नहा खा के साथ लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत प्रारंभ
श्रीनारद मीडिया, उतम पाठक, दारौंदा, सीवान (बिहार):
सिवान जिला सहित सभी प्रखण्ड क्षेत्रों में लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ व्रत मंगलवार को नहा खा के साथ प्रारंभ हो गया। सुबह में छठ व्रतियों ने नदी, तालाब, घर में स्नान कर भोजन बनाया और प्रसाद ग्रहण किया। कल बुधवार 6 नवंबर को रसियाव रोटी होगा तथा लोक आस्था का महापर्व छठ 7 नवम्बर गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य व 8 नम्बर शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर महापर्व छठ का समापन होगा।
चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व छठ की शुरुआत मंगलवार को नहाय खाय से शुरू होकर शुक्रवार को प्रातः कालीन अर्घ्य के साथ सम्पन्न होगी।
चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन :-
नहाय खाय होता है जो 5 नम्बर मंगलवार को किया गया।
इस दिन छठ व्रती स्नान करके लौकी (कद्दू) की सब्जी, अरवा चावल का भात और चना की दाल का भोजन कर व्रत की शुरुआत किया।
पर्व के दूसरे दिन:-
खरना होता है जो 6 नम्बर बुधवार को है। इस दिन व्रती निर्जला रह कर शाम में मिट्टी के बने चूल्हे पर साठी के चावल व दूध से बने रसियाव व रोटी को छठी मैया को भोग लगाकर पूरा परिवार प्रसाद ग्रहण करती हैं।
पर्व के तीसरे दिन:-
षष्ठी तिथि को छठ का महापर्व मनाया जाता है। जो इस बार 7 नम्बर गुरूवार को है। इस दिन व्रती नदी व तालाबों के घाटों पर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
छठ पर्व के चौथे यानि अंतिम दिन:-
सप्तमी तिथि को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। जो 8 नम्बर शुक्रवार को प्रातः कालीन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन होगा।
छठ पूजा को लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है।
मान्यता है कि यह पर्व भगवान सूर्य और उनकी पत्नी प्रथा की आराधना के लिए मनाया जाता है।
एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार छठी मैया को ब्रह्मदेव की मानस पुत्री और भगवान सूर्य की बहन बताया गया है। छठी मैया को संतान प्राप्ति की देवी कहा जाता है और सूर्य देव को शरीर के मालिक या देवता कहा गया है।
छठ महापर्व को लोंग बहुत ही शुद्धता और आस्था के साथ करते हैं। यह महाव्रत परिवार के लिए सुख समृद्धि ,संतान की लम्बी आयु और अच्छे स्वस्थ जीवन की कामना के लिए विधि पूर्वक करते हैं।
धार्मिक मान्यता हैं कि व्रत को करने से जातक को संतान की प्राप्ति होती हैं।
यह त्योहार सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है।
छठ महापर्व का प्रत्येक दिन महत्वपूर्ण है और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
यह भी पढ़े
उग हे सूरजदेव, भ ईद भीनुसारवा,अरघ के रे बेरवा,पूजन के रे बेरवा..’ पर स्कूली बच्चियों ने किया मंचन
ईरान के विश्वविद्यालय में लड़की कपड़े उतार कर पैंटी में घूमने लगी
जनगणना को लेकर स्टालिन, चंद्रबाबू, रेवंत तनाव में आये
चित्रगुप्त महाराज की आदिकाल से कायस्थों द्वारा पूजा होती है
नवशक्ति निकेतन के क्रीड़ा सचिव सह-कोषाध्यक्ष एहसान अली अशरफ का निधन