नेतृत्व छोड़ने के बारे में सोचे कांग्रेस- मणिशंकर अय्यर
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
क्या बोले मणिशंकर अय्यर?
मणिशंकर अय्यर ने कहा,’मुझे इसकी परवाह नहीं है कि लीडर कौन बनता है क्योंकि मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस नेता की स्थिति हमेशा अहम रहेगी। यह केवल एक ही होना जरूरी नहीं है। यह अहम होगी मुझे यकीन है कि भारतीय गुट में राहुल (गांधी) को गठबंधन के अध्यक्ष से भी अधिक सम्मान दिया जाएगा।’ वरिष्ठ कांग्रेस नेता की टिप्पणी भाजपा की दुर्जेय चुनाव मशीनरी से मुकाबला करने के लिए पिछले साल गठित विपक्षी गुट के भीतर नेतृत्व की खींचतान की पृष्ठभूमि में आई है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एकजुटता पर दिया जोर
लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की रणनीति कारगर रही और सत्तारूढ़ भाजपा बहुमत के आंकड़े से नीचे ही सिमट कर रह गई। हालांकि, गठबंधन उन क्षेत्रों में मुश्किल साबित हुआ है जहां विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A के दो साझेदार चुनावी प्रतिद्वंद्वी हैं। इस पर बीजेपी ने हमला बोला है, जिसने इस गुट को अवसरवादी करार दिया है। महाराष्ट्र के नतीजों के तुरंत बाद, तृणमूल कांग्रेस नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सबसे पुरानी पार्टी पर कटाक्ष किया था। उन्होंने कहा, ‘सभी को साथ लेकर चलने की जरूरत है’ क्योंकि विपक्षी दल बीजेपी शासित केंद्र सरकार के खिलाफ कदम उठा रहा है।’
मनमोहन सिंह को बनाना चाहिए था राष्ट्रपति
- अय्यर ने अपनी किताब में लिखा है कि 2012 में जब राष्ट्रपति पद के लिए पद खाली हुआ तो प्रणब मुखर्जी को यूपीए-2 सरकार की बागडोर सौंपी जानी चाहिए थी और मनमोहन सिंह को राष्ट्रपति बनाया जाना चाहिए था।
- 83 वर्षीय अय्यर ने किताब में लिखा है कि अगर यह कदम उठाया गया होता तो यूपीए सरकार पंगु नहीं होती।
- उन्होंने कहा कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए रखने और प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति भवन भेजने के फैसले ने कांग्रेस के लिए यूपीए-3 सरकार की संभावनाओं को खत्म कर दिया।
राजनीति की शुरुआत से पतन तक की कहानी
अय्यर ने जगरनॉट द्वारा प्रकाशित अपनी आगामी किताब ‘ए मेवरिक इन पॉलिटिक्स’ में इन बातों को सामने रखा। पुस्तक में अय्यर राजनीति में अपने शुरुआती दिनों, नरसिंह राव के कार्यकाल, यूपीए-1 में मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल और फिर अपने पतन के बारे में बात करते हैं।
मनमोहन सिंह के खराब स्वास्थ्य का हुआ नुकसान
अय्यर ने कहा कि 2012 में मनमोहन सिंह ने कई कोरोनरी बाईपास के लिए ऑपरेशन करवाए। वे कभी भी शारीरिक रूप से पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाए। इससे उनकी गति धीमी हो गई और इसका असर सरकार पर भी पड़ा।
मनमोहन और सोनिया गांधी के बीच था गतिरोध
राजनयिक से राजनेता बने अय्यर ने कहा कि प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के बीच एक तरह से गतिरोध था और इसी कारण शासन का भी अभाव था। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे के ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन को भी सही ढंग से नहीं संभाला गया और इसी कारण सरकार का पतन हुआ।
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