अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय पीठ के आखिरी न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट को अलविदा कहेंगे। भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर को सेवानिवृत होंगे और यह संयोग ही है कि नौ नवंबर को अयोध्या पर आए फैसले को पांच वर्ष पूरे होंगे।
गत जुलाई में ही जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या गए थे और रामलला के दर्शन किये थे। शायद वह पहले सीजेआई हैं, जो रामलला के दर्शन करने अयोध्या भी गए। सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने नौ नवंबर 2019 को अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में फैसला दिया था। फैसला सुनाने वाली पीठ में पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई (फैसले के वक्त जस्टिस गोगोई प्रधान न्यायाधीश थे, उन्होंने पीठ की अगुवाई की थी), पूर्व प्रधान न्यायाधीश एसए बोबड़े, वर्तमान प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर शामिल थे।

पीठ के अन्य न्यायाधीश पहले ही हो चुके हैं रिटायर

जस्टिस चंद्रचूड़ के अलावा पीठ में शामिल बाकी चार न्यायाधीश पहले ही सेवानिवृत हो चुके हैं। गत जुलाई में जस्टिस चंद्रचूड़ ने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन किये थे। अभी हाल ही में अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट की दशहरे की छुट्टियों में जस्टिस चंद्रचूड़ ने पैतृक गांव के दौरे के दौरान कहा था कि अयोध्या विवाद के समाधान के लिए उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी। उनका यह बयान काफी चर्चित हुआ था।

कोर्ट ने माना था राम जन्मभूमि

सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर 2019 को दिए फैसले में विवादित भूमि को राम जन्मभूमि माना था और उस पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता प्रशस्त किया था। इसके साथ ही किसी दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए मुसलमानों को आवंटित करने का आदेश दिया था। यह ऐतिहासिक फैसला था, जिसमें पांच सौ साल से चले आ रहे विवाद का पटाक्षेप हुआ था।सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कहना है कि उन्होंने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान निकालने के लिए भगवान से प्रार्थना की थी. उन्होंने कहा कि अगर किसी का विश्वास हो तो भगवान रास्ता निकाल ही लेता है.

उन्होंने पुणे के खेड़ तालुका में अपने पैतृक गांव कानहेरसर के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि कई बार हमारे पास केस होता है लेकिन उसका समाधान नहीं निकल पाता. अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद मामले में ठीक ऐसा ही हुआ. यह मामला तीन महीनों तक मेरे पास रहा. मैं भगवान के सामने बैठ गया और उनसे प्रार्थना की कि कुछ ना कुछ हल निकालना होगा.

सीजेआई ने कहा कि मेरा विश्वास कीजिए, अगर आप आस्था रखते हैं तो भगवान कोई न कोई रास्ता खोज निकाल ही लेता है. उन्होंने कहा कि सभी को समुदायों की रक्षा में अपनी भूमिका निभानी चाहिए, क्योंकि जलवायु परिवर्तन न केवल समृद्ध समाजों को बल्कि सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले लोगों को भी प्रभावित करता है.