कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर सरयू तट पर बही ज्ञान गंगा

कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर सरयू तट पर बही ज्ञान गंगा

०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow
०१
WhatsApp Image 2023-11-05 at 19.07.46
previous arrow
next arrow

योग और ज्ञान के संदर्भ पर श्रद्धालुजन से दरौली के पंच मंदिर घाट पर धर्म संसद में संवाद

श्रीनारद मीडिया, अमित कुमार, दरौली, सीवान (बिहार):

शुक्रवार की संध्या में जो कि कार्तिक पूर्णिमा की पूर्व संध्या भी थी,  सीवान जिला के दरौली के पंचमदिर घाट के तट पर मां सरयू की महाआरती के उपरांत आयोजित धर्म संसद में ज्ञान गंगा भी बही। जिसमें सुबह सरयू स्नान की आकांक्षा पाले विश्राम कर रहे श्रद्धालुओं ने जमकर डुबकी लगाई। धर्म संसद में सनातनी परंपराओं और नदियों की महता पर विचार मंथन हुआ और श्रद्धालुजनों से नदियों के संरक्षण में सहभागी बनने का अपील भी किया गया।

सरयू तट पर शुक्रवार को आयोजित धर्म संसद का आरम्भ चकरी आश्रम के संत श्री रघुनाथदास जी महाराज, ममउर मठ के महंत श्री सिद्धेश्वर नाथ जी, प्रोफेसर रविंद्रनाथ पाठक और शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्जवलन से हुआ। इसके बाद चकरी मठ स्थित गुरुकुल के बटुकों ने आकर्षक योगाभ्यास प्रस्तुत कर श्रद्धालुजनों को रोमांचित कर दिया। धर्म संसद का मंच संचालन रितेश सिंह कर रहे थे जबकि विषय प्रवेश विंध्याचल राय ने कराया।

अपने मुख्य अतिथि के तौर पर संबोधन में प्रोफेसर रविंद्रनाथ पाठक ने कहा कि सनातनी परंपरा में प्रकृति और संस्कृति का महत्व सर्वविदित है।
हमारे संस्कार हमारे जीवन को सुगंधित करते रहे हैं। आवश्यकता इस बात की है कि सनातनी परंपराओं के निर्वहन के माध्यम से समाज मेंं समरसता के प्रसार में हम सभी सहभागी बनें। उन्होंने कहा कि दुनिया की सभी सभ्यताएं ध्वस्त हो गई लेकिन भारतीय संस्कृति अपने शाश्वत मूल्यों और मजबूत परंपराओं के चलते अपने अस्तित्व को बरकरार रख पाई।

अपने विशिष्ट अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने कहा कि हमें प्रत्येक सनातनी परंपरा के महत्व और उसके संदेश को समझना चाहिए। कार्तिक पूर्णिमा का त्योहार हमें नदियों और जल के महत्व को बताता है। हम सभी को नदियों के संरक्षण में सहभागी बनना चाहिए। नदियों ने ही हमारे सभ्यताओं को सृजित किया, हमारे संस्कृतियों को आधार दिया। हमारे विभिन्न सामाजिक, आर्थिक, सामुदायिक, धार्मिक आयामों को सुसज्जित किया है। इसलिए हमें हर स्तर पर नदियों के संरक्षण में अपनी सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।

विद्वतजनों के उद्बोधन के उपरांत चकरी आश्रम के गुरुकुल के बटुकों और मां सरयू की आरती करने वाले पंडितों को उपहार देकर सम्मानित किया गया। आभार ज्ञापन नन्द ओझा ने किया।

यह भी पढ़े

राज्य स्तरीय विद्यालय अंडर -17 बालक वर्ग हैंडबॉल प्रतियोगिता में एकलव्य विजेता एवं सारण बना उपविजेता

PCS प्री की परीक्षा 22 दिसंबर को एक ही दिन में होगी

पीएम मोदी की लोकप्रियता दुनियाभर में लगातार बढ़ रही है

संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन में भारत को लेकर क्यों जताई गई चिंता?

राष्ट्रपति जी ने भगवान बिरसा की जयंती की पूर्व संध्या पर देश को किया संबोधित

 

Leave a Reply

error: Content is protected !!