गुवाहाटी में 28 वर्ष तक किराया पर क्यों रहे मनमोहन सिंह?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
राज्यसभा सांसद बनने के लिए किराया पर लिया था मकान
हालांकि, डॉ मनमोहन सिंह के लिए असम से राज्यसभा सदस्य बनना इतना आसान नहीं रहा। 2 BHK का यह अपार्टमेंट, असम के पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया का निजी आवास था।
चेक के जरिए किराया चुकाते थे मनमोहन सिंह
जब वो प्रधानमंत्री बने तो उन्हें कई लोगों ने कहा कि वो अपना असम में अपना आवास बदल लें, लेकिन उन्होंने कहा कि इस अपार्टमेंट से उनकी कई यादें जुड़ी है। यह मकान हमेशा अब डॉ मनमोहन सिंह की यादें समेटकर रखेगा।
राष्ट्र के नाम दिया था संबोधन
- दरअसल, मनमोहन सिंह अर्थव्यवस्था की समस्याओं को सुलझाने के लिए कड़े कदम उठाने के चलते विपक्ष के निशाने पर थे। मनमोहन ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था में लोगों का विश्वास खत्म न हो इसलिए उन्होंने सख्त कदम उठाए।
- तृणमूल कांग्रेस ने उस समय यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा की थी, जिसके बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए ये बात रखी थी। तृणमूल कांग्रेस ने विदेशी पूंजी निवेश में 51 प्रतिशत की इजाजत देने और डीजल के दामों में वृद्धि के फैसले का विरोध किया था।
- राष्ट्र के नाम संबोधन में मनमोहन सिंह ने कहा कि हम वैश्विक अर्थव्यस्था में आई मुश्किलों का सामना करने में काफी हद तक कामयाब रहे। हमें काफी सख्त कदम उठाने ही थे, जिससे हमारे विकास में आई मंदी को खत्म किया जा सके।
- उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी तेल की कीमतों के कारण ही डीजल की कीमत में वृद्धि की गई और एलपीजी के दाम बढ़ाए गए।मनमोहन ने इसके बाद जोर देते हुए कहा, ”पैसा पेड़ पर नहीं लगते हैं.. यदि कड़े कदम न उठाए गए होते तो देश का वित्तीय घाटा और सरकारी खर्च काफी बढ़ जाता। निवेशकों का भारत की अर्थव्यवस्था से विश्वास उठ जाता। इससे ब्याज दरें बढ़ती और रोजगार भी प्रभावित होता।
- अपने सरल स्वभाव और ज्ञान के कारण डॉ. मनमोहन सिंह को राजनीतिक सीमाओं से परे भी सम्मान प्राप्त था। लेकिन राजनीतिक विरोधियों ने उन्हें ‘साइलेंट पीएम’ का तमगा दे दिया था। इस पर उन्होंने दिसंबर 2018 में जाकर चुप्पी तोड़ी थी और विरोधियों को जवाब दिया था।
विरोधियों को दिया था जवाब
डॉ. मनमोहन सिंह ने 2018 में ‘चेंजिंग इंडिया’ नाम से एक किताब लिखी थी। इसके विमोचन के दौरान उन्होंने कहा था, ‘लोग कहते हैं कि मैं साइलेंट प्राइम मिनिस्टर हूं। मुझे लगता है कि ये किताब खुद ही बोलेगी। मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि मैं वह प्रधानमंत्री नहीं हूं, जो प्रेस से बात करने में डरता है।
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