेट सह जेआरएफ परीक्षा पास कर साबित कर दिया कि सफलता के लिए ताम – झाम करने से बेहतर है कि एकाग्रचित होकर लक्ष्य की ओर सतत प्रयत्नशील रहते हुए सफलता के मार्ग को प्रशस्त करता है।भविष्य में विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य से जुड़ना चाहती हैं। क्योंकि इसका सपना है कि वह आने वाली पीढ़ी को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकें।

वह यह भी चाहती हैं कि अन्य छात्र भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करें, चाहे वह किसी भी स्थान से हों। वहीं रूपम की कहानी ने यह संदेश दिया है कि दृढ़ संकल्प और मेहनत से कोई भी बाधा पार की जा सकती है। उसकी सफलता न केवल व्यक्तिगत उपलब्धि है, बल्कि यह साबित करती है कि शिक्षा और ज्ञान का कोई भी स्थान सीमित नहीं होता है। बलिया जैसे छोटे कस्बे से निकली इस प्रतिभा ने यह साबित कर दिया कि अपने लक्ष्य को पाने के लिए संघर्ष और समर्पण जरूरी है।

 

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