एक कोर्स के लिए एक ही नियम लागू करें सभी विश्वविद्यालय-शिक्षा विभाग
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राज्य के विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में संचालित स्व-वित्तपोषित एवं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों से संबंधित आधारभूत संरचना की जांच होगी। शिक्षा विभाग की टीम द्वारा जनवरी से जांच शुरू की जाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने टीम गठित करने का निर्देश उच्च शिक्षा निदेशालय को दिया है। शिक्षा विभाग का कहना है कि सभी विश्वविद्यालयों के अंगीभूत महाविद्यालयों और मान्यता प्राप्त कॉलेजों में शैक्षणिक आधारभूत संरचना की जांच जरूरी है, क्योंकि वर्तमान शैक्षणिक सत्र में बीबीए, बीसीए एवं बीएमएस सहित व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए सशर्त अनुमति दी गई है।
शिक्षा विभाग ने दिए दिशा-निर्देश
शिक्षा विभाग के व्यावसायिक पाठ्यक्रम के संचालन हेतु कई निर्देश सभी विश्वविद्यालयों को दिए गए हैं। इसके मुताबिक, व्यावसायिक शिक्षा में विद्यार्थियों के रोजगार और नियोजन का ध्यान रखें। उद्योग एवं व्यावसायिक जगत की आवश्यकताओं के अनुरूप युवाओं को प्रशिक्षण सुविधा उपलब्ध कराएं। इसके लिए ऐसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों को ही चिह्नित किया जाए, जिनकी शिक्षण व्यवस्था महाविद्यालय स्वयं अपने शिक्षकों के सहयोग से कर सके।
प्रत्येक महाविद्यालय व्यावसायिक शिक्षा के लिए निर्धारित 25 व्यावसायिक विषयों की सूची में से पाठ्यक्रम संचालन की संख्या न्यूनतम दो होगी और अधिकतम संख्या का निर्धारण स्थानीय रूप से उपलब्ध विषय विशेषज्ञता एवं संसाधन के आधार पर कर सकते हैं।उपलब्ध संसाधनों के अनुसार ही महाविद्यालय प्रत्येक व्यावसायिक पाठ्यक्रम में इस प्रकार सीटों, बैच और प्रति बैच विद्यार्थी संख्या का निर्धारण करेंगे, कि पाठ्यक्रम की गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। छात्रों को भी महाविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए पाठ्यक्रमों से ही व्यावसायिक पाठ्यक्रम का चुनाव करना होगा।
शिक्षा विभाग का निर्देश, एक कोर्स के लिए एक ही नियम लागू करें सभी विश्वविद्यालय
राज्य के विश्वविद्यालयों में स्व वित्तपोषित और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के संचालन में मनमानी पर शिक्षा विभाग नकेल कसने की तैयारी में है। इसकी बानगी है कि बिहार राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के सचिव एवं परियोजना निदेशक बैद्यनाथ यादव ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलसचिवों को पत्र लिखकर कहा है कि विभिन्न विश्वविद्यालयों में संचालित इन पाठ्यक्रमों के नियम अलग-अलग हैं, जबकि एक कोर्स के लिए एक ही नियम लागू होनी चाहिए।
उन्होंने कुलसचिवों से विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और अध्ययन केंद्रों पर संचालित स्व वित्तपोषित व व्यावसायिक कोर्स से संबंधित जानकारी 15 दिनों में देने को कहा है। इसके लिए उन्होंने विश्वविद्यालयों को एक फॉर्मेट भी जारी किया है, जिसमें पूरी जानकारी विश्वविद्यालयों को देनी है।
उन्होंने कुलसचिवों को निर्देश दिया है कि विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, अध्ययन केंद्रों में संचालित कोर्स (दूरस्थ समेत) के नाम, नियम-परिनियम, मान्यता, अनुमोदित सीटों की संख्या आदि पूरी जानकारी दें। माना जा रहा है कि सभी विश्वविद्यालयों से रिपोर्ट आने के बाद सभी व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए एक नियम राज्य स्तर पर बनाकर लागू की जाएगी।
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