मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधारों से बदल गई भारत की तस्वीर
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
डॉ. मनमोहन सिंह भारत के 13 वें प्रधानमंत्री थे। वह एक अर्थशास्त्री भी थे। लोकसभा चुनाव 2009 में मिली जीत के बाद वह जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत के पहले ऐसे प्रधानमंत्री बने, जिन्हें पांच वर्षों का कार्यकाल पूरा करने के बाद लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने का अवसर मिला था। उन्हें 22 जून 19 91 से 16 मई 1996 तक पीवी नरसिंह राव के प्रधानमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री के रूप में किए गए आर्थिक सुधारों का श्रेय दिया जाता है।
- NREGA: साल 2005 में शुरू की गई इस स्कीम ने ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया। इसके तहत हर ग्रामीण परिवार को कम से कम 200 दिनों के रोजगार की गारंटी मिली, जिससे उन्हें आजीविका चलाने में काफी सहायता हुई। साथ ही ग्रामीण बुनियादी ढांचे में भी सुधार हुआ।
- सूचना का अधिकार (RTI): साल 2005 में ही इस कानून को भी पारित किया गया था, जिसने सरकारी कार्यों में पारदर्शिता को बढ़ाया। इस कानून के तहत जनता को सरकार के फैसलों और नियमों से जुड़ी किसी भी जानकारी को हासिल करने का अधिकार है।
- आधार योजना: आधार योजना से प्रत्येक भारतीय नागरिकों को एक यूनिक पहचान दिलाई, जिससे लोगों तक सरकारी सेवाओं की पहुंच आसान हो गई। साथ ही कई पहचान पत्र की जगह इस एक पहचान पत्र ने लोगों का जीवन आसान किया।
- डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT): मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही लोगों के खाते में सीधे पैसे ट्रांसफर करने की प्रणाली शूरू की गई थी। इससे भ्रष्टाचार को कम करने में काफी हद तक मदद मिली और लोगों तक सरकारी सहायता सीधे पहुंचने लगी।
- भारत-अमेरिका परमाणु समझौता: इस समझौते के बाद भारत को नागरिक परमाणु तकनीक तक पहुंच मिली और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की स्थिति को भी मजबूती मिली। इसे डॉ. सिंह के कार्यकाल की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धी के तौर पर देखा जाता है।
पुरस्कार एवं सम्मान
मनमोहन सिंह को उनके सार्वजनिक जीवन में अनेकों पुरस्कार मिले हैं। उनमें प्रमुख हैं, भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान, पद्म विभूषण, जो कि उन्हें 1987 में दिया गया था। इसके अलावा 1995 में भारतीय विज्ञान कांग्रेस का जवाहरलाल नेहरू जन्म शताब्दी पुरस्कार, 1993 और 1994 वर्ष के वित्त मंत्री के लिए एशिया मनी पुरस्कार, 1993 वर्ष के वित्त मंत्री के लिए यूरो मनी पुरस्कार, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय का एडम स्मिथ पुरस्कार और कैम्ब्रिज में सेंट जॉन्स कॉलेज में विशिष्ट प्रदर्शन के लिए राइट पुरस्कार (1955)।
इसके अलावा मनमोहन सिंह कैम्ब्रिज और ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालयों सहित कई विश्वविद्यालयों से मानद उपाधियां प्राप्त कर चुके हैं। कई अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों और कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में भी उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उन्होंने साइप्रस में राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (1993) और 1993 में वियना में मानवाधिकारों पर विश्व सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
डॉ. सिंह ने कई सरकारी पदों पर अपनी सेवाएं दी हैं। इनमें वित्त मंत्रालय में सचिव, योजना आयोग के उपाध्यक्ष, भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, प्रधानमंत्री के सलाहकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष शामिल हैं। वह 1991 से 1996 तक भारत के वित्त मंत्री रहे। आर्थिक सुधारों की एक व्यापक नीति की शुरुआत करने में उनकी भूमिका को अब दुनिया भर में जाना जाता है।
राजनीतिक करियर
अपने राजनीतिक जीवन में मनमोहन सिंह 1991 से भारत के संसद के उच्च सदन (राज्यसभा) के सदस्य रहे हैं, जहां वे 1998 से 2004 के बीच विपक्ष के नेता थे। मनमोहन सिंह ने 2004 के आम चुनावों के बाद 22 मई को प्रधान मंत्री के रूप में शपथ ली और 22 मई 2009 को दूसरे कार्यकाल के लिए पद की शपथ ली थी।
प्रधानमंत्री अपने 10 साल के शासनकाल में उन्होंने कई ऐसे बड़े और महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिसने भारत को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने का काम किया। शिक्षा का अधिकार (RTE), सूचना का अधिकार (RTI), मनरेगा योजना समेत तमाम कई ऐसे बड़े फैसले हैं, जो उन्होंने प्रधानमंत्री रहते हुए लिए। इसके अलावा उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार के नए रिकॉर्ड कायम किए थे। 2008 की आर्थिक मंदी के झटकों से भी उन्होंने अर्थव्यवस्था को उबारा था। प्रधानमंत्री रहते हुए करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से बाहर निकालने का श्रेय भी डॉ मनमोहन सिंह को दिया जाता है।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने लिखा कि पूर्व प्रधानमंत्री और भारत के आर्थिक परिदृश्य को बदलने वाले प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बारे में जानकर बहुत दुख हुआ। पद्म विभूषण से सम्मानित और 1991 में भारत के आर्थिक उदारीकरण के वास्तुकार उन्होंने हमारे देश को एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के माध्यम से आगे बढ़ाया। विकास और समृद्धि के लिए नए रास्ते खोले।
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